मैं भारत में पर्यटन की दृष्टि से लोकप्रिय कई शहरों मे घूम चुका हूँ | ये शहर पर्यटकों और उनके गाइडों से खचाखच भरे होते हैं | और ये खचाखच इसलिए भरे होते हैं क्योंकि लोगों को इन शहरों में घूमना बहुत पसंद है | वैसे तो नई पीढ़ी का मुसाफिर होने के नाते मुझे अनदेखी और अंजानी जगहें ज़्यादा पसंद हैं, मगर मैं उन सैलानियों की विचारधारा का भी सम्मान करता हूँ जिन्हें ऐसी जगहों पर घूमना ज़्यादा पसंद हैं जहाँ सुख सुविधाओं की सभी ज़रूरते पूरी हो सकें ताकि सभी को घूमने में मज़ा आए |
राजस्थान भारत का सबसे लोकप्रिय राज्य है जहाँ घूमना सैलानी बहुत पसंद करते हैं | इस राज्य ने अपनी मध्यकालीन संस्कृति, कला और वास्तुकला को सहेज के रखा हुआ है और दुनिया भर से आने वाले सैलानियों को अतीत की एक झलक देता है | राजस्थान उन टॉप के कुछ स्थानों में से एक है जिन्हें भारत का पर्यटन विभाग, देश-विदेश के सैलानियों के लिए नियमित रूप से प्रचार अभियान और नए पैकेज ला कर टूरिज़म को बढ़ावा देता रहता है |
देखा जाए तो हर कक्षा में एक ऐसा मेधावी छात्र होता है जो हर शिक्षक का चहेता होता है| राजस्थान को शिक्षक समझा जाए तो बीकानेर वो मेधावी छात्र कभी नहीं रहा है | अन्य स्थानों जैसे जैसलमेर, जोधपुर, उदयपुर और जयपुर ने सारा ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रखा है | भारत सरकार ने इन स्थानों पर इतने समय से पर्यटन को इतना बढ़ावा दिया है कि यहाँ सबसे ज़्यादा सैलानी जाते हैं और उन सैलानियों के मुँह से तारीफ़ सुन सुनकर इन जगहों पर सैलानियों का ताँता लग जाता है |
मगर लोगों की नज़रों में ना आना बीकानेर की लिए अच्छा ही साबित हुआ | अन्य शहरों ने तो पर्यटकों की बाढ़ की सेवा करने के लिए हर कोने का रूप बदल कर व्यावसायीकरण कर दिया है मगर इनमें से बीकानेर ही ऐसा सच्चा राजस्थानी शहर है जिसने आज भी अपनी संस्कृति और परंपराओं को सहेज कर रखा हुआ है | बीकानेर की ज़्यादातर धरोहर रूपी संपत्तियाँ या तो यहाँ के रजवाड़ों के पास थी या फिर स्थानीय मुखियाओं के क़ब्ज़े में, जिन्हें इन संपत्तियों की देखरेख करना अच्छे से आता था | इन्होंने कभी अपनी संपत्तियों को पर्यटकों के लिए दिखावे की चीज़ के रूप में नहीं समझा |
बीकानेर के शाही कुनबे के सदस्य श्रीमान योगेंद्र सिंह बताते हैं कि भारत सरकार राजस्थान के ज़्यादातर स्मारकों के रखरखाव के प्रति काफ़ी उदासीन रही है जिसकी वजह से इन स्मारकों की आभा जा चुकी है अब ये जीर्ण शीर्ण अवस्था में खंडहर जैसे दिखाई देते हैं | बीकानेर की धरोहरों के मालिकों ने इन धरोहरों का रखरखाव करने को अपना गौरव माना है इसीलिए यहाँ के स्मारक आज भी पहले ही की तरह शानदार दिखते हैं |
अगर आप कभी बीकानेर जाएँ तो वहाँ की ज़मीन और धरोहरों का सम्मान करें क्योंकि ये किसी की अमानत हैं | लोग इन धरोहरों से प्रेम करते हैं इसलिए इनके साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ और बदसलूकी ना की जाए (बदसलूकी का उदाहरण आपने किलों की दीवारों पर पंकज संग नेहा लिखा देखा ही होगा) |
आइए देखें कि बीकानेर कितना सुंदर शहर है :
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