कुछ यूं करें काशी के अस्सी से रामेश्वरम के छोर तक की यात्रा!

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सफर खूबसूरत होता है तो मंजिल भी खूबसूरत हो जाती है शायद इसलिए घुमक्कड़ हर सफर को खास बनाने की कोशिश में रहते हैं। आपने बहुत सारे सफर किए हों या फिर न किए हों लेकिन आपको एक सफर पर जरूर जाना चाहिए, काशी से रामेश्वरम तक का सफर। बनारस जिसे पूरी दुनिया की सबसे पुरानी और भारत की सांस्कृतिक राजधानी कहते हैं। इस शहर में सुबह हर-हर महादेव से होती है। ऐसा शहर जहाँ आकर हर कोई घुल जाता है। वहीं तमिलनाडु का रामेश्वरम भारत के चारों धामों से एक है। उत्तर में काशी का जो दर्जा है रामेश्वरम का वही महत्व दक्षिण भारत में है। एक आध्यात्मिक शहर से दूसरे धार्मिक नगर तक की यात्रा है काशी से रामेवश्वरम।

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काशी का अस्सी

बनारस में एक तो फेमस है, गंगा और दूसरा अस्सी मोहल्ला। पूरा बनारस एक तरफ और काशी का अस्सी एक तरफ। इसी मोहल्ले के बारे में कहा गया है जो मजा बनारस में, वो मजा न पेरिस में न फारस में। इसी मोहल्ले पर काशीनाथ सिंह ने किताब भी लिखी है। काशी के अस्सी की गलियाँ आपका मन भा लेंगी। अगर आपने बनारस देखा और काशी का अस्सी न देखा तो बनारस देखना अधूरा है। अगर आप काशी से रामेश्वरम की यात्रा करना चाहते हैं तो पहले काशी के अस्सी की यात्रा कीजिए। यहाँ की गलियों में घूमिए, यहाँ की जलेबी और कचौड़ी खाइए। जब काशी का अस्सी अच्छे से देख लो तब फिर रामेश्वरम के लिए निकल पड़िए।

कैसे पहुँचे?

बनारस से रामेश्वरम की दूरी 2400 किमी. है। कुल मिलाकर ये एक छोर से दूसरे छोर की यात्रा है। वाया रोड जाना बहुत खर्चीला और समय लेगा। कई सारी चीजें मैनेज करनी पड़ेगी, ये यात्रा बहुत मुश्किल है। फ्लाइट से जाना तो बनता भी नहीं है क्योंकि फिर सिर्फ रामेश्वरम देख पाएंगे, वो कोई यात्रा नहीं कहलाएगी। इससे काशी से रामेश्वरम जाने के लिए सबसे बढ़िया विकल्प है, ट्रेन। ट्रेन के सफर का अलग ही मजा है। जब आप एक छोर से दूसरे छोर की यात्रा करेंगे तो अलग-अलग जगह के लोगों से मिलेंगे। आप उनको भाषा, पहनावे से समझ पाएंगे। काशी से रामश्वेरम जाने के लिए ट्रेन सबसे सही ऑप्शन रहेगा।

काशी से रामेश्वरम

काशी से रामेश्वरम जाने के लिए आपको कई ट्रेन मिल जाएंगी। नई दिल्ली से तिरुवंतपुरम जाने वाली टेन में आप रामेश्वरम तक जा सकते हैं। लंबे सफर के लिए खाने-पीने का कुछ सामान आपके पास जरूर होना चाहिए। अगर आप ग्रुप में जा रहे हैं तब तो आपका समय आराम से निकल जाएगा लेकिन अगर आप अकेले जा रहे हैं तब आपको अपने पास पढ़ने के लिए किताब जरूर रखनी चाहिए। वैसे ट्रेन में किताब की जरूरत कम ही पड़ेगी क्योंकि अजनबी होने पर भी लोग एक-दूसरे से बात करते-रहते हैं।

ट्रेन कुछ घंटों के बाद राजस्थान से गुजरेगी। कोटा स्टेशन के बाद फर्राटे की तरह भागती हुई ट्रेन आपको गुजरात और फिर महाराष्ट्र पहुंचा देगी। महाराष्ट्र में घुसते ही आपको हरियाली ही हरियाली दिखाई देगी। ये नजारे आपको खिड़की के बाहर से नजरें हटने नहीं देंगे। कुछ देर आप महाराष्ट्र के रत्नागिरी पहुँचेंगे। रत्नागिरी कोंकण रेलवे लाइन में आता है। कोंकण रेलवे लाइन महाराष्ट्र के रोहा से शुरू होती है और कर्नाटक के ठोकुर तक जाती है। पहाड़ और समुद्र के नजारे दिखाता ये सफर आपको आनंद से भर देगा। ऐसे नजारे देखने के बाद आपको समझ आएगा कि ट्रेन की खिड़की से एक जैसे नजारे नहीं दिखाई देते हैं।

कोंकण रेलवे लाइन

रत्नागिरी के नजारे आपका मन मोह लेंगे। ये नजारे देखने के लिए आपको खिड़की कम लगेगी और आप दरवाजे पर जरूर जाना चाहेंगे। ये जगह सहयाद्रि पहाड़ियों से घिरी हुई। पहली बार ट्रेन यात्रा में आपको इतने करीब से पहाड़ देखने को मिलेंगे। इसे देखने के बाद लगता है कि पहाड़ों को काटकर ट्रेन के लिए रास्ता बनाया गया है। कई घंटों तक आपको ऐसे ही नजारे देखने को मिलेंगे। सावंतवाड़ी रेलवे स्टेशन महाराष्ट्र का अंतिम छोर है इसके बाद गोवा की सीमा शुरू हो जाती है। कोंकण रेलवे लाइन में गोवा का भी एक बड़ा हिस्सा आता है।

