क्या आप जानते हैं भारत मे एक जगह ऐसी भी है जिसको विश्व में सबसे अधिक बारिश के लिए जाना जाता है? भारत विविधताओं वाला देश है। भारत में संस्कृति से लेकर भाषा तक, खानपान से लेकर भौगोलिक रूप तक हर चीज में विविधता साफ दिखाई देती है। इन्हीं खूबियों की वजह से भारत में कुछ जगहें ऐसी हैं जहाँ सूखा पड़ता है। लेकिन वहीं कुछ जगहें ऐसी भी हैं जहाँ इतनी बारिश होती है कि आप हैरान रह जाएंगे। पश्चिम के थार रेगिस्तान से लेकर पूर्व के मौसिनरम तक आपको कुछ ऐसी विविधता दिखाई देगी। भारत के उत्तर में लेह जैसी ठंडी जगह है तो दक्षिण में केरल का उमस भरा मौसम भी है। ऐसी ही मिली जुली चीजों का बेहतरीन मिश्रण भारत है। अतुल्य भारत का ताज इन्हीं खूबियों से सजा हुआ है। बरसात की बात करें तो अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, पश्विम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड, कर्नाटक और केरल वो राज्य हैं जहाँ भारी बारिश देखी जाती है।
भारत में मानसून का एक पैटर्न है। एक तरह जहाँ गर्मियों में बारिश होने का कारण साउथ वेस्ट हवाएँ हैं, वहीं दूसरी तरफ सर्दियों में नॉर्थ ईस्ट की दिशा में चलने वाली हवाओं की वजह से भारत के कुछ हिस्सों में बरसात होती है। इस संतुलित साइकिल की वजह से जून और जुलाई के महीनों में भारत में भारी बारिश होती है। वेस्टर्न घाट में मानसून बाकी जगहों की तुलना में थोड़ा पहले आता है जिसके कारण यहाँ 2,000 से 5,000 मिलीमीटर वर्षा देखने को मिलती है। देश के पूर्वी हिस्से में मानसून के मौसम के पहले भी बरसात होने की संभावना होती है, जिसको अलग अलग राज्यों में विभिन्न नामों से जाना जाता है। मेघालय में नोर वेस्टर्नअर, असम में बॉर्डोई सिल्ला और पश्चिम बंगाल में काल बैसाखी इनमें प्रमुख हैं। जून जुलाई के महीनों में मेघालय के खासी हिल्स पर भारी बारिश होती है। मौसिनरम और चेरापूंजी दो ऐसी जगहें हैं जो सबसे अधिक बारिश होने के लिए जानी जाती हैं। इनकी लोकेशन की वजह से पूर्वोत्तर के ये दोनों गाँव भारत के टॉप मानसून डेस्टिनेशन में शुमार हैं।
ये हैं भारत की कुछ जगहें जहाँ आप बरसात का पूरा मजा ले सकते हैं।
मौसिनराम
मेघालय के खासी पर्वतमाला में स्थित मौसिनराम को केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में सबसे ज्यादा बारिश होने वाली जगह का खिताब मिला हुआ है। ये जगह घाटी में एक पहाड़ के ऊपर है। बारिश के मौसम में मौसिनराम में 11,872 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई है।
ये जगह जितनी खूबसूरत है, यहाँ रहने वाले लोग भी उतने ही सरल स्वभाव के हैं। स्थानीय लोगों को मौसिनराम पर गर्व है और गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज होने के बाद से इस जगह की लोकप्रियता और भी बढ़ गई है। लेकिन बारिश के कारण मौसिनराम में लैंडस्लाइड का खतरा भी बना रहता है। मानसून सीज़न में ये खतरा और भी बढ़ जाता है। लैंडस्लाइड और भारी बारिश से बचने के लिए मौसिनराम की महिलाएँ पहले से तैयारी करने में लग जाती हैं। बैंबू और प्लास्टिक को इस्तेमाल करके नुप्स बनाए जाते हैं जिससे बारिश से बचाव किया जाता है। मेघालय को बादलों की नगरी कहा जाता है और मौसिनराम ठीक यहीं स्थित है।
चेरापूंजी
मौसिनराम की तरह चेरापूंजी में भी भारी बारिश होती है। ये जगह भी खासी पर्वतमाला पर स्थित है। चेरापूंजी दो पहाड़ों के बीच बनी दरार में स्थित है जिसके कारण यहाँ अच्छी बारिश होती है। चेरापूंजी में सबसे अधिक 11,619 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है।
समुद्र तल से 4,500 फीट की ऊँचाई पर स्थित है जगह मौसिनराम को सबसे ज्यादा बारिश के खिताब के लिए ज़बरदस्त टक्कर देती है। चेरापूंजी में पर्यटकों का भी खूब ततां लगा रहता है जो बारिश के मौसम में यहाँ के शानदार झरनों को देखने आते हैं। खास बात ये भी है कि चेरापूंजी में अक्सर रात के समय बारिश होती है जिसकी वजह से दिन में सभी काम आसानी से लिए जा सकते हैं।
