तारे के आकार का यह खूबसूरत किला है देश में सबसे अनूठा, इसे नहीं देखा तो क्या देखा!

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हमारे अद्भुत देश भारत का इतिहास हज़ारों वर्षों पुराना है और इस अद्भुत इतिहास की व्याख्या करती अनेक ऐतिहासिक इमारतें और मंदिर आज भी बड़ी शान से यहाँ मौजूद हैं। इन मंदिरों और ऐतिहासिक इमारतों की अद्भुत वास्तुकला, भव्यता और इनकी महत्ता पर्यटकों के बीच तो काफी प्रसिद्द है हीं लेकिन इसके अलावा ये ऐतिहासिक धरोहरें सिर्फ हमारे देश ही नहीं बल्कि पुरे विश्व के लिए कितनी महत्वपूर्ण हैं ये आप इसी बात से समझ सकते हैं की इनमें से अनेकों इमारतें और प्राचीन मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहरों में शामिल हैं।

इन्ही इमारतों में शामिल है कुछ अद्भुत वास्तुकला वाले किले जहाँ वास्तुकला और इतिहास प्रेमी तो जाया ही करते हैं लेकिन इनमें से कुछ किले ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों पर घनी हरियाली और प्रकृति की खूबसूरती के बीच बने होने के कारण प्रकृति प्रेमियों के बीच भी काफी लोकप्रिय हैं। आज हम ऐसे ही एक अद्भुत वास्तुकला वाले किले के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे स्टार-फोर्ट के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि वास्तव में यह किला एक तारे के आकार में बना है। तो आखिर कहाँ है ये किला और इससे जुडी सभी जानकारी जानने के लिए इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें। चलिए शुरू करते हैं...

मंजराबाद किला, कर्नाटक

आम तौर पर राजस्थान अनेकों ऐतिहासिक किलों के लिए जाना जाता है लेकिन इसके अलावा भी भारत में अन्य राज्यों में भी कई ऐतिहासिक, विशाल और खूबसूरत किले मौजूद हैं। मंजराबाद किला दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य के हसन जिले में स्थित है जिसका आकार वास्तव में किसी अष्टकोणीय तारे के जैसा है और यह समुद्रतल से करीब 3200 फ़ीट (988 मीटर) की ऊंचाई पर चारों ओर घनी हरियाली से घिरी पहाड़ी पर मौजूद है। बताया जाता है कि ये किला यूरोपीय शैली में बना है और इसका निर्माण टीपू सुल्तान द्वारा करवाया गया था। इस किले की दीवारें अपने आप में बेहद खास है जिन्हें चुना पत्थर और खास तौर पर ग्रेनाइट पत्थरों से बनाया गया था जिससे ये दुश्मन को रोकने में काफी मददगार हों। साथ ही इस किले में कई सुरंगे भी है जो गोला-बारूद के संग्रहण के लिए बनायीं गयी होंगी और इसकी सुन्दर वास्तुकला में शामिल है इसके बीचों-बीच मौजूद एक प्लस आकार का एक बड़ा-सा कुआँ जो उस समय में भी जल-संचयन के चलन के होने का दावा करता है।

क्या है इसके नाम के पीछे का रहस्य?

इस किले के निर्माण के पीछे और उसी से संबंधित इसके नाम के पीछे का रहस्य भी काफी रोचक है। ऐसा बताया जाता है कि टीपू सुल्तान ने अंग्रेजों से छुटकारा पाने के लिए इस किले का निर्माण ऐसी जगह करवाया गया था जहाँ दुश्मन को हमला करने के लिए उचित स्थान नहीं मिल पाता था क्योंकि यह किला चारों ओर से धुंध से ढक जाता था। बताया जाता है कि इतनी हरियाली के बीच बने इस किले के निर्माण के बाद जब पहली बार टीपू सुल्तान ने इस किले को देखा तो यह पूरी तरह से धुंध से ढका था। इसीलिए इस किले का नाम कन्नड़ शब्द 'मंजू' से रखा गया है जिसका अर्थ होता है 'धुंध' और इसी से बना मंजराबाद।

आपको बता दें कि यह स्थान कॉफ़ी के बागानों और मसालों की खेती के लिए जानी जाती है और यहाँ किले के पास ही स्थित सकलेशपुर एक खूबसूरत पर्यटन स्थल भी है। इस किले पर पहुंचकर अगर आप चारों ओर देखंगे तो आपको घने जंगल, घनी हरियाली वाले पहाड़ और नदी के साथ बेहद खूबसूरत प्राकृतिक नज़ारा दिखाई देगा।

यहाँ जाने का बेस्ट समय?

