No entry -: भारत के वह स्थान जहां भारतीयों का ही जाना मना है, जानकर होगी आपको भी हैरानी-

Tripoto
27th Jul 2021
Photo of No entry -: भारत के वह स्थान जहां भारतीयों का ही जाना मना है, जानकर होगी आपको भी हैरानी- by Pooja Tomar Kshatrani
Day 1

भारत का कोई भी नागरिक घूमने फिरने के लिए देश के किसी भी हिस्से में जा सकता है। देश का संविधान यहां के नागरिकों को ये अधिकार देता है कि वो देश के भीतर जहां चाहे घूमे फिरे। लेकिन क्या सच में ऐसा है? आपको शायद यकीन न हो लेकिन हमारे भारत में ही ऐसी कई जगहें हैं, जहां भारतीयों को ही जाना मना है। आप चाहकर भी वहां नहीं जा सकते।

उन जगहों पर भी भारत सरकार का ही कानून चलता है लेकिन फिर भी वहां, यहां के नागरिकों को जाने की मनाही है। उन जगहों पर सिर्फ विदेशी जा सकते हैं। ये हैरानी की बात है कि भारत की धरती पर मौजूद उन हिस्सों में विदेशी जा सकते हैं लेकिन भारतीय नहीं। कई मौकों पर इसको लेकर विवाद भी हुए हैं। लेकिन भारतीयों को जाने की मनाही वहां अब भी जारी है। आइए कुछ ऐसी ही जगहों के बारे में जानते हैं।

1. सेंटिनल द्वीप, अंडमान -

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नॉर्थ सेंटिनल द्वीप केंद्र शाषित प्रदेश अंडमान-निकोबार की राजधानी पोर्ट ब्ल्येर से महज 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पोर्ट ब्ल्येर से नजदीक होने के बावजूद आज तक इस द्वीप से संपर्क नहीं जुड़ पाया है। मानो वह कहना चाहते हैं कि उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया जाए। उन्हें किसी बाहरी व्यक्ति से कोई सरोकार नहीं है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस द्वीप पर कुछ लोग ही रहते हैं। जब कभी किसी बाहरी व्यक्ति ने इस द्वीप पर जाने की कोशिश की है। उसे इसकी कीमत जान देकर चुकानी पड़ी है।

कई बार सरकार की तरफ से भी कोशिश की गई है, लेकिन द्वीप के स्थानीय निवासियों ने सरकार की मदद को ठुकरा दिया है। कई बार लोगों ने यहां के स्थानीय निवासियों से संपर्क साधने की कोशिश की, लेकिन यहां के लोग किसी बाहरी व्यक्ति से दोस्ताना संबंध नहीं रखना चाहते हैं। इस वजह से यह द्वीप आज भी रहस्मयी है।

2. फ्री कसोल कैफे, कसोल, हिमाचल प्रदेश-

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कासोल में ही है एक इजरायली कैफे जिसका नाम है- फ्री कासोल कैफे। यहां आपको हर जगह हिब्रू भाषा में लिखे बैनर-पोस्टर दिख जाएंगे। यहां इजरायलियों का पसंदीदा खाना मिल जाएगा। 2015 में ये कैफे उस वक्त चर्चा में आ गया, जब एक भारतीय महिला को कैफे ने सर्व करने से मना कर दिया। बताया गया कि इस कैफे के भीतर पासपोर्ट देखकर ही जाने दिया जाता है।

इस कैफे में अपने साथ हुई घटना की कहानी महिला ने फेसबुक पर शेयर की। जिसके बाद इसकी कहानी वायरल हो गई। इस कैफे को लेकर लंबे-लंबे लेख लिखे गए। बताया गया कि कासोल की एक महिला ने इस जगह को एक इजरायली को लीज पर दे रखा है। उसने सिर्फ इजरायलियों को ध्यान में रखकर यहां की व्यवस्था कर रखी है। इसलिए स्थानीय लोग यहां जाना पसंद भी नहीं करते हैं।

3. गोवा में सिर्फ विदेशियों के लिए बीच-

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गोवा में मौजूद कुछ बीच को Foreigners only Beach कहा जाता है। यहां पर भारतीयों का जाना मना है। इन बीच पर Foreigners only लिखा होता है। इन बीचों पर विदेशी सैलानी बिकिनी और शॉर्ट्स पहनकर घूमते रहते हैं। कहा जाता है कि भारतीय पुरुषों से बचाने के लिए उन्हें इन जगहों पर जाने की इजाजत नहीं दी जाती। गोवा के कई बीचों पर ऐसा होता है।

