भारत की ये जगहें चाय के शौकीनों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं हैं

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घुमक्कड़ी में एक चीज ऐसी होती है जिसका साथ हर किसी को अच्छा लगता है। वो है अच्छी चाय। अगर आपका सफर आरामदायक ना भी हो लेकिन आपको बीच मे अच्छी चाय मिल जाए तो यात्रा की आधी से ज्यादा थकान वहीं खत्म हो जाती है। चाय को भारत का नेशनल ड्रिंक भी घोषित किया जा सकता है। यहाँ पर लोगों के दिन की शुरुआत चाय से होती है। फिर जैसे जैसे दिन चढ़ता है चाय के कपों की संख्या में भी वैसे इजाफा आता रहता है। कुछ चाय के शौकीन तो ऐसे होते हैं जो खासतौर से बढ़िया क्वालिटी की चाय खरीदने के लिए दूर तक चले जाते हैं। अगर आप जानना चाहते हैं कि भारत में सबसे बढ़िया चाय किन जगहों पर मिलती है तो आपकी कुछ मदद हम कर देते हैं।

1. असम

असम को भारत में सबसे ज्यादा चाय उत्पादन वाला इलाका कहा जाता है। यहाँ की काली चाय का अपना एक स्वाद है जो इसको चाय की बाकी सभी वैरायटी से एकदम अलग बनाता है। असम में आपको चाय के ढेर सारे बागान देखने के लिए मिलेंगे। वैसे बता दें असम में चाय की सीटीसी वैरायटी की खास पैदावार होती है। सीटीसी का मतलब क्रश, टियर और कर्ल करके बनाई जाने वाली चाय। सीटीसी उस प्रक्रिया का नाम है जिससे काली चाय बनाई जाती है। असम में काली चाय के अलावा सफेद और हरी चाय का उत्पादन भी किया जाता है। यहाँ साल में दो बार चाय की खेती की जाती है। आमतौर पर ये दोनों की वैरायटी बेहद स्वादिष्ट होती हैं लेकिन दूसरी पैदावार पहली के मुकाबले ज्यादा महंगी और खास होती है। यकीन मानिए यदि आप असम जाने का प्लान बना रहे हैं तो चाय के बागानों की सैर आपको लिस्ट में जरूर रखना चाहिए।

2. दार्जिलिंग

पश्चिम बंगाल के इस हिल स्टेशन में अकेले भारत का 25% चाय उत्पादन किया जाता है। दार्जिलिंग की चाय असम के मुकाबले कम भूरी लेकिन ज्यादा स्वाद से भारी होती है। इस चाय की महक हवा में घुलकर पूरा माहौल खुशबूदार बना देती है। दार्जिलिंग की चाय को चाय की शैंपेन कहा जाता है। खास बात ये भी है कि दार्जिलिंग चाय भारत का पहला खाद्य पदार्थ की जिसको सरकार ने जी आई टैग से सम्मानित भी किया था। दार्जिलिंग में चाय की कुल 5 फसलें होती हैं जिसमें दूसरी ओर तीसरी फसल सबसे ज्यादा कीमती मानी जाती है। अकेले दर्गीलिंग में चाय के कुछ 87 बागान हैं जिनमें पूरी तरह से चाय उत्पादन का काम किया जाता है। इनमें से ज्यादातर बागान अंग्रेजों के राज के समय से चले आ रहे हैं। जिसकी वजह से इनका कोलोनियल आर्किटेक्चर आज भी देखने लायक है। आप आराम से इन बागानों में घूम सकते हैं और अगर आप फसल कटने के समय जाएंगे तो हो सकता है आपको चाय पत्तियों को इकठ्ठा करने में मदद करने का भी मौका मिल जाए।

3. मुन्नार

केरल जैसे खूबसूरत और हरे-भरे राज्य में स्थित दक्षिण भारत के इस हिल स्टेशन में काम से कम 50 चाय के बागान हैं। इनमें से कुछ बागान ऐसे भी हैं जो ब्रिटिश सरकार के समय से चले आ रहे हैं। कनन देवन हिल्स वो नाम है जहाँ 1870 के दशक से चाय बनाने का काम किया जा रहा है। मुन्नार से लगभग 40 किमी. दूरी पर एक जगह है जिसका नाम कोलुक्कुमलाई। ये बागान कुछ 7,900 फीट की ऊँचाई पर स्थित है जिसकी वजह से इसको विश्व का सबसे ऊँचा चाय का बागान होने का गौरव भी मिला हुआ है। आप इन सभी बागानों में घूमने के लिए टूर बुक कर सकते हैं, चाय को बनते हुए देख सकते हैं और चख भी सकते हैं। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि भारत का सबसे पहला चाय म्यूजियम भी मुन्नार में स्थित है। जो नुल्लातन्नी टी एस्टेट में है। इस म्यूजियम में आप चाय से जुड़ी सदियों पुरानी चीजों के बारे में जान सकते हैं। इसमें कोई शक नहीं है कि चाय के दीवानों को ये जगह किसी जन्नत से कम नहीं लगेगी।

