पौराणिक आस्था का प्रतीक कलाप गांव उत्तराखंड

Tripoto
3rd Apr 2023
Photo of पौराणिक आस्था का प्रतीक कलाप गांव उत्तराखंड by santosh rana
Day 1


"कौन नहीं चाहता कि प्रकृति की हसीन वादियों में कुछ समय बिताया जाए फिर वह स्थान ऐसा हो कि जहां पर आध्यात्मिक शांति के साथ साथ प्रकृति के खूबसूरत नजारे और रोमांचक एक साथ हो तो सोने पर सुहागे जैसी बात होगी"...

Photo of Kalap by santosh rana
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Day 2

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के मोरी ब्लॉक में स्थित
खूबसूरती की पराकाष्ठा है कलाप गांव
यह गांव उस क्षेत्र के अन्य इलाकों से कटा हुआ है और यहां के लोगों की जिदंगी भी काफी मुश्किलों भरी है. आबादी कम होने और बाकी इलाकों से दूर होने की वजह से यहां के निवासियों की आमदनी का मुख्य सहारा खेती है. इसके अलावा वे भेड़-बकरी भी पालते हैं. इस गांव की अद्भुत खूबसूरती और रामायण व महाभारत से खास कनेक्शन के चलते इसे ट्रैवल डेस्टिनेशन के तौर पर विकसित किया जा रहा है।कलाप भारत के उत्तरी राज्य उत्तराखंड के ऊपरी गढ़वाल क्षेत्र में समय के साथ भुला दिया गया एक गाँव है। 7,800 फीट की ऊंचाई पर स्थित, गांव कुंवारी चीड़ और देवदार के जंगलों के बीच बसा हुआ है, और सुपिन नदी की गर्जना से कटी हुई खाई को देखता है। कलाप पारंपरिक गढ़वाली वास्तुकला का घर है और इसके आसपास बर्फ से ढके बंदरपंच रेंज के दृश्यों सहित आश्चर्यजनक प्राकृतिक सुंदरता है।

कलाप में जीवन कठोर है। कलाप में कृषि प्राथमिक व्यवसाय है, इसके सीढ़ीदार खेतों में गेहूं, बाजरा, आलू और बीन्स हैं। बढ़ता मौसम मई और अक्टूबर के बीच छोटा होता है। अगला सबसे बड़ा व्यवसाय भेड़ और बकरियां पालना है। सर्दियों में भारी बर्फबारी होती है, गांव में 3-5 फीट तक बर्फ दर्ज की जाती है।
लेकिन इसी कठोरता के भीतर कलाप का सौंदर्य है।

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Day 3

कलाप से जुड़ी खास बातें....

1.दानवीर कर्ण मंदिर

कलाप' गांव में कर्ण को समर्पित मंदिर
गढ़वाल के टंस घाटी में स्थित इस गांव में आपको देवदार के लंबे व घने पेड़ों के बीच पक्षियों की चहचहाहट सुनने को मिलेगी। इसके अलावा, यहां की पहाड़ियां भी बेहद खूबसूरत है, जो ताजी हवाओं से आपको तर कर देंगी। इस गांव में कर्ण को समर्पित एक मंदिर है, जो गांव का मुख्य मंदिर माना जाता है। यहां हर 10 साल में जनवरी के महीने में कर्ण महाराज महोत्सव मनाया जाता है। इस दौरान पांडव नृत्य का भी आयोजन किया जाता है, जो फेस्टिवल का मुख्य आकर्षण होता है।
प्राचीन काल से ही उत्तराखंड ऋषियों ,संतों और देवताओं की भूमि रही है। यही कारण है कि इसे देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है। यहां सालभर पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है। नैसर्गिक खूबसूरती से लदे हुए उत्तराखंड में यूं तो घूमने के लिए बहुत कुछ है लेकिन आज भी यहां की कुछ ऐसी जगहें हैं, जो आम पर्यटकों की नजरों से छिपी है।
इनमें से ही एक है यहां का 'कलाप' गांव, जो देहरादून से करीब 200 किमी दूर स्थित है। यह गांव आसपास के इलाकों से एकदम कटा हुआ है। यहां आपको पैदल ही ट्रेकिंग करके जाना पड़ता है। क्योंकि यहां जाने के लिए कोई सड़क नहीं है और न हीं कोई साधन। रोमांचित कर देने वाला यहां का नजारा मंत्रमुग्ध कर देने वाला है। यह गांव अपने आप में बेहद खास है, जिसके चलते ही यह खासा चर्चा में भी रहता है।