ट्रेन से आपको गोवा में बहुत दूर समुद्र दिखाई देगा। गोवा में भी आपको हरियाली ही हरियाली नजर आएगी। खूबसूरत वादियों, नदियों, झीलों और झरनों के नजारों को देखते हुए ट्रएन गोवा के बाद कर्नाटक में प्रवेश करती है। यहाँ आपको उडुपी और मंगलौर जैसे स्टेशन भी मिलेंगे। कर्नाटक की मनोहरी छंटा आपकी आत्मा खुश कर देगी। नदियों में नावों के नजारे देखते हुए सफर आगे बढ़ता रहेगा। अब तक आपको समझ आ जाएगा कि रामेश्वरम ट्रेन से जाना क्यों सही है?

विविधता

भारत देश में कितनी विविधता है? आप अब तक के अपने सफर में समझ गए होंगे। काशी से राजस्थान फिर गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा और अब कर्नाटक आ चुके थे। आसपास के लोग एक देश के थे लेकिन बोली, पहनावा और संस्कृति पूरी तरह देखने को मिलेगी। आप केरल के तिरुवंतपुरम तक ट्रेन से जाइए फिर यहाँ से वाया रोड जाना सही रहेगा। आप यहाँ के कोवलम बीच को देख सकते हैं। अगर आप समुद्र पहली बार देखेंगे तो ये नजारा आपका मन मोह लेगा। समुद्र की विशालता को देखकर लगेगा कि ये अपने में सब कुछ समा लेगा।

इसके बाद आपको पद्नाभस्वामी मंदिर जाना चाहिए। 5 हजार साल पुराने इस मंदिर में भगवान विष्णु की लेटी हुई मूर्ति है। माना जाता है कि इस मंदिर को राजा मार्तंड ने बनवाया था। इस मंदिर में जाने के लिए पुरूषों को धोती और महिलाओं का साड़ी पहनना अनिवार्य है। तिरुवंतपुरम से कन्याकुमारी की दूरी लगभग 90 किमी. है। यहाँ तक जाने के लिए आपको भाषा की जरूर दिक्कत आएगी लेकिन घूमने में भाषा समस्या हो ही नहीं सकती। आजकल तो टेक्नलोजी ने इसे और भी आसान कर दिया है।

भारत का आखिरी छोर

वाया रोड कन्याकुमारी जाने पर रास्ते में आपको केरल अच्छे-से समझ आएगा। आप यहाँ के घर और लोगों के जीवन को रास्ते में देख पाएंगे। अगर आप केरल में हैं तो यहाँ के नारियल पानी का स्वाद जरूर लेना चाहिए। इसके अलावा केले के पत्ते पर खाने का स्वाद लेना भी बनता है। दक्षिण भारत में ही साउथ इंडियन खाने का सही स्वाद आपको समझ आएगा। लगभग 2-3 घंटे के सफर के बाद आप कन्याकुमारी पहुँचेंगे। ये भारत का आखिरी छोर है। हर किसी को एक बार कन्याकुमारी जरूर आना चाहिए।

भारत के आखिरी छोर पर समुद्र की लहरों की आवाज किसी संगीत की तरह लगती है। आपको भी वैसा ही संगीत यहाँ सुनाई देगा। कन्याकुमारी में तीन महासागरों का मिलन होता है, हिन्द महासागर, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी। इसी समुद्र में एक पहाड़ जैसा भारी भरकम पत्थर है जिस पर स्वामी विवेकानंद ने तपस्या की थी। किवंदती है कि पार्वती ने भगवान शिव से शादी के लिए इसी पत्थर पर तपस्या की थी। कन्याकुमारी को देखने के बाद आप रामेश्वरम जाएं। कन्याकुमारी से रामेश्वरम की दूरी लगभग 310 किमी. है।

रामेश्वरम

कन्याकुमारी से रामेश्वरम जाने के लिए आपको बस से जाना पड़ेगा। रास्ते में आपको नमक के खेत मिलेंगे। लगभग 5 घंटे के सफर के बाद आप रामेश्वरम पहुँचेंगे। रामेश्वरम को दक्षिण भारत का काशी कहा जाता है। 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक रामेश्वरम में है। कहते हैं कि भगवान राम ने यहीं पर समुद्र से रास्ता मांगने के लिए तपस्या की थी। जब समुद्र नहीं माना तो भगवान राम ने अग्निबाण निकाला था। रामेश्वरम में बहुत सारे मंदिर हैं जिनको आप देख सकते हैं। यहाँ के मंदिरों का आर्किटेक्चर देखकर आप हैरान रह जाएंगे।

रामेश्वरम को देखने के बाद आप धनुषकोड़ी जा सकते हैं। रामेश्वरम से धनुषकोड़ी की दूरी 26 किमी. है। इसके बाद मदुरई जा सकते हैं। मदुरई का मीनाक्षी मंदिर को देख सकते हैं। मीनाक्षी मंदिर भारत के सबसे पुराने मंदिरों में से एक हैं। इन जगहों की यात्रा के बाद ही आपकी काशी से रामेश्वरम की यात्रा पूरी होगी।

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