धारकुंडी के सौंदर्य की महिमा पहाड़ों से बहती जल की धारा

Tripoto
27th Mar 2021
Photo of धारकुंडी के सौंदर्य की महिमा पहाड़ों से बहती जल की धारा by RAVI TRAVELS
Day 1

यह चित्रकूट से  50 किलोमीटर दूर धारकुंडी में प्रकृति और अध्यात्म का अनुपम मिलन देखने को मिलता है। सतपुड़ा के पठार की विंध्याचल पर्वत श्रृंखलाओं में स्थित धारकुंडी में प्रकृति की अनुपम छटा देखने को मिलती है।

पर्वत की कंदराओं में साधना स्थल, दुर्लभ शैल चित्र, पहा़ड़ों से अनवरत बहती जल की धारा, गहरी खाईयां और चारों ओर से घिरे घनघोर जंगल के बीच महाराज सच्चिदानंद जी के परमहंस आश्रम ने यहां पर्यटन और अध्यात्म को एक सूत्र में पिरो कर रख दिया है। यहां बहुमूल्य औषधियां और जीवाश्म भी पाए जाते हैं।

माना जाता है कि महाभारत काल में युधिष्ठिर और दक्ष का प्रसिद्ध संवाद यहीं के एक कुंड में हुआ था जिसे अघमर्षण कुंड कहा जाता है। यह कुंड भूतल से करीब 100 मीटर नीचे है। धारकुंडी मूलतः दो शब्दों से मिलकर बना है।

धार तथा कुंडी यानी जल की धारा और जलकुंड। विंध्याचल पर्वत श्रेणियों के दो पर्वत की संधियों से प्रस्फुटित होकर प्रवाहित होने वाली जल की निर्मल धारा यहां एक प्राकृतिक जलकुंड का निर्माण करती है।

समुद्र तल से 1050 फुट ऊपर स्थित धारकुंडी में प्रकृति का स्वर्गिक सौंदर्य आध्यात्मिक ऊर्जा का अक्षय स्रोत उपलब्ध कराता है।

यहां जनवरी में जहां न्यूनतम तापमान 2 से 3 डिग्री रहता है वहीं अधिकतम तापमान 18 डिग्री रहता है। जून माह में न्यूनतम 20 डिग्री तथा अधिकतम तापमान 45 डिग्री रहता है।

योगिराज स्वामी परमानंद जी परमहंस जी के सान्निध्य में सच्चिदानंद जी ने चित्रकूट के अनुसूया आश्रम में करीब 11 वर्ष साधना की। इसके बाद सच्चिदानंद जी महाराज 1956 में यहां आए और अपनी आध्यात्मिक शक्ति से यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को आश्रम के माध्यम से एक सार्थक रूप दिया। उनके आश्रम में अतिथियों के लिए रहने और भोजन की मुफ्त में उत्तम व्यवस्था है।

विशेष है कि महाराज जी अपने खेतों में उपजे अन्न से ही अपने आगंतुकों को भोजन कराते हैं। भागम-भाग भरे जीवन के बीच कुछ दिन यहां आकर व्यक्ति को अध्यात्म और शांति का अनुपम अनुभव हो सकता है।

प्रकृति प्रेमी आध्यात्मिक लोग मध्य प्रदेश के सतना से यहां आ सकते हैं। सतना से प्रतिदिन एक बस यहां जाती है। इसके अलावा सतना के बस स्टैंड में स्थित परमहंस आश्रम की शाखा से भी यहां जाने के लिए जानकारी मिल सकती है। घनघोर जंगल, पर्वतों और झरनों के बीच स्थित परमहंस आश्रम में साधना के लिए योगी पुरुषों का आवागमन होते रहता है।

यहां आकर जीवन ठहर सा जाता है। मन को सुकून मिलता है। यहां के प्राकृतिक सौंदर्य का तो कोई जवाब नहीं लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है यहां का परमहंस आश्रम। पूज्य सच्चिदानंद जी के अध्यात्म ने धारकुंडी के सौंदर्य की महिमा को दैवीय बना दिया है। जिसका अनुभव प्रकृति प्रेमी व्यक्तियों को जरूर लेना चाहिए ।

Photo of चित्रकूट धामपुर, उत्तर प्रदेश 210205, भारत by RAVI TRAVELS
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