क्या आप जानते हैं भारत की इन प्रसिद्ध इमारतों की प्रेरणा विदेश से ली गई है?

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भारत के कोने-कोने में इतिहास गढ़ा हुआ है। चाहे वो प्राचीन दस्तावेजों में लिखा गया हो या इमारतों के रूप में संजो दिया गया हो। इतिहास चाहे किसी भी तरह का हो उन सबमें एक बात बिल्कुल तय है। वो ये कि भारत का इतिहास बेहद गौरवशाली रहा है। अलग-अलग साम्राज्यों के राजाओं के शासन और विदेशी दुश्मनों के आक्रमण के बाद भी भारत की ऐतिहासिक विरासत को बहुत बढ़िया तरीके से सजाया गया है। आप किसी भी जगह पर चले जाइए, हर जगह का अपना अलग महत्व है। ऐतिहासिक इमारतें देश की धरोहर होती हैं जिन्हें बहुत सलीके से रखा जाना चाहिए। भारत में भी ऐसी तमाम इमारतें हैं जो अलग-अलग मकसद के चलते बनाई गई थीं। लेकिन क्या आप जानते हैं हमारे देश में कुछ इमारतें ऐसी भी हैं जिनको बनाने की प्रेरणा किसी और विदेशी इमारत से ली गई थी? देश में कुछ इमारतें ऐसी हैं जो हूबहू किसी विदेश में स्थित इमारत की नकल हैं। आज हम आपको ऐसी ही कुछ इमारतों के बारे में बताने जा रहे हैं।

1. कुतुब मीनार - मीनार ए पाकिस्तान

दिल्ली स्थित कुतुब मीनार को देश के सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहरों में गिना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं जिसे आप देश का गौरव कहते हैं उसके जैसा ही एक मीनार पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी है? मीनार पाकिस्तान का निर्माण 1960 के दशक में मुगल शासन के दौरान करवाया गया था। इस इमारत का ढांचा हूबहू भारत के कुतुब मीनार से मिलता जुलता है। मीनार-ए-पाकिस्तान को उस समय की सबसे आधुनिक ढांचे वाली इमारतों में गिना जाता था। भारत के कुतुब मीनार को यूनेस्को द्वारा विश्व की हेरिटेज साइट होने के खिताब से भी नवाजा जा चुका है। लाल रंग के बलुआ पत्थर और संगमरमर से बनी हुई इस इमारत को कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1192 में बनवाया था।

2. लोटस टेंपल - सिडनी ओपेरा हाउस

अगर आप भारत की सबसे सुप्रसिद्ध इमारतों की सूची तैयार करेंगे तो दिल्ली स्थित लोटस टेंपल का नाम उसमें जरूर शामिल होगा। कमल के आकार में बनी ये इमारत असल में एक धार्मिक स्थल है जहाँ बहाई धर्म के लोग पूजा करते हैं। इसकी अच्छी बात ये है कि बाकी बहाई मंदिरों की तरह ही लोटस टेंपल में भी हर धर्म के लोगों को आने की आजादी है। इस मंदिर का आकार इतना नायाब है कि आप इसको निहारते रहना चाहेंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं लोटस टेंपल की ही तरह एक और इमारत है जिसका आकार बिल्कुल कमल के फूल की तरह है? ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में स्थित ओपेरा हाउस बहुत ही फेमस यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट है जो बिल्कुल लोटस टेंपल की तरह दिखाई देती है। लेकिन एक चीज है जो इन दोनों इमारतों को एक दूसरे से अलग बनाती है। एक तरफ जहाँ लोटस टेंपल धार्मिक स्थल है वहीं दूसरी तरफ ओपेरा हाउस को कला का मंदिर कहा जाता है। ओपेरा हाउस में तरह-तरह के आर्ट से जुड़े कार्यक्रम और परफॉर्मेंस होते हैं जिसकी वजह से ये जगह बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है।