अंजुना बीच एक ऐसा ही बीच है, जहां भारतीय नहीं देखे जाते। इन बीचों की रखवाली गोवा के स्थानीय लोग ही करते हैं। वहां देशी पर्यटकों को जाने नहीं दिया जाता है। कई जगहों पर स्थानीय गुंडों की मदद से वहां लोकल सैलानियों को जाने से रोका जाता है। गोवा में विदेशी पर्यटकों के ज्यादा से ज्यादा आने को प्रेरित करने और उन्हें सुरक्षा मुहैया करवाने के लिहाज से ऐसे कदम उठाए जाते हैं।

4.  पॉन्डिचेरी में सिर्फ विदेशियों के लिए बीच -

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पुदुचेरी का “फोर्नर्स ओनली” समुद्र तट भी गोवा के फोर्नर्स ओनली में समुद्र तट के तरह दावा करते हैं कि बीच पर स्थित होटल के मालिक अनपे विदेशी मेहमानों को भारतीयों से बचाने के लिए उनका प्रवेश वर्जित कर दिया है। पुदुचेरी के समुद्र तट पर रेस्तरां हैं जो केवल विदेशियों की सेवा करते हैं और भारतीयों का स्वागत नहीं करते। वे विशेष रूप से विदेशियों के लिए आरक्षित हैं।

5. ब्रॉडलैंड लॉज, चेन्नई, तमिलनाडु-

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चेन्नई कहने को तो भारत का ही एक हिस्सा है लेकिन यहां कई ऐसे होटल मौजूद हैं जहां भारतीयों के आने पर प्रतिबंध लगा हुआ है। इसमें सबसे मुख्य है ब्रॉडलैंड लॉज। दरअसल यह लॉज पुराने समय में राजा-महाराजा का महल हुआ करता था जो आज के समय में एक होटल बन गया है और 'नो इंडियन पॉलिसी' पर चलता है। यहां सिर्फ विदेशियों को ही रहने के लिए कमरे दिए जाते हैं। ब्रॉडलैंड्स होटल चेन्नई में एक आलीशान, ब्रिटिश शैली की संपत्ति है जो केवल विदेशी पासपोर्ट वाले लोगों को कमरे उपलब्ध कराती है।  यह कुछ भारतीयों को भी अनुमति देता है लेकिन उनके अधिकांश अतिथि विदेशी हैं।  फरवरी 2020 में वापस, एक व्यक्ति ने एक समीक्षा पोस्ट की, जिसमें बताया गया कि कैसे आरक्षण के बावजूद उसे इस होटल में एक कमरे से वंचित कर दिया गया था।  स्टाफ ने उन्हें अपना कमरा तभी ऑफर किया जब उन्हें पता चला कि उन्होंने ऑनलाइन बुकिंग की है अन्यथा वे उनके दिशानिर्देशों के साथ सख्त थे।

6. यूनो-इन होटल, बेंगलुरु -

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साल 2012 में बेंगलुरु में स्थित यह होटल Uno-In खास तौर से जापानी लोगों के लिए बनाया गया था। लेकिन अपने एक नियम के चलते यह होटल जल्द ही विवादों से घिर गया। साल 2014 में यह तब चर्चा में आया था, जब होटल स्टॉफ ने भारतीय लोगों  को रूफ टॉप रेस्तरां में जाने से रोक दिया। इस बात को लेकर यहां काफी विवाद भी हुआ। जिसके बाद साल 2014 में ग्रेटर बेंगलुरु सिटी कॉर्पोरेशन ने जातीय भेदभाव के आरोप में इस होटल को बंद करवा दिया। आज, यह ओयो रूम्स का हिस्सा है और भारतीयों को भी आतिथ्य प्रदान करता है।