आपको बता दें कि इस किले की यात्रा वैसे तो आप पूरे साल में किसी भी समय का सकते हैं लेकिन जैसा हमने आपको बताया कि यह किला धुंध से ढकने के लिए काफी प्रसिद्द है और साथ ही चारों ओर कि हरियाली भी इस किले की खूबसूरती को कई गुना बढ़ा देती है तो इस वजह से अगर आप मानसून या फिर मानसून के बाद सर्दियों में इसकी यात्रा करते हैं तो यह यात्रा आपके जीवन की सबसे सुन्दर यात्राओं में जरूर शामिल हो जाएगी।

प्रवेश समय और प्रवेश शुल्क

आपको बता दें कि यह किला सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है क्योंकि चारों ओर घने जंगल को देखते हुए यहाँ रात के समय रुकना वैसे भी सही नहीं रहेगा। इसके अलावा आपको बता दें कि इस किले में प्रवेश के लिए किसी तरह का कोई प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता और यह आम लोगों के लिए बिना किसी शुल्क खुला रहता है। साथ ही यहाँ को सुचना बोर्ड आदि आपको देखने को नहीं मिलने वाले सिर्फ 1-2 को छोड़कर जिसमें प्रवेश समय और यहाँ ड्रोन बिना इजाजत के उड़ाने की मनाही के बारे में लिखा है।

आस पास की घूमने लायक जगहें

जैसा हमने आपको ऊपर बताया कि यहाँ से सिर्फ 5 किलोमीटर की दुरी पर सकलेशपुर जो की एक छोटा सा शहर है वहां भी जा सकते हैं। भारत में पश्चिमी घाटों में स्थित एक खूबसूरत हिल स्टेशन सकलेशपुर कॉफ़ी, चाय और मसालों के बागानों के लिए काफी प्रसिद्द है और आस-पास के पर्यटकों के लिए यह एक लोकप्रिय हिल स्टेशन भी है।

इसके अलावा भी यहाँ से करीब 40 किलोमीटर की दुरी पर एक खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों वाला स्थान बिस्ले घाट भी स्थित है जहाँ आप जरूर जाएँ और अगर आपकी प्राकृतिक झरने देखने में दिलचस्पी है तो किले से सिर्फ 20 किलोमीटर की दुरी पर स्थित मगजहल्ली झरने को देखने भी आपको जरूर जाना चाहिए।

साथ ही आपको बता दें की यहाँ से लोकप्रिय हिल स्टेशन कूर्ग की दुरी भी सिर्फ 100 किलोमीटर है जहाँ भी आप जा सकते हैं।

मंजराबाद किले तक कैसे पहुंचे?

आपको बता दें कि अगर आप यहाँ हवाई मार्ग से आना चाहते हैं तो आपको सकलेशपुर के सबसे निकटतम एयरपोर्ट मंगलौर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचना होगा जो कि देश-विदेश के कई बड़े हवाईअड्डों से अच्छी तरह जुड़ा है। उसके बाद मंगलौर से आप रेल या फिर सड़क मार्ग से आसानी से सकलेशपुर पहुँच सकते हैं। इसके अलावा बेंगलुरु भी पहुँच सकते हैं और फिर वहां से रेल या फिर सड़क मार्ग से आसानी से सकलेशपुर या फिर मंजराबाद फोर्ट तक पहुँच सकते हैं। आपको बता दें कि सकलेशपुर रेलवे स्टेशन के लिए ट्रैन आपको मैसूर, बैंगलोर या फिर मंगलौर से आसानी से मिल जाएगी। इसके अलावा सड़क मार्ग से भी आप मंगलौर या फिर बेंगलुरु से आसानी से यहाँ पहुँच सकते हैं जिसमें मंगलौर से इसकी दूरी करीब 135 किलोमीटर और बैंगलोर से इसकी दूरी करीब 220 किलोमीटर है।

तो अगर आप एक शानदार वास्तुकला वाले किले के साथ एक सुकून और हरियाली भरी जगह की यात्रा करना चाहते हैं तो आपको इस किले की यात्रा अवश्य करनी चाहिए। इससे जुडी जितनी भी जानकारी हमारे पास थी हमने इस लेख के माध्यम से आपसे साझा करने की कोशिश की है। अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी तो इस आर्टिकल को लाइक जरूर करें और साथ ही ऐसी अन्य जानकारियों के लिए आप हमें फॉलो भी कर सकते हैं।

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