मैक्लॉडगंज, धर्मकोट और धर्मशाला: 7 दिन में कुछ इस तरह से इन जगहों को एक्सप्लोर किया

Tripoto
Photo of मैक्लॉडगंज, धर्मकोट और धर्मशाला: 7 दिन में कुछ इस तरह से इन जगहों को एक्सप्लोर किया by Rishabh Dev

हिमाचल घूमने वालों के लिए एक शानदार तोहफ़ा है। यहाँ पर इतनी शानदार और खूबसूरत जगहें हैं कि आप कई महीनों तक यहाँ घूम सकते हैं और वो भी बजट में। हिमाचल का धर्मशाला और मैक्लॉडगंज सैलानियों के बीच काफ़ी लोकप्रिय है। हर वीकेंड पर आपको यहाँ लोगों की भारी भीड़ देखने को मिलेगी। इस भीड़ से रूबरू होते हुए हमने धर्मशाला, मैक्लॉडगंज और धर्मकोट की कुछ जगहों को 7 दिन में एक्सप्लोर किया। इन जगहों को 7 दिन में कैसे एक्सप्लोर किया, ये हम आपको बताने जा रहे हैं।

मैक्लॉडगंज

दिन 1

मैक्लॉडगंज।

Photo of मैक्लॉडगंज, धर्मकोट और धर्मशाला: 7 दिन में कुछ इस तरह से इन जगहों को एक्सप्लोर किया by Rishabh Dev

दिल्ली से रात को बस में बैठे और अगली सुबह मैक्लॉडगंज पहुँच गए। मैक्लॉडगंज में रहने के लिए एक हॉस्टल में एक बेड मिल गया। दिन में तो हम कहीं घूमने नहीं गए लेकिन शाम के समय पैदल पैदल निकल पड़े। सबसे पहले एक जगह पर रूककर कुछ खाया और फिर बढ़ चले। काफ़ी देर चलने के बाद एक प्राचीन मंदिर दिखाई दिया, भागसू नाग मंदिर। भागसू नाग मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर के बारे में एक कहानी प्रचलित है। कहा जाता है कि दैत्यों के राजा भागसू के देश में सूखा पड़ा। प्रजा ने राजा से पानी का प्रबंध करने का आग्रह किया। राजा भागसू पानी की तलाश में नागों के इस प्रदेश में जा पहुँचा।

राजा भागसू को यहाँ एक सरोवर मिला। भागसू ने अपने कमंडल में पानी भरा लेकिन अंधेरा होने की वजह से यहीं रूक गया। जब नागों ने सरोवर को ख़ाली देखा तो नागों और राजा के बीच युद्ध हुआ। युद्ध में राजा हार गया। राजा ने नागों से निवेदन किया कि उसके राज्य में पानी की व्यवस्था कर दें और अपने साथ उसका नाम रख दें, यह कहकर राजा ने प्राण त्याग दिए। नागों ने राजा के प्रदेश में खूब बारिश करवाई और फिर उसका नाम अपने साथ जोड़ दिया। इस वजह से इस जगह का नाम भागसू नाग पड़ गया।

भागसू वाटरफॉल

Photo of मैक्लॉडगंज, धर्मकोट और धर्मशाला: 7 दिन में कुछ इस तरह से इन जगहों को एक्सप्लोर किया by Rishabh Dev

भागसू नाग मंदिर के आगे चलने पर एक खूबसूरत झरना मिलता है, भागसू वाटरफॉल। इस झरने तक पहुँचने के लिए एक छोटा-सा ट्रेक करना पड़ता है। शिव कैफ़े के पास स्थित ये झरना वाक़ई में बेहद खूबसूरत है। 30 फुट ऊँचाई से गिरने वाले इस झरने को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं। मैं भी इस शानदार झरने तक पहुँचा, कुछ देर वहाँ ठहरा रहा और फिर वापस मैक्लॉडगंज की तरफ़ लौटने लगा। खाना खाने के बाद हम नींद के आग़ोश में चले गए।

दिन 2-3

त्रिउंड ट्रेक

त्रिउंड ट्रेक।

Photo of मैक्लॉडगंज, धर्मकोट और धर्मशाला: 7 दिन में कुछ इस तरह से इन जगहों को एक्सप्लोर किया by Rishabh Dev

सुबह नींद खुली तो मौसम एकदम बारिश वाला था, कुछ देर बाद बारिश भी होने लगी। बारिश रूकी तो हम हॉस्टल से भागसू झरने की तरफ़ चल पड़े। हमारा प्लान था कि त्रिउंड जाएँगे और रात में वहीं एक टेंट में रूकेंगे। हमने एक कैंपिंग वाले से बात भी कर ली। 800 रुपए में टेंट में ठहरना, रात का डिनर और सुबह का ब्रेकफास्ट शामिल था। हम वाटरफॉल की तरफ़ से त्रिउंड ट्रेक की ओर बढ़ने लगे। रास्ते में शिव कैफ़े भी मिला लेकिन हम रूके नहीं। मौसम ठंडा था लेकिन उमस की वजह से काफ़ी गर्मी लग रही थी। रास्ते में कई जगह पर छोटी दुकानें मिलीं, हमने एक जगह पर कुछ खाया। लगभग 4 घंटे के ट्रेक के बाद हम बेस कैंप पर पहुँचे। घास के मैदान में एक जगह पर हमारे लिए टेंट लग गया।

