2014 में बात तब की है जब मैं पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से m.sc physics कर रही थी। मैं और मेरी एक दोस्त ने मोरनी हिल्स जाने का सोचा। मोरनी नाम ही बहुत आकर्षित करता था, मोरनी हिल्स हरियाणा का एक मात्र हिल स्टेशन भी था। इन सब से जाने का मन था देखा जाए वहां कया है। हम ने सब से पूछा जाने के लिए, कोई न माने फिर एक और दोस्त को धक्के से मनाया। हम तीन लड़कियों ने रात को प्लान किया सुबह जल्दी जाने का। सुबह 7 बजे हम निकल पड़े। थोड़ा बहुत खाने का सामान हम ने रात को कैंटीन से ले लिया था। पहले पचकुला के लिए बस ली। फिर वहां से मोरनी के लिए। रास्ते में हम तीनो बातें करके, पहाड़ों को देख कर खुश होते जा रहे थे। लगभग 10 बजे हम मोरनी a गए। वहां जा कर पूछा तो पता चला कोई झील नहीं है। परन्तु मैंने टिककर ताल के बारे में पढ़ा था , वहा एक पहाड़ एक झील को 2 हिस्सों में बांटता है। फिर हम ने टिककर ताल का पता किया , तब पता चला टिकर ताल मोरनी से 10-12 किलोमीटर की दूरी पर है। बस का पता करने पर पता लगा एक ही बस जाती है, उसका टाइम भी था। हम ने वेट भी की, परंतु बस किसे ओर जगह से जाती थी। हम गलत जगह खड़े रह गए। टैक्सी का पता किया, वो 500 मांगे रहा था। इतने पैसे हॉस्टल वाले कहां खर्च करते थे। हम सब ने एक दूसरे की ओर देखा और आंखों आंखों में सलाह की ट्रैक करने की वो भी बिना ब्रेकफेट के। रास्ते में हम बातें करके फोटो खींचते एन्जॉय करके जाते रहे। कोई झील दिखाई नहीं दे रही थी। डर था कही गलत रास्ते न जा रहे हो। रास्ते में पूछा तो पता लगा रास्ता सही है। फिर आगे चल कर झील दिखने लगी तो थोड़ा सुकून सा मिला और एनर्जी भी। सुंदर रास्ते का ट्रेक करके हम आ गए टिक्कर ताल। जो नजारा था उससे सब थकावट दूर हो गई। पहले हम ने हरियाणा टूरिज्म के होटल से पकोड़े खाए और कॉफी पी। फिर झील को अच्छे से देखा। फोटोग्राफी की। बाद में adventure park गए। वो भी काफी मजेदार रहा, ट्री हाउस, भूल भुलिया, भूत बंगला और काफी कुछ था देखने के लिए। बच्चे भी अपने पैरेंट्स के साथ एन्जॉय कर रहे थे। हम ने मोरनी के लिए बस का पता किया। जो बस सुबह आती है वो ही वापिस जाती है। फिर हम बस से मोरनी आ गए , वहां से पचकूला और फिर चंडीगढ़। दोस्तों के साथ पहला ट्रिप बहुत ही मज़ेदार था।