चेरापूंजी में देखने के लिए तमाम जगहें हैं। 1,035 फीट ऊँची मौसमाई फॉल्स चेरापूंजी से थोड़ी दूरी पर हैं। ये झरना भारत का चौथा सबसे ऊँचा झरना भी है। इसके अलावा चेरापूंजी के सालों पुराने मोनोलिथ पत्थर भी देखने लायक हैं। चेरापूंजी सिलोंग से लगभग 58 किमी. की दूरी पर है। चेरापूंजी आने के लिए आप गाड़ी हायर कर सकते हैं।
अगुम्बे
कर्नाटक के शिमोगा जिले में स्थित अगुम्बे भी बारिश के मामले में किसी से कम नहीं है। अगुम्बे में हर साल 7,691 मिलीमीटर तक बरसात होती है जिसके कारण ये जगह वेस्टर्न घाट पर सबसे ज्यादा देखी जाने वाली जगहों में शुमार है। अगुम्बे की हरी भरी घाटियाँ आपका दिल जीत लेंगी। अगुम्बे का रेनफॉरेस्ट स्टेशन रिसर्च करने के लिए भी बढ़िया जगह है।
अगुम्बे को भारी बारिश, जीव-जंतुओं से भरे घने जंगल और तरह तरह के पौधों के लिए जाना जाता है। अगुम्बे चारों तरफ से रेनफॉरेस्ट से घिरा हुआ है जो सोमेश्वर वाइल्डलाइफ सैनक्चुरी का हिस्सा भी हैं। अगुम्बे को असल में दक्षिण का चेरापूंजी भी कहा जाता है।
अगुम्बे से 27 किमी. दूर सरिं गेरी बाजार से आप कर्नाटक के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल पर भी जा सकते हैं। सरिंगेरी शारदा पीठम तमाम मंदिरों और मठों का समूह है जिसका निर्माण 8वीं शताब्दी में आदि शंकाचार्य द्वारा करवाया गया था।
महाबलेश्वर
महाराष्ट्र का महाबलेश्वर भी बरसात के मामले में पीछे नहीं है। महाबलेश्वर में हर साल 5,618 मिलीमीटर तक बारिश होती है। क्योंकि ये जगह वेस्टर्न घाट के पास है इसलिए यहाँ सालभर बारिश होती रहती है। मानसून के समय यहाँ भारी बारिश होती है। महाराष्ट्र के लोगों के लिए महाबलेश्वर वीकेंड एन्जॉय करने के लिए परफेक्ट जगह है।
महाबलेश्वर मुंबई से लगभग 270 किमी. की दूरी पर स्थित है। यदि आप मुंबई से महाबलेश्वर आना चाहते हैं तो आपको ये दूरी तय करने में 5 घंटों का समय लग सकता है। ट्रेन से आने वाले लोगों के लिए वाथर स्टेशन सबसे नजदीकी स्टेशन है जो महाबलेश्वर से 60 किमी. दूर है।
महाबलेश्वर की हरियाली के अलावा आप यहाँ पौराणिक कथाओं से जुड़े मंदिर भी देख सकते हैं। इसके अलावा आप वीना झील और आर्थर प्वॉइंट भी देख सकते हैं।
अंबोली
अंबोली महाराष्ट्र का एक और खूबसूरत हिल स्टेशन है जो मानसून एन्जॉय करने के लिए बिल्कुल सही जगह है। बरसात के मौसम में अंबोली इतना आकर्षक हो जाता है कि इसको जन्नत जैसा भी कहा जा सकता है। अंबोली में आप तरह-तरह के जीव-जंतु और पेड़-पौधे भी देख सकते हैं।
अंबोली को महाराष्ट्र की रानी भी कहा जाता है। अंबोली वेस्टर्न घाट के छोर पर स्थित है जिसके कारण यहाँ भारत में सर्वाधिक वर्षा होती है। 690 मीटर की ऊँचाई पर स्थित ये जगह अपनी घने जंगल और शानदार वाटरफॉल के लिए जानी जाती है। अंबोली में हर साल तकरीबन 7,500 मिलीमीटर तक बारिश होती है।
पासीघाट
पासीघाट में हर साल 4,388 मिलीमीटर बारिश दर्ज की जाती है। पासीघाट के चाय बागान देखकर लगता है नहीं की ये जगह अरुणाचल प्रदेश में है। यहाँ के चाय के बागानों की खुशबू आपको अरुणाचल में होते हुए सीधे असम की याद दिला देगी। पासीघाट अरुणाचल के सबसे पुराने और खूबसूरत गाँवों में भी शामिल है।
सियांग नदी के किनारे स्थित ये गाँव बेहद शांत जगह है। यदि आप शांत माहौल में प्राकृतिक सुंदरता महसूस करना चाहते हैं तो पासीघाट आपके लिए बेस्ट जगह है।
गंगतोक
सिक्किम का राजधानी शहर गंगतोक भी बरसात वाली जगहों में शुमार है। गंगतोक में हर साल 3,737 मिलीमीटर तक बारिश होती है। हालांकि गंगतोक में अब आपको कंक्रीट बिल्डिंगों का बड़ा जाल दिखाई देगा लेकिन उसके बावजूद कुछ जगहें हैं जहाँ आपको ज़रूर जाना चाहिए। रुमतेक और ट्सोमगो झील घूमने लायक हैं। खांगचेनजोंगा नेशनल पार्क भी पर्यटकों को खूब पसंद आता है। अगर आप गंगतोक को सबसे खूबसूरत रूप में देखना चाहते हैं तो मानसून से बेहतर समय और कोई नहीं होगा।
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