त्रिउंड पीक।

Photo of मैक्लॉडगंज, धर्मकोट और धर्मशाला: 7 दिन में कुछ इस तरह से इन जगहों को एक्सप्लोर किया by Rishabh Dev

शाम को हमने त्रिउंड बेस कैंप से खूबसूरत सूर्यास्त देखा। खाना खाने के बाद सोने के लिए चले गए। सुबह जब नींद खुली तो बर्फ़ से ढँके पहाड़ों का शानदार नजारा देखने को मिला। सूर्योदय से पहले मैं त्रिउंड पीक पर जाना चाहता था। ज़्यादातर लोग पीक पर नहीं गए लेकिन मुझे तो जाना ही था। मैंने अपनी स्टिक उठाई और चल पड़ा ट्रेक के लिए। रास्ता थोड़ा कठिन और थकावट वाला था लेकिन सूरज निकलने से पहले त्रिउंड पीक पर पहुँच ही गया। यहाँ से शानदार नजारा देखा और सूर्योदय के बाद वापस बेस कैंप लौट आया। बेस कैंप से सामान उठाया और कल वाले रास्ते पर चल पड़ा। लगभग 3-4 घंटे के बाद हम मैक्लॉडगंज पहुँच गए। थकावट होने के चलते हमने पूरे दिन आराम किया।

धर्मकोट

दिन 4

धर्मकोट।

Photo of मैक्लॉडगंज, धर्मकोट और धर्मशाला: 7 दिन में कुछ इस तरह से इन जगहों को एक्सप्लोर किया by Rishabh Dev

मैक्लॉडगंज के पास में एक शानदार और छोटी-सी जगह है, धर्मकोट। हमने धर्मकोट के लिए एक टैक्सी बुक की और चल पड़े धर्मकोट। अपर धर्मकोट में एक हॉस्टल में अपना सामान रखा और घूमने के लिए निकल पड़े। धर्मकोट एक छोटी-सी जगह है, जहां पर आपको लोगों की भीड़ नहीं मिलेगी। यहाँ पर बड़ी संख्या में हॉस्टल और कैफ़े हैं। ज़्यादातर लोग यहाँ पर कई दिनों तक रहकर वर्केशन करते हैं। हमें धर्मकोट में विदेशी सैलानी बड़ी संख्या में देखने को मिले।

गल्लू देवी मंदिर

Photo of मैक्लॉडगंज, धर्मकोट और धर्मशाला: 7 दिन में कुछ इस तरह से इन जगहों को एक्सप्लोर किया by Rishabh Dev

गल्लू देवी मंदिर के दो रास्ते हैं, एक पैदल वाला और एक गाड़ी वाला। हम तो पैदल थे तो पैदल वाला ही रास्ता लिया। लोगों से पूछते हुए और गूगल मैप की सहायता से बढ़ते जा रहे थे। शुरू में सीढ़ियाँ मिलीं और फिर जंगल भी मिलना शुरू हो गया। काफ़ी देर बाद हम गल्लू देवी मंदिर पहुँचे। यहाँ से एक रास्ता त्रिउंड की तरफ़ जाता है और एक रास्ता वाटरफॉल की और जाता है। मंदिर के दर्शन करने के बाद मैंने एक ढाबे पर यहाँ नाश्ता किया और फिर वाटरफॉल की तरफ़ चल पड़ा। लगभग 1 घंटे तक हम जंगल में कठिन रास्ते पर चलते रहे लेकिन ख़राब रास्ता और मौसम की वजह से वापस धर्मकोट लौटना पड़ा।

धर्मशाला

दिन 5

Photo of मैक्लॉडगंज, धर्मकोट और धर्मशाला: 7 दिन में कुछ इस तरह से इन जगहों को एक्सप्लोर किया by Rishabh Dev

पहले मेरा प्लान था कि सुबह उस झरने तक जाऊँ, जहां कल नहीं जा पाया था लेकिन सुबह उठा तो थकावट देखकर वहाँ जाने का मन नहीं हुआ। अब हमें धर्मकोट से पहले मैक्लॉडगंज पहुँचना था। हमने मैक्लॉडगंज तक के लिए एक कैब बुक की। कुछ देर बाद हम मैक्लॉडगंज के बस स्टैंड पहुँच गए। वहाँ कुछ देर इंतज़ार किया और फिर धर्मशाला जाने वाली एक बस मिल गई। मैक्लॉडगंज से धर्मशाला 10 किमी. की दूरी पर है। बस से कुछ ही देर में मैं धमर्शाला पहुँच गया। यहाँ पहुँचने के बाद धर्मशाला में एक होटल ले लिया। इस दिन वैसे तो हम किसी जगह पर घूमने के लिए नहीं गए लेकिन काँगड़ा आर्ट म्यूज़ियम को देखने के लिए गए। म्यूज़ियम के अंदर वीडियोग्राफ़ी करना मना है। संग्रहालय बहुत बड़ा नहीं है लेकिन देखने लायक़ है।

