थोक के भाव में लीजिए यहां से किताबें और स्टेशनरी के सामान

Tripoto
16th Jul 2022
Photo of थोक के भाव में लीजिए यहां से किताबें और स्टेशनरी के सामान by Rishabh Bharawa
Day 1
Photo of Dariya Ganj, New Delhi, Delhi, India by Rishabh Bharawa
Photo of Dariya Ganj, New Delhi, Delhi, India by Rishabh Bharawa
Day 2

दिल्ली का दरियागंज बाजार । यह बाजार किसी जन्नत से कम नहीं हैं बुक लवर्स के लिए। जब भी मेरा दिल्ली आना जाना होता हैं जल्दबाजी में रहता हुं क्योंकि या तो सुबह जल्दी फ्लाइट रहती हैं और या फिर कोई न कोई जगह एक्सप्लोर करने निकल जाता हूं।

मुझे भी किताबों से हमेशा से लगाव हैं, हर महीने की कम से कम दो किताबे पढ़ना , यह आदत हो चुकी हैं। इसी तरह किताबों की संगति की वजह से ही मैं"चलो चले कैलाश" लिख पाया था। किताबो से लगाव के कारण दरियागंज के बुक मार्केट में जाने का कई सालों से सोचा हुआ था। पर यह बाजार केवल सन्डे को ही लगता था , तो कभी टाइम सेट नहीं बैठ पाया। इस बार स्पीति बाईक ट्रिप se लौटते हुए सन्डे को दिल्ली लौटना हुआ,मेरी दिल्ली से भीलवाड़ा के लिए ट्रेन रात को थी,तब जा कर इस बार इधर जाना हुआ।

लाल किले के बाहर से केवल 10 रुपए प्रति व्यक्ति के हिसाब से यहां के लिए रिक्शा मिल गया। मुझे पता था कि यहां एंट्री करते ही सड़कों के किनारे कई वेंडर किताबें तोल के भाव बेचते हुए दिख जाएंगे,लेकिन ये क्या?

जैसे ही दरियागंज पहुंचे ,वहां तो दुकानें सारी बंद थी और सड़क के किनारे तो ऐसा कुछ नहीं मिला।मैंने रिक्शा वाले को कहां कि जहां किताबे मिलती हैं उस मार्केट में जाना हैं।उसने कहा कि हम उसी जगह खड़े हैं।किसी से पूछा तो पता लगा कि दरियागंज सन्डे मार्केट अब यहां से परमानेंट हटा दिया गया हैं।फिर किसी ने बताया कि कुछ दुकानें यहां आगे सड़क खत्म होती ही जरूर हैं जहां से मुझे किताबे थोक में मिल सकती हैं।

आगे बढ़ते ही कुछेक वेंडर जो सड़क किनारे तिरपाल बिछाए किताबे बेच रहे थे, वे नजर आए।रिक्शा ने वही हमे उतारा,आगे कुछ दुकानें भी थी ,जहां हजारों किताबे अंदर बिखरी पड़ी थीं और भीड़ उनमें से किताबे छांट रही थीं।

अंदर प्रवेश करते ही चारों तरफ किताबो का खजाना देख मैं तो जैसे पागल हो गया। किधर जाऊं, कोनसी किताबे लूं। कुछ यूज की हुई किताबे थी तो कुछ एकदम नई। अलग अलग ढेर में जमी किताबे अलग अलग रेट से बिक रही थीं।कुछ थोक के भाव वाली किताबो का ढेर था तो कुछ ढेर में सभी किताबे 150 की थी। आपको जिस ऑथर की जो बुक चाहिए , आपको 100 % यहां मिल जाएगी। मोटे मोटे साहित्य, एग्जाम की किताबे, नोवल्स से लेकर कई दुर्लभ किताबे जो आपको इंटरनेट पर नहीं मिलेगी, वो यहां से मिल जाएगी। कई किताबे तो मेरी पढ़ी हुई थीं। मेरे पास करीब 25000रुपए की किताबे पड़ी हुई हैं , वे यहां पर 10000 में ही मिल सकती थीं।

किताबो के अलावा डायरी, कैलेंडर,महंगे पैन, छल्ले, मानचित्र, ग्लोब, बैग,कॉपियां मतलब कि स्टेशनरी का A to Z हर आइटम यहां काफी सस्ते में ही मिल जाता हैं। मैंने कई सारी चीजे और किताबे यहां से खरीदी और उन्हें ले जाने के लिए एक एक्स्ट्रा बैग भी।

आपको जो भी नई पुरानी बुक्स या बल्क में स्टेशनरी आइटम्स चाहिए, आप उनकी लिस्ट बनाओ और जब कभी दिल्ली आना हो तो , दरियागंज मार्केट में चले जाओ, आपका काफी पैसा भी बचेगा , नई किताबे आपकी मिलेगी और घुमक्कड़ी भी हो जाएगी।

और हां, यह अब शायद संडे मार्केट नहीं रहा हैं क्योंकि किताबे अब सड़क किनारे मिलने के बजाय दुकानों में मिल रही थीं, जो पूरे सप्ताह भर खुली रहती हैं। पास में ही म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स का भी बढ़िया मार्केट हैं,जहां अगली बार होके आना हैं।

Note:संडे वाला बाजार , जो कि सड़क किनारे लगता था,अब वो डिलाइट के सामने महिला हाट की पार्किंग में शिफ्ट हो गया है।

"चलो चले कैलाश" तो आप सीधे मुझसे भी मंगवा सकते हैं।

धन्यवाद

Photo of Daryaganj by Rishabh Bharawa
Photo of Daryaganj by Rishabh Bharawa
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