Dakshin Bharat Yatra : ooty day 3
दक्षिण भारत का सुहाना और धार्मिक सफर
[ 05-04-2016 Day 3 ]
आज हमे ऊटी से कुन्नूर तक ट्रेन की यात्रा करनी थी. इसलिए हम जल्दी उठ गाये आम तौर पर मैं जब कहीं बाहर धुमाने जाता हूं तो जल्दी ही उठ जाता हूं होटल के नजदीक ही था ऊटी रेलवे स्टैशन इसलिए हम पैदल पैदल ही चलते हुए वहां पहुचं गए. यह ऊटी के बीचो बीच एक मेन चौराहे के पास ही बना है.यह रेलवे स्टैशन बहुत छोटा सा है,ओर सिंगल व छोटी लाईन का है इस पर एक छोटी सी ट्रेन कुन्नूर तक चलती है रेलवे स्टेशन के पास मैं हि एक होटल चाय नाश्ता किया वहां हमें काफी देर हो गई जिसके वजह से हम लेट हो गाते जब रेलवे स्टेशन पर पहुंच तो ट्रेन लगभग हर चुकी थी हमने फटाफट टिकट ली
और बैठे गये लेट आने कि वजह से हम को अलग अलग डिब्बे में बैठना पड़ा, जल्दी ही पूरी ट्रेन की सीटे यात्रीयों से भर गई.स्टैशन मास्टर ने झंडी दिखाई ओर ट्रेन चल पडी अपनी मंजिल की ओर,
ऊटी से कुन्नूर के बीच 22 किलोमीटर की दूरी के बीच 6 या 7 स्टैशन पडते है जो की बहुत छोटे थे. इन पर यह ट्रेन एक-दो मिनट के लिए रूकती ओर सीटी बजा कर फिर चल पडती. रास्ते मे कितने मोड,झरने, कितनी गुफा व पूल आए, याद नही पर यह मन मोह लेनी वाली यात्रा थी.अगर कोई ऊटी जाए तो उसे इस ट्रेन की यात्रा जरूर करनी चाहिए,
जंगलो से निकलती व चाय के बगानो को पार करती यह छोटी सी ट्रेन बडी अच्छी दिखती है.रास्ते मे कई गांव पडते है जहा बच्चे ट्रेन का इंतजार करते रहते है ओर यात्रीयों को बाय बाय करते है.
यात्री भी इस यात्रा का पूरा लुफ्त उठाते है जब भी कोई गुफा आती पूरी ट्रेन मे यात्रीयों का शोर गुंजने लगता.बच्चे तो बच्चे,बडे भी शोर मचाने मे कम नही थे.यह ट्रेन पहाडीयों के बीच से तो कभी खाई की तरफ तो कभी सडक के साथ साथ चलती है जब ट्रेन किसी मोड पर मुडती तब उसको देखने व फोटो खिचने के लिए यात्री खिडकीयों की तरफ रूख करते. इनमें से ही किसी ट्रेन पर दिल से फिल्म का मशहूर गीत चल छैया छैया फिल्माया गया था
इन सब के बीच कुन्नूर कब आ गया हमे पता ही नही चला.स्टैशन पर गाडी रूकते ही हम बाहर निकल पडे,
बहार निकलते ही हमने जीप वाले से बात कर ली उसने बताया कि वो हमें स्लीपिंग लेडी व्यूपॉइन्ट, कुन्नूर व्यूपॉइन्ट,डॉल्फिन नोज व्यूपॉइन्टऔर एक दो जगह और दिखाता हुआ वापस हमें यहां पर ले आयेगा सबसे पहले हम पहुंचे स्लीपिंग लेडी व्यू
स्लीपिंग लेडी व्यू
जो काफी अच्छी जगह थी ऐसा लग रहा था जैसे कोई लड़की सो रही हो पहाड़ की बनावट ही ऐसी थी पास में चाय के बागान थे जो काफी अच्छा लगा रहे थे हमने वहां काफी फोटो शूट करें मैंने पहली बार चाय के बागान देखें थे
रास्ते के काई साईड शीन देख यहां चाय के बागान कि भारमार थी फिर हम पहुंचे
डॉल्फिन नोज
