मसूरी से कुछ ही दूर है मौत की खदान, गूंजती है मृत मजदूरों की आवाजें

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Photo of मसूरी से कुछ ही दूर है मौत की खदान, गूंजती है मृत मजदूरों की आवाजें by आशीष रंजन

दोस्तों की बैठक सजी हो, किस्से-कहानियों का दौर चल रहा हो, और हॉरर यानी कि भूतिया किस्से न हो, ऐसा हो ही नही सकता। हॉरर कहानियां, हॉन्टेड घोषित हो चुके स्थानों का विवरण और वहां घूमने जाने की योजना बनाना, ये लगभग सभी दोस्तों के समूह में होता है। पर ऐसी जगहों पर जाने की योजना बनाना एक बात है और यहां जाना दूसरी बात। तमाम अड़चनो के बावजूद अगर आप किसी हॉरर ट्रिप पर जाने में सफल हो जाते हैं तो यकीनन आप किस्मत वाले हैं।

आइये आपको रूबरू कराते हैं ऐसे ही एक हॉरर ट्रिप के किस्से से। जब आप मसूरी की तरफ बढ़ते हैं तो पहाड़ो की रानी से ठीक दस किलोमीटर पहले आता है लाम्बी देहार माइंस। सड़क के बाईं तरफ पहाड़ी ढ़लान पर एक बड़े क्षेत्र में बंद पड़े खदान की उजड़ी हुई इमारते अपने अतीत के खौफनाक होने का एहसास कराती है। पुराने जमाने मे यहां चुना पत्थर की खदान हुआ करती थी जहां हजारों की संख्या में मजदूर काम करते थे। बताते हैं कि नब्बे के दशक के शुरुआती कुछ सालों में यहां अचानक मजदूरों के मौत का सिलसिला शुरू हो गया। एक-एक करके कई मजदूर खून की उल्टियां कर के दम तोड़ने लगे। जानकर बताते हैं कि मजदूरों की मौत का मंजर बेहद खौफनाक और दर्द भरा होता था। प्रारम्भिक जांच में पता चला कि खनन के गलत तरीकों के इस्तेमाल की वजह से मजदूरों के फेफड़ों में जहरीले रसायन भर गए थे जिसके फलस्वरूप उनका स्वसन तंत्र जवाब दे देता था और उनकी तड़प-तड़प कर मौत हो जाती थी। जब तक कारण जान कर उनपर रोक लगाई जाती कुछ ही सालों में एक-एक कर पचास हजार मजदूर काल के गाल में समा चुके थे। हालांकि ये आंकड़े अपुष्ट है पर बड़ी संख्या में मजदूरों की मौत का सरकारी रेकॉर्ड भी मौजूद है।

Photo of मसूरी से कुछ ही दूर है मौत की खदान, गूंजती है मृत मजदूरों की आवाजें by आशीष रंजन
Photo of मसूरी से कुछ ही दूर है मौत की खदान, गूंजती है मृत मजदूरों की आवाजें by आशीष रंजन

साल 1996 में बंद किये गए लम्बी देहार माइंस को उत्तराखंड के सबसे डरावने जगहों की सूची में शामिल किया जाता है। आज भी इस खदान के आस-पास रहने वाले कई गांवों के लोग यहां होने वाली विचित्र घटनाओं के किस्से सुनाते हुए कांप जाते है। स्थानीय लोगों के मुताबिक अब भी कई बार यहां रात को अजीबोगरीब चीखें सुनाई देती है। पहले के जमाने में पास से होकर गुजरती सड़क पर आते-जाते राहगीरों से कोई चीख-चीख कर मदद मांगता था और इससे कई सारे हादसे होते थे। आज भी खदान के समानांतर सड़क का हिस्सा हादसों का हॉटस्पॉट है। स्थानीय लोग भी रात को यहां जाने से डरते हैं और बताया जाता है कि यहां पर एक हेलीकॉप्टर भी क्रैश हो चुका है। पैरानॉर्मल एक्सपर्ट्स ने भी यहां नकारात्मक शक्तियों के मौजूदगी पर मुहर लगाई है वहीं कई प्रत्यक्षदर्शियों के फर्स्ट हैंड एकाउंट इस जगह की भयावहता की कहानी सुनाते हैं।