3. इंडिया गेट - आर्क डे ट्रिओंफे

भारत में शायद ही कोई होगा जिसने इंडिया गेट का नाम नहीं सुना होगा। देश और दिल्ली की शान कहे जाने वाले इंडिया गेट का निर्माण 1921 में प्रथम विश्व युद्ध के वीरों को श्रद्धांजलि के रूप में किया गया था। इंडिया गेट का ढांचा बहुत हद तक पेरिस के आर्क डे ट्रिओंफे से मिलता है। आर्क डे ट्रिओंफे की बात करें तो इसको 1806-36 के बीच पेरिस में बनाया गया था। इंडिया गेट की दीवारों पर युद्ध में शहीद हुए सभी 13,000 सैनिकों का नाम लिखा गया है जिसमें भारतीय सैनिकों के साथ-साथ ब्रिटिश फौजियों का नाम भी उकेरा गया है। आर्क डे ट्रिओंफे को नेपोलियन की नेतृत्व में जीते हुए युद्ध को सेलिब्रेट करने के उद्देश्य से बनाया गया था। इंडिया गेट को देखने के लिए आपको किसी भी तरह की एंट्री फीस नहीं देनी होती है और आप दिन के किसी भी समय आसानी से इसको देख सकते हैं।

4. विलोंग खुल्लेन - स्टोनहेंज

क्या आपने भारत के बारे में अच्छे से पढ़ा है? तो क्या आप मणिपुर में स्थित विलोंग खुल्लेन के बारे में जानते हैं? इंग्लैंड की तरह भारत में भी एक जगह ऐसी है जहाँ अलग-अलग आकर के पत्थरों का एक समूह है। इंग्लैंड का स्टोनहेंज विश्व की सबसे पुरानी इमारतों में से है जिसको वर्ल्ड ऑफ वंडर्स में भी शामिल किया जा चुका है। असल में इस जगह पर कई सारे पत्थर हैं जिनकी ऊँचाई 13 फुट के आसपास है। खास बात है कि ये सभी पत्थर मिलकर एक रिंग का आकार बनाते हैं। इसी तरह मणिपुर के विलोंग खुल्लेन के बारे में भी बहुत कम लोगों को पता है इसलिए यहाँ बहुत कम टूरिस्ट पहुँच पाते हैं। स्टोनहेंज की ही तरह मणिपुर की इस जगह पर भी आड़े तिरछे पत्थर गढ़े हुए हैं। हालांकि ये पत्थर किसी तरह का रिंग नहीं बनते हैं लेकिन स्टोनहेंज की तरह इनके इस तरह होने का कारण नहीं मालूम हो पाया है। विलोंग खुल्लेन में लगभग 135 पत्थर हैं जिनमें से कुछ पत्थर 10 फुट तक ऊँचे हैं।

5. जामा मस्जिद - बादशाही मस्जिद

अगर ध्यान से सोचा जाए तो भारत और पाकिस्तान में आपको ऐसी कई समानताएँ मिल जाएंगी कि आप हैरत में पड़ जाएंगे। अब जामा मस्जिद और बादशाही मस्जिद को ही देख लीजिए। दिल्ली की शान और भारत की सबसे खूबसूरत इमारतों में से एक जामा मस्जिद का नाम देश के सबसे बड़े मस्जिदों में गिना जाता है। मुगल शासक शाहजहां के द्वारा बनवाया गया ये मस्जिद आज भी उतना कीमती है जितना पहले से समय में हुआ करता है। जामा मस्जिद की ही तरह एक मस्जिद पाकिस्तान में भी है जिसको बादशाही मस्जिद के नाम से जाना जाता है। लाहौर में बने इस मस्जिद का निर्माण शाहजहां के बेटे और उत्तराधिकारी औरंगजेब से करवाया था। दोनों ही मस्जिदों को बनाने में लाल और सफेद बलुआ पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। ये दोनों मस्जिद इतना बड़े हैं कि एक बार में हजारों की भीड़ को जगह दे सकते हैं।

6. कुंभलगढ़ किले की दीवार - द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना

हजारों किलोमीटर लंबी द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना के बारे में जितना कहा जाए कम होगा। कहा जाता है ये धरती पर स्थित इकलौती ऐसी इमारत है जिसको अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है। आप इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि ये दीवार कितनी लंबी और मजबूत है। तमाम तरह के पत्थर, ईंटों, लकड़ी आदि को मिलाकर बनाई गई इस दीवार को विश्व के 7 अजूबों में भी शामिल किया जा चुका है। द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना की तरह कुंभलगढ़ किले की दीवार को भी द ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया कहा जा सकता है। कुंभलगढ़ किले की मजबूती से सुरक्षा करने वाली इस दीवार भारत की सबसे महान दीवार होने का दर्जा दिया जा सकता है। हालांकि ये दीवार द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना जितनी लंबी तो नहीं है लेकिन इसकी चौड़ाई 36 किमी तक फैली हुई है जो इसको चीनी दीवार के बेहद नजदीक ले आता है।

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