जैसा कि नाम से प्रतीत होता है डॉल्फिन नोज़ व्यूपॉइन्ट एक चोटी है जो डॉल्फिन के नाक के आकार की है। यहाँ से दिखाई देने वाले दृश्य को शब्दों में नहीं बयान किया जा सकता इसलिये कुन्नूर की यात्रा पर आये पर्यटकों को यहाँ अवश्य आना चाहिये।
आप यहाँ से नीलगिरि में स्थित कई प्रमुख स्थानों को देख सकते हैं जिनमें नीलगिरि जिले के एक और हिलस्टेशन कोटागिरि का कैथरीन फाल्स भी शामिल है। पत्थरों को ऊपर चढ़ाई करते समय विशेष ध्यान दें क्योंकि इसके दोनो ओर बहुत ही गहरी खाईयाँ हैं। इस व्यूपॉइन्ट के मनोरम दृश्य से आप मन्त्रमुग्ध हो जायेंगे। डॉल्फिन नोज़ व्यूपॉइन्ट कुन्नूर से 10 से 12 किमी की दूरी पर स्थित है और टाइगर हिल के समीप है। फिर हम चाय फैक्ट्री पहुंचे वहां पास में होममेंड चौकलेट कि भी फैक्ट्री थी वहां से होममेड चौकलेट ली यहा पर चॉकलेट की बहुत दुकाने है या ये कहे की लगभग हर दुकान पर चॉकलेट मिलती है चाहे वो कपडो की दुकान हो या फल या किराने की दुकान.यह चॉकलेट यही पर बनती है हमने भी थोडी सी चॉकलेट खाई,स्वाद अच्छा था. फिर हम चल दिए उटी कि तरह मिनी बसे खड़ी उनसे बात कर ली कि हमें बॉटनिकल गार्डन जाना है हम 5.00 तक बॉटनिकल गार्डन पहुंचे,
बॉटनिकल गार्डन
मैं टिकेट लेने के लिए टिकट खिडकी पर पहुंचा ओर टिकट ले लिए मैंने विडियो कैमरा का भी टिकट ले लिया बॉटनिकल गार्डन ऊटी तमिलनाडु राज्य का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। ऊटी के दर्शनीय स्थलों में सबसे पहला नाम बॉटनिकल गार्डन का आता है। बॉटनिकल गार्डन की स्थापना 1847 में की गई थी। यह गार्डन 22 हेक्टेयर भूमि में फैला हुआ है। इस ख़ूबसूरत गार्डन की देखरेख बागवानी विभाग करता है। यहाँ एक पेड़ के जीवाश्म संभाल कर रखे गए हैं जिसके बारे में माना जाता है, कि यह 20 मिलियन वर्ष पुराना है। इस गार्डन में पेड़-पौधों की 650 से ज़्यादा प्रजातियाँ, अद्भुत ऑर्किड, रंगबिरंगे लिली, ख़ूबसूरत झाड़ियाँ व 2000 हज़ार साल पुराने पेड़ का अवशेष देखने को मिलता है। प्रकृति प्रेमियों के बीच यह गार्डन बहुत लोकप्रिय है।यहा पर पेडो की कई प्रजाती आपको मिल जाएगी, सभी पेडो पर उनके नाम की प्लेट लगी हुई थी जिससे दर्शक उन्हे पहचान सके.
यह गार्डन कही ऊंची व कही नीची भूमि पर बना है.जो प्रकृती के पास होने का अनुभव कराता है.हरियाली यहा चारो ओर फैली हुई थी.रंगबिरंगी तितलियां यहा पर आपको बहुत मिलेगी यहा पर कुछ पुराने घर शायद अंग्रेजो के समय के थे जो अब कार्यालय के रूप मे उपयोग मे लाए जा रहे हैं
हम एक जगह पहुंचे तो देखा लोगो की भीड लगी है ओर ज्यादातर लोग फोटो खींच रहे थे,हम भी पहुंच गए,देखा तो फूल के पौधो व घास से भारत का नक्शा बना हुआ था.यह नक्शा बहुत सुन्दर लग रहा था लगता भी क्यो नही हमारे भारत का था,तो हमने भी फोटो खिच लिए यहा पर हमे तीन चार जगह पुरानी तोपे भी देखने को मिली काफी समय व्यतीत करने के बाद हम बहार आ गये बाजार देखते हुऐ चल दिये अपने होटल कि तरफ होटल दुर था इसलिए ओटो कर लिया