4. ऊटी

तमिलनाडु के इस खूबसूरत शहर को किसी परिचय की जरूरत नहीं है। ऊटी अपने आप में इटन मशहूर है कि हर घुमक्कड़ एक बार इसका चक्कर लगना चाहता है। चाहे आपको हनीमून मनाने के लिए डेस्टिनेशन की तलाश हो या आप अपने परिवार के साथ वेकेशन एन्जॉय करने के लिए जगह ढूंढ रहे हों, ऊटी में आपको बढ़िया चीजें मिल जाएंगी। यहाँ का कोलोनियल आर्किटेक्चर हर वेकेशन का मजा दोगुना कर देता है। इस हिल स्टेशन की असली पहचान हैं यहाँ के चाय के बागान जिनको देखने के लिए लोग खासतौर से ऊटी आना पसंद करते हैं। ऊटी टी फैक्ट्री, युनाइटेड नीलगिरी एस्टेट्स कुछ ऐसे नाम है जिन्होंने चाय की दुनिया में अपनी गहरी छाप छोड़ी है। खास बात ये है कि इन बागानों में ना केवल आप चाय को बांटे हुए देख सकते हैं बल्कि आप अपने साथ कुछ सूवेनियर भी याद के तौर पर घर ले जा सकते हैं।

5. पालमपुर

पहाड़ों में घूमना हर घुमक्कड़ की चाहत होती है। हर किसी की बकेट लिस्ट में एक बार हिमाचल की सैर करना जरूर शामिल होता है। वैसे पहाड़ों में यात्रा करते समय आपका सबसे बेहतरीन साथी चाय ही तो होती है। ऐसे में यदि आपको हिमाचल के उन्हीं पहाड़ों में ही चाय के बागान देखने के लिए मिल जाएँ तो क्या आप खुशी से नहीं झूम उठेंगे? पालमपुर के बागानों उच्च स्तरीय चाय का उत्पादन किया जाता है। यहाँ के बागानों में बनने वाली चाय की खुशबू आपको दूर से ही आने लगेगी। पालमपुर के बागानों में भी चाय को बनाने के लिए पुरानी और पारंपरिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। यहाँ क्वालिटी कंट्रोल पर खास ध्यान दिया जाता है। हर चाय पत्ती को अच्छे से परखकर बाकी पत्तियों के साथ मिलाया जाता है। जिससे आपको बेहतरीन दर्जे की चाय का स्वाद मिल सके। पूरे हिमाचल की पसंदीदा कांगड़ा चाय का श्रेय पालमपुर के इन्हीं बागानों को जाता है।

6. केलागुर

असम और तमिलनाडु में चाय का सफर जानने के बाद आपको कर्नाटक के केलागुर की सैर करने का मन बनाना चाहिए। वैसे ये जगह चाय और कॉफी दोनों के लिए बराबर से फेमस है। लेकिन इसमें चाय की थोड़ी ज्यादा भागीदारी है। केलागुर अपने विशाल और हरे भरे चाय के बागानों के लिए जाना जाता है। जहाँ पुराने और पारंपरिक तरीके से चाय बनाई जाती है। 1500 एकड़ जमीन मे फैले यहाँ के बागानों में लगभग 70 सालों से चाय बनाई जा रही है। यहाँ के बागान बाकी सभी जगह से एकदम अलग हैं। इन बागानों की फिजाओं में ही आपको चाय की महक आएगी जो पूरे माहौल को रुमानी बना देता है। केलागुर में इन बागानों की सैर करने के लिए आपको पहले से इजाजत केनी होती है। यदि आपके पास समय की कमी है तो आप किसी टूर कंपनी के जरिए चाय एस्टेट का टूर बुक करके भी यहाँ घूम सकते हैं।

7. वायनाड

केरल को आमतौर पर मसालों और बढ़िया क्वालिटी की कॉफी का गढ़ माना जाता है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि केरल में जितने अच्छे मसाले मिलते हैं, यहाँ चाय उत्पादन की उतनी ही बारीकी के साथ किया जाता है। केरल का मौसम और हरा भरा लैंडस्केप चाय की खेती करने के लिए बिल्कुल परफेक्ट है। वायनाड केरल की वो जगह है जहाँ बड़ी मात्रा में चाय बनाई जाती है। मुन्नार की तरह वायनाड में भी आपको चाय के बड़े-बड़े बागान मिलेंगे यहाँ स्वादिष्ट चाय तैयार की जाती है। इन बागानों में आप चाय बनाई की शुरुआती प्रक्रिया से लेकर उसकी पैकेजिंग तक सभी चीजें देख सकते हैं। बागानों से चाय की नरम-नरम पत्तियों को इकठ्ठा करने से लेकर उन्हें सुखाने और चाय पत्ती बनाने का सारा काम पुरानी तकनीकों द्वारा किया जाता है। जिससे चाय पत्तियों का असली स्वाद बरकरार रहता है। अगर आप कभी वायनाड जाएँ तो आपको भी इन बागानों को जरूर देखना चाहिए।

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