कौरवों और पांडवों का गांव है 'कलाप'
कहा जाता है कि 'कलाप' गांव में आज भी कौरवों और पांडवों के वंशज रहते हैं। यहां के ग्रामीण लोग अपने आपको पांडव और कौरवों के वंशज मानते हैं। और तो और महाभारत काल से जुड़ी कई कहानियां भी सुनाते हैं, जिसे यहां आने वाले पर्यटक बड़े ही चाव से सुनते हैं। शांति व सुकून के लिए यह स्थान बिल्कुल परफैक्ट स्थान है। यहां आसपास न आपको गाड़ियों की शोर मिलेगी और न हीं शहरी हलचल।

2.भागवत पुराण में (स्कंध 12, अध्याय 2) में कलाप गांव का जिक्र

इक्ष्वाकुवंशी मरू इस समय कलाप-ग्राम में स्थित हैं। वे बहुत बड़े योगबल से युक्त हैं। कलियुग के अन्त में कल्कि भगवान की आज्ञा से वे फिर यहाँ आयेंगे और पहले की भाँति ही वर्णाश्रम धर्म का विस्तार करेंगे। कलाप गांव में मोरू महाराज के रूप में आज भी लोग पूजा करते है

3.एडवेंचर प्रेमियों के लिए खास है 'कलाप' गांव

पौराणिक मान्यताओं के साथ-साथ यह गांव आपको रोमांचित कर देगा। अगर आप एडवेंचर प्रेमी हैं तो आप यहां पर केम्पिंग, ट्रेकिंग, नेचर वॉक, बर्ड वाचिंग जैसी गतिवधियां कर सकते हैं। सूपिन नदी के किनारे बसा यह गांव 7800 फीट की ऊंचाई पर बसा है। कमाई के लिए यहां के लोग खेती-बाड़ी करते हैं। इसके अलावा, पर्यटकों से भी कुछ कमाई हो ही जाती है। यहां रहने के लिए आप गांव में बने होम स्टे में रह सकते हैं।

4.'कलाप' गांव से बंदरपूंछ स्वर्गारोहिणी और केदारकांठा काअद्भुत नजारा दिखाई देता है

बंदरपूंछ पर्वत का नाम तो आपने सुना ही होगा, इस गांव से पर्वत की ऊपरी चोटी भी दिखाई देती है, जो कमाल का नजारा दिखाती है।  और केदारकांठा बुग्याल इस गांव से सामने पर ही दिखाई देता है यहां से सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा भी बेहद कमाल का नजर आता है। ऐसे में अगर आप भी किसी ऐसे स्थान की तलाश में हैं, जो पर्यटकों की आवाजाही से अधिक लदा न हो और ताजी हवाओं और सुंदरता से पटा हो तो आप 'कलाप' गांव की सैर कर सकते हैं।
5.शिव कुंड : यह कुंड मंदिर के अंदर बना है जिसमे जल निकलता है यह वर्षभर भरा रहता हैं जो की पूजा के काम आता है
6.पोखू देवता मंदिर : कलाप गांव में न्याय के देवता पोखू का मंदिर है जो वास्तव में यहां के लोगो के न्याय के देवता है
7.झरना :कलाप गांव इन्ही दो झरनों के मध्य में है जो वास्तव में कलाप गांव की शोभा बढ़ा रहे है धन्य है ऐसा स्थान जहां इतनी सारी खूबसूरती नजर आ रही है

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