जब मैं अपने दोस्त की शादी के लिए इंदौर जाते समय भोपाल की यात्रा पर निकला तो मुझे ये नहीं पता था कि यहाँ मुझे एक बेहद शानदार और दिलचस्प जगह मिलेगी। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 45 किमी. दूर दक्षिण में विंध्य पहाड़ियों की रेंज में लगभग 700 गुफाओं की एक जगह है। इस जगह को भीमबेटका गुफाओं के नाम से जाना जाता है। रातापानी वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी से घिरी भीमबेटका गुफा को 2003 में यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल में शामिल किया गया है। इस जगह पर एक बार ज़रूर जाना चाहिए।
किंवदंती
भीमबेटका गुफाओं के बारे में काफ़ी किंवदंती है। भीमबेटका का नाम महाभारत के एक नायक भीम के नाम पर पड़ा है। भीमबेटका का अर्थ है, भीम की बैठने की जगह। भीम महाकाव्य महाभारत में 5 पांडव भाइयों में से एक भाई थे। किंवदंती के अनुसार, भीम और उनके पांडव भाई वनवास के दौरान इन गुफाओं में रूके थे। गुफाओं के बाहर भीम यहाँ के स्थानीय लोगों से मिलते थे।
खोज
भीमबेटका गुफाओं की खोज की भी एक दिलचस्प कहानी है। 1957 में एक ट्रेन इंजन की समस्या के कारण एक जगह पर रूक गई। ट्रेन में बैठे एक व्यक्ति ने खिड़की के बाहर झांका तो उसे कुछ दूरी पर असामान्य चट्टानों का एक समूह दिखाई दिया। एक स्थानीय व्यक्ति से वो ट्रेन से निकलकर उस जगह की ओर चल पड़ा। क़रीब से जिस व्यक्ति ने इस जगह को देखा और खोज की वे भारत के प्रसिद्ध पुरातत्वविद् वी. एस. वाकणकार थे। तब से इन गुफाओं को मानव इतिहास का सबसे प्रारंभिक स्थान माना जाता है। इस जगह को देखकर मानव विकास को समझा जा सकता है। भीमबेटका गुफाओं का समूह आपको एक अलग ही दुनिया में ले जाएगा।
एक अन्य प्रसिद्ध पुरातत्वविद् के. के. मोहम्मद के अनुसार, “यूरोप के अनुसार मनुष्य का संज्ञानात्मक विकास लगभग 40 हज़ार साल पहले हुआ था जबकि भीमबेटका में मनुष्य का संज्ञानात्मक विकास 1 लाख साल पहले हुआ था। अब हम ना केवल वाकणकर के नक़्शे क़दम पर चल रहे हैं बल्कि उस प्राचीन व्यक्ति के नक़्शे कदम पर चल रहे हैं जिसने मानव इतिहास का आकार बदल दिया।”
भीमबेटका गुफाएँ
भीमबेटका की गुफाएँ बिनेकी की 7 पहाड़ियों, भौंरावली, भीमबेटका, लाखा जुआर(पूर्व), लाखा जुआर(पश्चिम), मुनि बाबा की पहाड़ी और जावरा में फैली हुईं हैं। ये जगह शैल चित्रों और शैल आश्रयों का एक भंडार है। यहाँ पर पुरापाषाण और मध्यपाषाण काल से लेकर ताम्रपाषाण काल और मध्यकालीन काल तक फैला हुआ है। सिर्फ़ भीमबेटका पहाड़ी पर अब तक 243 आश्रयों की जाँच की गई है जिनमें से 133 आश्रयों में शैल चित्र है और 15 गुफाएँ सैलानियों के लिए खोली गई हैं।
दुनिया की सबसे पुरानी दीवारों की भीमबेटका गुफाएँ वास्तव में दक्षिण पश्चिम फ़्रांस में दॉरदॉग्ने की प्रागैतिहासिक गुफाओं से भी अधिक हैं। दॉरदॉग्ने की प्रागैतिहासिक गुफाओं को दुनिया की सबसे बड़ी गुफा माना जाता है। भीमबेटका गुफाओं में चट्टानों पर बनी चित्रकारी और विभिन्न शैलियों की आकृतियाँ विभिन्न कालखंडों के बीच सह-संबंध स्थापित करती हैं।
भूवैज्ञानिक युग और कला:
1. सबसे पुराना उत्तर पुरापाषाण काल है जिसे पुराना पाषाण युग भी कहा जाता है। इस युग में गैंडे और भालू के रैखिक प्रतिनिधित्व शामिल हैं।
