भारत के 12 अजब-अनोखे खेल और त्यौहार जिन्हें जानकर हैरान रह जाएँगे

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यूँ तो आपको भारत में आधुनिक कहलाने वाली हर चीज़ मिल जाएगी- जैसे तेज़ इंटरनेट, सबवे रेलवे, दूर तलक फैले मोबाइल कनेक्शन, एक्सप्रेसवे, लग्जरी होटल आदि |

मगर फिर भी भारत को विदेशों में एक अनोखे देश के रूप में ऐसे ही नहीं समझा जाता | इसके पीछे कई कारण हैं | इन कारणों में से एक है हमारे यहाँ के सदियों पुराने होने वाले कुछ अजीबो- गरीब रीति रिवाज, जिनके बारे में सुनकर लोग हैरान भी होते हैं और कई बार परेशान भी। आइए आप भी जानिए इनमें से 12 चुनिंदा रिवाजों के बारे में :

पुष्कर मेला

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पुष्कर

राजस्थान के पुष्कर में नवंबर महीने में कार्तिक पूर्णिमा के दिन पशु मेला, या यूँ कहें कि पुष्कर मेला लगता है | मेले में ऊँटों की संख्या ज़्यादा होती है मगर भेड़, बकरियाँ और गाएँ भी देखी जा सकती हैं |

ये मेला 5 दिन तक चलता है, जहाँ आपको ऊँटों के बालों को कतर कर बनाई हुई डिज़ाइनें और सजावटें देखने को मिलेंगी | मेले में ऊँटों की दौड़ प्रतियोगिता और परेड भी करवाई जाती है | किसान और व्यापारी यहाँ जानवरों की बोलियाँ लगाते हुए देखे जा सकते हैं |

मेले में लोगों की भीड़ का मनोरंजन करने के लिए संगीतकार, नर्तक, कलाबाज और जादूगर होते हैं | यहाँ आप तरह-तरह के कपड़े, जूते आदि मेले में लगी दूकानों से खरीद सकते हैं |

2. बानी महोत्सव

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आंध्र प्रदेश

आंध्र प्रदेश के कुरनूल में देवारागट्टू मंदिर में मनाए जाने वाले इस भयानक महोत्सव में श्रद्धालू एक दूसरे पर लाठियाँ बरसाते हैं | ये शिव द्वारा एक राक्षस के वध करने का प्रतीक माना जाता है |

ये महोत्सव रात को शुरू होता है और सुबह होते-होते ख़त्म होने तक लोग खून में नहा चुके होते हैं | मंदिर के पुजारी बताते हैं कि ये प्रथा 100 साल से भी ज़्यादा पुरानी है | यहाँ अधिकारियों और स्वास्थ कर्मचारियों को नियुक्त किया जाता है, ताकि किसी की हालत ज़्यादा ही खराब ना हो जाए |

3. पुली काली:

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केरल

इस ख़ास मौके पर टाइगर डांस होता है | ओनम महोत्सव के चौथे दिन मनाए जाने वाले इस त्यौहार में केरल के मँझे हुए कलाकार शेर और बघेरे का मुखौटा लगा कर और शरीर को रंग कर, ढोल की पारंपरिक धुन पर नाचते हैं | इस महोत्सव में देश-विदेश से कई लोग शामिल होते हैं |

4. थीमिथी

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तमिलनाडु

इस परंपरा में लोग आग पर चलते हैं | जी हाँ, आपने सही पढ़ा | दो हफ्ते से ज़्यादा चलने वाले इस महोत्सव को महाभारत के अंत में द्रौपदी के प्रेम शैया की ओर जाने को दर्शाता है |

माना जाता है कि आग में चलने के बाद द्रौपदी पवित्र हो जाती थी | श्रद्धालुओं का मानना है कि इस प्रथा से देवी द्रौपदी उनकी मुराद पूरी करेंगी |

5. जल्लिकटटू

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विवादों में घिरे इस महोत्सव में किसान अपने (ख़ास इस महोत्सव के लिए) पाले हुए सांड़ के सींग नुकीले करके उन्हें सज़ा देते हैं | जवान मर्द इनाम जीतने की चाह में सांड़ पर सवारी करके उसको काबू में करने की कोशिश करते हैं | काबू में करने के बाद सांड़ को मारा नहीं जाता, बल्कि काबू करने की चाह में कई जवान मर्द ज़रूर घायल हो जाते हैं क्योंकि वो निहत्थे होते हैं | इस खेल पर साल 2014 में प्रतिबंध लगा दिया गया था, मगर ये आज भी तमिलनाडु के ग्रामीण इलाक़ों में मनाया जाता है |

6. अघोरी

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वाराणसी

वाराणसी की पावन भूमि और उत्तराखंड के कई भागों में अघोरी पाए जाते हैं | इन साधुओं के लंबे चिपके बालों और राख में लिपटे नंगे शरीर को देख कर डर लग जाता है |

ये साधु अपनी कई आदतों के कारण बदनाम हैं, जैसे मुर्दों को क्रियाकर्म से पहले या बाद में खा लेना, या मरे शरीर के साथ सहवास करना | कई लोग मानते हैं कि इनके पास चमत्कारी शक्तियाँ होती हैं, और इसीलिए ये लोग इनका आशीर्वाद लेने भी पहुँच जाते हैं |

गोवर्धन पूजा

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महाराष्ट्र

महाराष्ट्र के भिवदावाद गाँव में दीवाली के एक दिन बाद एकादशी को ये अजीब प्रथा मनाई जाती है | इसके दौरान मवेशियों को नहला-धुला कर और रंगो व महंदी से सज़ा कर ज़मीन पर फैले लोगों के ऊपर से चलाया जाता है |