7. हिमाचल प्रदेश का मलाना गाँव -

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मलाना एक प्राचीन भारतीय गाँव है जिसे अलेक्जेंडर महान द्वारा 326 ईसा पूर्व में बसाया गया था| उस समय के कुछ घायल सैनिक जो यहाँ रूक गए थे उन्हें ही मलाना के लोग अपना पूर्वज मानते हैं| इन ग्रामीणों को ‘मुझे मत छुओ’  उपनाम से भी जाना जाता है क्योंकि इनके सामान को छूने की अनुमति किसी को नहीं है| यहाँ तक कि लोगों को इस गांव की सीमाओं को पार करने की भी अनुमति नहीं है। इस गाँव की भाषा ‘कंशी’ है, जो पवित्र मानी जाती है और बाहरी लोग इस भाषा का प्रयोग नहीं कर सकते हैं| इसके अलावा बाहरी व्यक्तियों को वे अपने मंदिरों में प्रवेश की अनुमति भी नहीं देते हैं क्योंकि ग्रामीण बाहरी व्यक्तियों को अछूत मानते हैं| मलाना जलविद्युत स्टेशन नामक एक बांध परियोजना इस गाँव को बाकी दुनिया के करीब लाया है और यह परियोजना इस क्षेत्र में राजस्व प्राप्ति का एकमात्र स्रोत है।

8. सकुरा रयोकान रेस्तरां, अहमदाबाद -

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यह अहमदाबाद में एक जापानी रेस्तरां है जो भारतीयों को आने की अनुमति नहीं देता है। यह भारत के उन स्थानों में से है जहाँ भारतीयों को अनुमति नहीं है, और वे केवल जापानी लोगों की सेवा करते हैं। हालांकि, जगह का मालिक भारतीय मूल का है और वह इस भेदभाव के पीछे का कारण बताता है कि रेस्तरां में वेट्रेस भारतीय मेहमानों द्वारा निरंतर घूरने से परेशान थी। इसलिए, इस रेस्तरां के मालिक ने इस नियम को लागू किया।

9. नोरबुलिंगका कैफे, धर्मशाला -

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धर्मशाला में एक लुभावने स्थान पर स्थित, नोरबुलिंका कैफे सुंदर बगीचों और मठों से घिरा हुआ है।  दुर्भाग्य से, यह आश्चर्यजनक कैफे भारतीयों के लिए दरवाजे नहीं खोलता है।  जैसा कि रिपोर्ट किया गया है, यहां तक ​​​​कि भारतीयों जैसे दिखने वाले लोगों को भी कैफे परिसर में प्रवेश करने की मनाही है।

10. रशियन कॉलोनी, कुंदनकुलम -

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यह कुंदनकुलम परमाणु ऊर्जा परियोजना के पास एक आवासीय कॉलोनी है।  भारतीयों को इस कॉलोनी में प्रवेश की अनुमति नहीं है।  कॉलोनी उन रूसियों को समायोजित करती है जो बिजली परियोजना पर काम करते हैं।  इसमें क्लब हाउस, होटल और भी बहुत कुछ है।

11. रेड लाॅलीपाॅप होस्टल, चेन्नई -

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यह हॉस्टल चेन्नई के केंद्र में स्थित हैं, जिन्हें सिर्फ अप्रवासियों के लिए बनाया गया है। इनके वेबसाइट को आप चेक करेंगे तो आपको लिखा मिलेगा कि ये भारत में अपने तरह का एकलौता हॉस्टल है, जो सिर्फ भारत आने वाले अप्रवासियों के लिए बनाया गया है। यहां पासपोर्ट के आधार पर रहने की अनुमति मिलती है। इंटरनेशनल स्टैंडर्ड के इन हॉस्टल और लॉज में भारतीय सैलानियों को प्रवेश निषेध रखा गया है।कोई भी अपने आराम और सुविधा के आधार पर मिश्रित डॉर्म, फीमेल डॉर्म या बजट ट्विन डॉर्म का विकल्प चुन सकता है। आपको नहीं लगता यह कुछ ज़्यादा ही ज्यादती है भारतीयों के साथ।

