
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में एक सतीपीठ है जिसका नाम है कि किरीटेश्वरी। यह मंदिर भागीरथी नदी के किनारे है। श्रद्धालुओं का मानना यह है कि यहां माता सती का मुकुट का एक अंश गिरा था। यह बहुत पुराना सतिपीठ है। जो मुर्शिदाबाद जिले के किरीटकना गांव में है।

यहां आने के लिए मुर्शिदाबाद स्टेशन आना होगा। इसके बाद वहां से तांगा या फिर बैटरी रिक्शा से ₹१० आपको आना होगा लालबाग घाट। लालबाग घर से भागीरथी नदी पार ₹५ करके दूसरी ओर से आपको रिक्शा या तो टू पकड़कर किरीटेश्वरी मंदिर तक आना होगा. इसके लिए 100 रुपए तक आपको रिक्शा भाड़ा देना पड़ सकता है। क्योंकि नदी से बहुत भीतर गांव के अंदर यह मंदिर है। और रास्ता भी उबर खबर है।

आपको यह बता दें कि पुराना वाला जो मंदिर है वह ढह चुका है। इस मंदिर का निर्माण ब्रिटिश भारत वर्ष में नाटोर की रानी भवानी ने करवाया था। नाटोर फिलहाल बांग्लादेश में स्थित है। यह मंदिर एक हेरिटेज साइट होना चाहिए। लेकिन फिर भी किसी अनजान कारण से एएसआई ने इसका अधिग्रहण नहीं किया ।हालांकि इतना पुराना मंदिर आसपास में बहुत कम ही है । मुर्शिदाबाद में नवाबी जितने भी महल या दूसरे दर्शनीय स्थान है सभी को आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने अपने अंदर कर लिया है। लेकिन यह मंदिर अभी भी उसके बाहर है।
मंदिर में जो शीला है वह बहुत ही पुराना है। इस्लामी शासन में इस मंदिर पर बहुत बार आक्रमण हुआ। जिसके वजह से यहां के मंदिर की मूर्ति को गांव के दूसरी जगह गुप्तमठ नामक जगह पर छुपा के रखा गया है। यह सिलसिला इस्लामी शासन से चल रहा है। जो आज भी बरकरार है साल में कुछ ही दिनों में मंदिर में मूर्ति को लाया जाता है। कहा जाता है कि नवाब मीर जाफर ने इस मंदिर का चरणामृत पीकर ही देहत्याग किया था। पलासी के षड्यंत्र में अंग्रेजों के साथ मिले हुए राजबल्लभ को जिस दिन मीर जाफर ने हत्या किया था उस दिन इस मंदिर का शिवलिंग एकदम अचानक से फट गया था।