लोग मानते हैं कि गायों द्वारा रौंदे जाने से इनके मन की मुराद पूरी होती है | ये महोत्सव पाँच दिन तक चलता रहता है |

ओलिन्ग मोन्यू महोत्सव:

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नागालैंड

ये महोत्सव नागालैंड के किसी ज़माने के कुख्यात 'हेडहंटर' कोनयाक कबीले द्वारा मनाया जाता है | वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला ये महोत्सव वंगवान की आत्मा को खुश करने के लिए मनाया जाता है, ताकि पैदावार अच्छी हो |

ये कबीलाई लोग आत्मा को असली स्वरूप देने के लिए एक बंबू को गाड़ देते हैं और बंबू की लटकती पत्तियों को हाथ माना जाता है | फिर वंगवान की आत्मा का आव्हान किया जाता है | 6 महीने तक चलने वाले इस महोत्सव में पूरे उत्तर पूर्वी भारत से लोग शिरकत करते हैं |

स्थानीय लोगों को अपनी पारंपरिक रंग-बिरंगी पोशाकों में घूमते देखा जा सकता है | पारंपरिक धुनों पर लोग खुलकर नाचते हैं और स्थानीय व्यंजनों के साथ शानदार भोज होता है | उत्सव से पहले ही खूब सारी राइस बियर बना ली जाती है और दबा कर पी भी जाती है |

एक शाम को सिर्फ़ पारंपरिक कपड़े बुने जाते हैं, राइस बियर बनाई जाती है और लकड़ी व सब्जियाँ इकट्ठी की जाती हैं | मुर्गे की बलि दे कर उसकी आँतों की लंबाई देख कर अच्छे समय की भविष्यवाणी की जाती है | जवान लड़के इस महोत्सव के दौरान खूब बियर पीते हैं, स्थानीय खेलों और प्रतियोगिताओं में शामिल होते हैं और नाच-गाने व संगीत से माहौल को रूमानी बनाए रखते हैं |

किला रायपुर ग्रामीण ओलंपिक:

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पंजाब

इस उत्सव की आध्यात्मिक रूप से कोई मान्यता नहीं है, मगर यहाँ का अनोखापन, दीवानगी और ऊर्जा देश-विदेश से हज़ारों लोगों को ये खेल देखने पंजाब के रायपुर जिले में खींच लाती है |

यहाँ की गतिविधियों में बैलगाड़ी, घुड़दौड़ और खच्चर गाड़ियों की रेस, शॉट पुट, रस्साकशी, पारंपरिक भारतीय खेल कबड्डी, ट्रैक्टर रेस, लंबी और ऊंची कूद, मिड-डिस्टेन्स रेस शामिल है |

साइकिलों और घोड़ों पर दिल दहला देने वाले कारनामे दिखाए जाते हैं | महाबली लोग अपने बालों, दाँतों और यहाँ तक की कानों से ट्रेक्टर और कभी कभी तो ट्रक भी खींचते हैं | शाम को नाच-गाने का कार्यक्रम होता है जिसमें सब जमकर मज़ा करते हैं |

थाईपूसम:

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आँखों पर विश्वास की पट्टी बाँध कर ना जाने लोग कैसे-कैसे कारनामें कर जाते हैं | थाई यानी जनवरी और फ़रवरी के महीनों में शिव-पार्वती के पुत्र कार्तिकेय के सम्मान में लोग अपनी जीभ और होंठों के साथ-साथ शरीर के काफ़ी हिस्सों को हुक, भालों और कटार से छेद लेते हैं |

कई लोग तो अपने शरीर में घुसे इन पैने औजारों के सहारे भारी चीज़ें भी खींचने की कोशिश करते हैं | ढोल-नगाड़ों और मंत्रोचारण की आवाज़ से घिरे हुए ये श्रद्धालू किसी और ही दुनिया में खोए हुए दिखते हैं |

नाग पंचमी

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साँपों का त्यौहार: फन फैलाए कोबरा और उसके सामने पूजा करते हिन्दुस्तानी...विदेशी लोग भारत को शायद ऐसे ही नज़रिए से देखते हैं |

हिंदू कलेंडर के हिसाब से सावन महीने के पाँचवें दिन को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है | जिस नाग को पूजा जाता है, उसके ज़हर के दाँत तोड़ दिए जाते हैं | हल्दी-कुमकुम और फूलों की पत्तियों से साँप की पूजा की जाती है और उसे दूध भी पिलाया जाता है |

भूत भगाने के लिए जानवरों से शादी करवाना :

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जी हाँ, ये बेसिर-पैर का रिवाज़ आज भी प्रचलन में है | ख़ास करके जवान लड़कियों में घुसा भूत भगाने के लिए ये रिवाज़ होता है | अगर किसी जवान लड़की में शारीरिक या मानसिक रूप से कोई बीमारी होती है तो उसकी शादी जानवर- ख़ास करके कुत्ते या बकरे से करवा दी जाती है |

भारत में होने वाले अनोखे रीति-रिवाज़ और भारत के टूर पैकेज में आप यहाँ देख सकते हैं |

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इसी के साथ ही लद्दाख का ख़ास त्यौहार 'हेमिस फेस्टिवल' मनाने का समय भी आ रहा है | ऊँचे-ऊँचे पहाड़, खूबसूरत पहाड़ियाँ, दूर-दूर तक फैली खाली बंजर ज़मीन और अद्भुत नज़ारे इस त्यौहार के दौरान और भी आकर्षक हो जाते हैं |

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