12. चोलामू लेक, सिक्किम -

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यह झील विश्व की ऐसी झीलों में शामिल है जो विश्व की सबसे ऊँचाई पर स्थित है। यह झील भारत के सिक्किम के उत्तर में स्थित है। इस झील का प्राकृतिक सौंदर्य बहुत ही खूबसूरत और आकर्षक दिखाई देता है। इस जगह की वीडियोज और फाॅटोज देखने पर ऐसा लगता है कि हम सब कुछ छोड़कर यहां पर रहने चले जाये। जो भी शख्स इस जगह पर आकर रुकता है वह अपनी सारी परेशानियों और थकान को भूल सा जाता है। यह चीन की सरहदी सीमा से मात्र 4 किमी दूर होने के कारण प्रवासी को कम जाने दिया जाता है। यहां घूमने के लिए सिक्किम सरकार की विशेष परमिशन लेनी पड़ती है और वह परमिशन आम लोग नहीं केवल मिलिट्री के लोग ही ले सकते है। यहां पर हर समय सिक्किम पुलिस और भारतीय थल सेना मौजूद रहती है।


13. सियाचिन ग्लेशियर -

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सियाचिन ग्लेशियर को दुनियाभर में सबसे ज्यादा ऊंचाई पर बने युद्धस्थल के तौर पर जाना जाता है। भारत - पाक नियंत्रण रेखा के पास स्थित इस ग्लेशियर का प्राकृतिक इतिहास भी है। यह भारत का सबसे बड़ा और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ग्लेशियर है। जो ध्रुवीय इलाके से बाहर बना है। लगभग 78 किमी में फैला सियाचिन ग्लेशियर कई वजहों से खास माना जाता है। हिमालय के पूर्वी काराकोरम पर्वतमाला में  बने सियाचिन ग्लेशियर का नाम हमने अक्सर भारत - पाक विवाद के बीच ही सुना होगा। लेकिन इससे अलग भी कई बातें जानने लायक है। सियाचिन नाम तिब्बती भाषा बाल्टी से लिया गया है। इसमें 'सिया' का मतलब है  ' गुलाब' और 'चिन' का अर्थ है बिखरा हुआ। हालांकि यह नाम यहां की परिस्थितियों को देखते हुए बिल्कुल अलग है। यहां चारों तरफ बर्फ ही बर्फ है और लगातार अंधड़ चलता रहता है। यही वजह है कि देश के लिए सामरिक दृष्टिकोण से बेहद अहम इस ग्लेशियर को मौत की घाटी भी कहते हैं। समुद्र तल से औसतन 18000 फीट की ऊंचाई पर स्थित सियाचिन ग्लेशियर के एक तरफ पाकिस्तान की सीमा है तो दूसरी तरफ चीन की सीमा अक्साई चीन इस इलाके में है। भारत को इन दोनों देशों पर नजर रखने के लिए इस क्षेत्र में अपनी सेना तैनात करना बहुत जरूरी है। सरहद होने और दुर्गम प्रदेश होने के कारण यहां लोगों के आने जाने पर पाबंदी लगी हुई है फिर भी सरकार की विशेष परमिशन के साथ यहाँ विजिट किया जा सकता है।



14. शक्सगाम-

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इस खूबसूरत शक्सगाम वैली में भारतीयों का जाना मना है। कश्मीर के उत्तरी काराकोरम पर्वतों के बीच से होकर गुजरने वाली शक्सगाम नदी के दोनों ओर फैले इलाके को ही शक्सगाम वैली के नाम से जाना जाता है। इस वैली को ट्रांस काराकोरम ट्रैक्ट के नाम से भी जाना जाता है। यह दक्षिण में काराकोरम रेंज और उत्तर में कुन लून पर्वत श्रृंखला के बीच स्थित शक्सगाम वैली लगभग 5,800 वर्ग किमी के इलाके में फैला हुआ है। इस स्थान तक पहुंचना काफी मुश्किल है, जिसके कारण यह इलाका आज भी ज्यादातर लोगों की पहुंच से दूर है और इसकी प्राकृतिक सुंदरता जस-की-तस बनी हुई है। यह आधिकारिक रूप से भारत का हिस्सा है, लेकिन 1947-48 में हुए भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान ने इसे अपने कब्जे में ले लिया था। इस घाटी से भारत, पाकिस्तान और चीन के अलावा अफगानिस्तान व ताजिकिस्तान की सीमाएं लगती हैं, जिसके कारण यह भारत के लिए राजनीतिक रूप से काफी अहम है। कई लोग इस वैली का नाम पहली बार सुन रहे होंगे, लेकिन भारत के नक्शे पर यह हमेशा से मौजूद है। दुनिया के कुछ सबसे ऊंचे पर्वतों से घिरा हुआ यह इलाका पीओके का हिस्सा है।