2. मध्य पाषाण युग को मेसोलिथिक युग भी कहा जाता है। इस युग को चित्रों द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। इसमें जानवरों के अलावा मानव की गतिविधियों को भी चित्रित किया जाता है।
3. प्रारंभिक कांस्य या ताम्रपाषाण काल के चित्र प्रारंभिक मनुष्यों की कृषि की अवधारणा को दर्शाते हैं।
4. मध्यकालीन युग
5. मध्यपाषाण/ ताम्रपाषाण/ ऐतिहासिक/ मध्ययुगीन अधिरोपण।
भीमबेटका की गुफाओं में चट्टानों पर बनाए गए चित्रों को हज़ारों वर्ष पहले के जीवन को दर्शाते हैं। इन चित्रों के माध्यम से मानव की प्रारंभिक गतिविधियों को दर्शाया गया है जैसे नृत्य, शिकार, लड़ाई के दृश्य, उनके डर और ख़ुशी। भीमबेटका की कुछ गुफाओं में हिरण, बाघ, हाथी, मृग, छिपकली और सुअर समेत कई जानवरों की आकृतियों को दर्शाया गया है।
भीमबेटका गुफा की खोज के 60 सालों बाद भूवैज्ञानिकों ने एक नया रहस्य खोज निकाला। उन्होंने यहाँ पर दुनिया के सबसे दुर्लभ जीवाश्म डिकिंसोनिया को खोजा। 570 मिलियन वर्ष पुराने एडियाकरन काल के दौरान रहने वाले एक जानवर का जीवाश्म भीमबेटका में ऑडिटोरियम गुफा के नाम से जानने वाले हिस्से की छत पर पाया गया था।
कैसे पहुँचे?
फ़्लाइट से: अगर आप भीमबेटका गुफा हवाई मार्ग से जाने का प्लान बना रहे हैं तो सबसे निकटतम भोपाल का राजा भोज एयरपोर्ट है। एयरपोर्ट से आप कैब लेकर भीमबेटका जा सकते हैं।
ट्रेन से: आप भीमबेटका के लिए रेल मार्ग का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। भोपाल जंक्शन पहुँचकर आप कैब या टैक्सी लेकर भीमबेटका आ सकते हैं।
टाइमिंग:
7 AM - 6 PM
प्रवेश शुल्क:
1. भारतीय व्यक्ति के लिए 10 रुपए प्रवेश शुल्क
2. विदेशी व्यक्ति लिए 100 रुपए प्रवेश शुल्क
3. भारतीय व्यक्ति के लिए लाइट मोटर का 50 रुपए शुल्क
4. विदेशी व्यक्ति के लिए लाइट मोटर का 20 रुपए शुल्क
5. भारतीय व्यक्ति के लिए मिनी बस का शुल्क- 100 रुपए
6. विदेशी व्यक्ति के लिए मिनी बस का शुल्क- 400 रुपए।
संपर्क:
07552746827
ध्यान रखें:
1. यह जगह शुष्क और गर्म है इसलिए अपने साथ पानी की बोतल रखना। इसके अलावा टोपी पहनना और सन स्क्रीन लगाना।
2. सैलानियों को साथ में भोजन ले जाने की सलाह दी जाती है क्योंकि आसपास कोई रेस्तराँ नहीं है।
3. इस जगह को घूमने के लिए अपने साथ गाइड ज़रूर रखें जो एएसआई के तहत पंजीकृत हो क्योंकि गुफाएँ चारों तरफ़ फैली हुई हैं और बिना गाइड के इस जगह के महत्व को समझना असंभव है।
4. आरामदायक जूते पहने क्योंकि इस यात्रा में काफ़ी पैदल चलना पड़ता है। पूरी जगह को घूमने में 1.5 से 2 घंटे का समय लगता है।
कई लोगों के लिए यह जगह सिर्फ़ विचित्र दिखने वाली चट्टानों वाली एक जगह हो सकती है। मेरे लिए यह जगह अली बाबा और चालीस चोर की गुफा की तरह थी। ये जगह मानव विकास के संग्रहीत अभिलेखों का एक छिपा हुआ ख़ज़ाना है। इस जगह ने मुझे हैरान कर दिया था। लाखों साल पुरानी चट्टानें आज भी खड़ी हुई हैं। उनकी तुलना में हमारा अस्तित्व महत्वहीन है। इस जगह के बारे में कम लोगों को पता है। इस ऐतिहासिक महत्व वाले स्थान को अब उचित श्रेय देने का समय आ गया है।
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