दिन 6

कुनाल पत्थरी मंदिर

Photo of मैक्लॉडगंज, धर्मकोट और धर्मशाला: 7 दिन में कुछ इस तरह से इन जगहों को एक्सप्लोर किया by Rishabh Dev

अगले दिन धर्मशाला की आसपास की जगहों को एक्सप्लोर करने के लिए सबसे पहले एक स्कूटी किराए पर ली। स्कूटी हमें 600 रुपए में एक दिन के लिए मिल गई। सबसे पहले हम वार मेमोरियल गए जो क्रिकेट स्टेडियम के पास में ही है। वार मेमोरियल के नए भवन को भी देखा जो काफ़ी आधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण है। धर्मशाला से कुछ किलोमीटर की दूरी पर एक मंदिर हैं, कुनाल पत्थरी मंदिर। कुछ देर में हम मंदिर पहुँचे और दर्शन किए। हमने मंदिर के लंगर में बेहद शानदार हिमाचली धाम का स्वाद लिया।

धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम

Photo of मैक्लॉडगंज, धर्मकोट और धर्मशाला: 7 दिन में कुछ इस तरह से इन जगहों को एक्सप्लोर किया by Rishabh Dev

मंदिर के बाद हम धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम पहुँचे। जब मैच नहीं होता है तो सैलानियों के लिए इस स्टेडियम को खोला जाता है। स्टेडियम को देखने का 30 रुपए टिकट होता है। हम टिकट लेकर अंदर पहुँच गए। वैसे तो मैंने इससे पहले किसी क्रिकेट स्टेडियम को नहीं देखा लेकिन धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम की बात ही अलग है। पहाड़ों से घिरा धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम वाक़ई में खूबसूरत है। कुछ देर यहाँ ठहरने के बाद हम वापस धर्मशाला लौट आए।

काँगड़ा

दिन 7

मसरूर रॉक कट मंदिर

मसरूर रॉक मंदिर।

Photo of मैक्लॉडगंज, धर्मकोट और धर्मशाला: 7 दिन में कुछ इस तरह से इन जगहों को एक्सप्लोर किया by Rishabh Dev

बीते दिन हमने धर्मशाला के आसपास की सभी जगहों को हम नहीं देख पाए थे। इस वजह से इन जगहों को देखने के लिए हमने स्कूटी को अपने पास रख लिया। सुबह-सुबह धर्मशाला से मसरूर रॉक मंदिर 40 किमी. की दूरी पर है। धर्मशाला से इस मंदिर तक का रास्ता काफ़ी संकरा और घाटियों से गुजरता है। इस वजह से हमें मंदिर तक पहुँचने में थोड़ा समय लग गया। मंदिर के बारे में बता दूँ कि मसरूर मंदिर काँगड़ा घाटी में व्यास नदी के किनारे स्थित है। मसरूर रॉक कट मंदिर 19 मंदिरों का एक समूह था जिनको काँगड़ा घाटी में पत्थर काट कर बनाया गया था। 8वीं शताब्दी के आरम्भ में बनाए गए ये मंदिर धौलाधार पर्वतों की ओर मुख रख के खड़े हैं। 1905 में आए भूकंप की वजह से कई क्षतिग्रस्त हो गए लेकिन कुछ मंदिर अभी भी खड़े हुए हैं। मंदिर को देखने के बाद हम काँगड़ा शहर की तरफ़ निकल पड़े।

काँगड़ा किला

काँगड़ा क़िला।

Photo of मैक्लॉडगंज, धर्मकोट और धर्मशाला: 7 दिन में कुछ इस तरह से इन जगहों को एक्सप्लोर किया by Rishabh Dev

कांगड़ा किला, भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य के कांगड़ा शहर के बाहरी इलाके में धर्मशाला शहर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह किला अपनी हजारों साल की भव्यता, आक्रमण, युद्ध, धन और विकास का बड़ा गवाह है। लगभग 1 घंटे बाद हम काँगड़ा पहुँच गए। काँगड़ा क़िले को देखने के लिए कई सारी सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। कई बड़े दरवाज़े मिलते हैं। 1905 में आए भूकंप में क़िले को काफ़ी नुक़सान पहुँचा था, जिसके निशान क़िले में कई जगह पर दिखाई देते हैं। क़िले में कुछ मंदिर भी हैं। क़िले के सबसे ऊँची जगह से काँगड़ा घाटी का सुंदर नजारा दिखाई देता है। क़िले को देखने के बाद हम धर्मशाला लौट आते हैं। कुछ इस प्रकार हमारी यात्रा पूरी होती है।

क्या आपने हिमाचल प्रदेश की इन जगहों की यात्रा की है? अपने अनुभव को शेयर करने के लिए यहाँ क्लिक करें।

बांग्ला और गुजराती में सफ़रनामे पढ़ने और साझा करने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें।

रोज़ाना टेलीग्राम पर यात्रा की प्रेरणा के लिए यहाँ क्लिक करें।