हालांकि दिन में लाम्बी देहार में किसी प्रकार की अनहोनी का खतरा नही होता इसलिए धीरे-धीरे ये एक पर्यटन केंद्र के रूप में प्रसिद्ध होता जा रहा है। मसूरी आने वाले पर्यटक यहां रुक कर कुछ वक़्त बिताना पसन्द करने लगे हैं। यही नहीं यहां पर हॉरर फिल्मों और सीरियल्स की शूटिंग भी शुरू हो गई है और पर्यटकों के फोटो शूट के लिये भी यह परफेक्ट लोकेशन है।

कैसे पहुंचे लाम्बी देहार?

लाम्बी देहार जाने के लिए आपको अलग से योजना बनाने की आवश्यकता नही है, आप अपने मसूरी ट्रिप में से एक घण्टा इस जगह को दे सकते है। अगर आप मसूरी नहीं जा रहे है तो देहरादून से लाम्बी देहार की दूरी तकरीबन 30 किलोमीटर है। निजी वाहन से यहां पहुंचने में लगभग एक घण्टे का वक़्त लगता है। वहीं आप चाहें तो मसूरी से निजी वाहन या कैब लेकर भी यहां पहुंच सकते है। मसूरी के लाइब्रेरी चौक से इस खदान की दूरी दस किलोमीटर है। लाम्बी देहार के साथ आप जॉर्ज एवरेस्ट भी जा सकते हैं जहां कैम्पिंग के विकल्प भी मौजूद है। एक दिन के ट्रिप के लिए ये बेहद रोमांचक और खूबसूरत पिकनिक डेस्टिनेशन है। शाम के बाद लाम्बी देहार माइन्स की तरफ जाने का सुझाव नही दिया जाता है क्योंकि आस-पास की जनसंख्या न के बराबर है और किसी मुश्किल परिस्थिति में मदद के लिये आपको शायद ही कोई मिलेगा।

लाम्बी देहार के बाहर अब कुछ पर्यटक आने लगें है तो आपको कुछ अस्थायी दुकानें और ठेला इत्यादि मिल जाएंगे जहां से आप पानी और पैक्ड फूड ले सकते हैं पर बेहतर यही होगा कि आप अपना खाना घर या होटल से ही लेकर आएं। पहाड़ी ढलान पर पुरानी खदान यानी खतरे को निमंत्रण, ऐसे में आप रस्ट्रिक्टेड जोन में प्रवेश न करें और किसी भी तरह के दुस्साहस का प्रयास भी न करें क्योंकि ऐसे स्थान जितने रोमांचक होते है उससे कहीं अधिक क्रूर होते है।

दोपहर में जब हम लाम्बी देहार पहुंचे थे तब वहां अच्छी खासी भीड़ थी इसलिए किसी बुरी शक्ति ने हमें तो दर्शन नही दिया पर क्या पता आपकी किस्मत बेहतर हो इसलिए एक बार घूम आइये। दोस्तों को सुनाने के लिए नई कहानियां मिलेंगी

घूमने का अनुमानित समय: 2 घण्टे

अनुकूल वक़्त: बरसात के अलावा पूरे साल भर सुबह से शाम तक

खर्च: मसूरी से कैब के 200-300 रुपये। साथ ही वहां से निकल कर मसूरी रोड के किसी मैग्गी पॉइंट पर दोस्तो संग चाय-मैग्गी का लुत्फ उठा सकते हैं। पहाड़ो में मैग्गी के प्लेट की न्यूनतम कीमत 50 रुपये है।

आस-पास अन्य पर्यटन स्थल: हाथीपांव, जॉर्ज एवरेस्ट, क्लाउड एन्ड।

मुख्य इमारत

Photo of Lambi Dehar Mines by आशीष रंजन

खूबसूरत पेंटिंग

Photo of Lambi Dehar Mines by आशीष रंजन
Photo of Lambi Dehar Mines by आशीष रंजन
Photo of Lambi Dehar Mines by आशीष रंजन

खदान क्षेत्र

Photo of Lambi Dehar Mines by आशीष रंजन

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