मानसर! उस झील के किनारे, जहाँ वक़्त ठहरता है...

Tripoto
8th Sep 2019

जम्मू कश्मीर के साम्बा जिले से महज 25 कि.मी. की दूरी पर एक ऐसी झील है जहाँ वक़्त ठहर जाता है। जी हाँ, मानसर झील के किनारे जाकर मन प्रकृति की गोद में सर रखकर बस कुछ पल सुकून के जीना चाहता है। दोस्तों से बहुत नाम सुना था तो संडे की छुट्टी के दिन मानसर जाना तय हुआ। हमने साम्बा-उधमपुर हाईवे पकड़ा जिस पर यह झील पड़ती है। सवारी बस में सवार हो गईऔर महज़ पौने घंटे बाद हम झील के आगे खड़े थे।हमारा मानसर का सफ़र महज एक दिन का था, मगर पता नहीं कब से दिल यहाँ आने को बेचैन था।

Photo of मानसर! उस झील के किनारे, जहाँ वक़्त ठहरता है... 1/7 by pravesh kumari

मानसर से जुड़ी कुछ पौराणिक कहानियाँ हैं। कहते है कि नाग राजा की पुत्री उल्पी और अर्जुन के पुत्र बबरवाहन का महाभारत काल में यहाँ राज था। प्रचलित कथाओं के मुताबिक युद्ध के पश्चात् अश्वमेध यज्ञ के लिए अर्जुन का छोड़ा हुआ घोड़ा धार उधमपुर रोड स्थित गाँव रामकोट के पास खून गाँव में बबरवाहन पकड़ लेते हैं। युद्ध में बबर वाहन अर्जुन को मार डालते हैं। वह अर्जुन का सर ले जाकर उल्पी को पेश करते हैं, उल्पी कहती है की तुमने अपने पिता अर्जुन को मर डाला है। यह जानकर दुखी बबर वहाँ अपने पिता को जीवित करना चाहते हैं, जिसके लिए शेषनाग से उन्हें मणि की ज़रुरत होती है। वह अपने तीर से एक गुफा बना देते हैं जिसे सुरंग्सर कहा गया। शेषनाग को लड़ाई में हराकर मणि लेकर बबर वाहन मानिक्सर के रास्ते वापस आते हैं जो बाद में मानसर कहलाई।

Photo of मानसर! उस झील के किनारे, जहाँ वक़्त ठहरता है... 2/7 by pravesh kumari

मानसर झील में मछलियों का अद्भुत संसार है। यहाँ मछलियों के शिकार पर प्रतिबन्ध है, लिहाजा हज़ारों मछलियाँ इसके चौतरफा किनारों पर देखी जा सकती हैं। इन्हें खिलाने का भी यहाँ बखूबी इन्तज़ाम है। सुनहरी, चांदी के रंग वाली बड़ी बड़ी मछलियों के साथ कछुवे भी तैरते नज़र आ जाएँगे। इसके साथ ही आप यहाँ बोटिंग का लुफ्त ले सकते हैं, हमने भी ये किया था। मानसर झील के प्रवेश द्वार के साथ लगे पेड़ों पर बड़े पैमाने में चमगादड़ भी लटके दिखाई दिए जिन्हें भगाने के लिए दुकानदार आग भी झोंकते रहे। झील के किनारे लगे बेंच सारी थकान को मिटाने के लिए काफी थे।

Photo of मानसर! उस झील के किनारे, जहाँ वक़्त ठहरता है... 3/7 by pravesh kumari

झील करीब एक मील के दायरे में फैली है। यहीं बच्चों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र वाइल्ड लाइफ भी दिखाई दी। हिरन, नीलगाय, मोर यहाँ बेख़ौफ़ घूम रहे थे। बताया गया कि यहाँ तेंदुआ लाए जाने की भी योजना है। यहाँ बच्चे जानवरों के शिकार में जुटे थे, लेकिन मोबाइल कैमरों के ज़रिये। हमने भी आइसक्रीम के मग थामे और जानवरों की घास और पानी के लिए होती चुहल देखते रहे थे।

Photo of मानसर! उस झील के किनारे, जहाँ वक़्त ठहरता है... 4/7 by pravesh kumari

अब मौका था झील की परिक्रमा करने का, शेषनाग जी के दर्शन करने का। जम्मू और आसपास के लोग बच्चों के मुंडन और नव विवाहितों को आशीर्वाद दिलाने यहाँ लाए हुए थे। हमने भी नरसिंह मंदिर और उमापति मंदिर के दर्शन किए और प्रसाद ग्रहण किया। राधा कृष्णा मंदिर का भी दरवाज़ा खुला दिखा लेकिन वहाँ तक जाने के रस्ते में घास उगी हुई थी, लिहाज़ा बाहर से ही दर्शन कर आगे बढ़ लिए।

Photo of मानसर! उस झील के किनारे, जहाँ वक़्त ठहरता है... 5/7 by pravesh kumari

परिक्रमा करते करते भूख लगने लगी थी, ऐसे में कुलचा , जिसे स्थानीय भाषा में कलाडी कहा जाता है, ने राहत पहुँचाई। थोड़ी सी पकौड़ी भी पैक करा ली गयी ताकि भूख लगने पर काम आए। परिक्रमा के दौरान ही एक डेढ़ सौ साल पुरानी हवेली भी दिखी। यह हवेली रास्ते के ऊपर एक पुल से जुड़ी थी हालाँकि अब रख रखाव के बगैर इसकी हालत ख़राब हो रही थी, लेकिन इसकी दीवारों पर भित्ति चित्रों की कलाकारी अद्भुत थी। कुछ देर झरोखे पर बैठ हमने भी झील की लहरों का आनंद लिया।

Photo of मानसर! उस झील के किनारे, जहाँ वक़्त ठहरता है... 6/7 by pravesh kumari

परिक्रमा के बाद झील के बीच बने खूबसूरत प्लेटफार्म पर फव्वारे की फुहारों का आनंद लेने का वक़्त था। यहाँ थोड़ी देर म्यूजिक की धुन पर कुछ लोग नाचते भी दिखे। कुछ टीचर पिकनिक मानाने पहुँचे थे। हमने भी उनके सुर में सुर मिलाया, मस्ती की। कुछ देर भीगते रहने के बाद जैसे ही प्लेटफार्म से उतरे इन्द्रदेव की कृपा हुई और बौछारें हौले हौले भिगोने लगी। भीगते हुए ही हम भागकर एक टीन शेड के नीचे आराम फरमाने लगे।

Photo of मानसर! उस झील के किनारे, जहाँ वक़्त ठहरता है... 7/7 by pravesh kumari

कुछ देर बाद बारिश थमी तो घड़ी 5 बजे का इशारा करने लगी। हम झील के आगे से गुज़रती उधमपुर बाईपास रोड पर आकर खड़े हो गए। थोड़ी ही देर में घुमावदार सड़क से एक छोटी बस आती दिखाई दी। हम उस पर सवार हो गए। पहाड़ और घाटी के बीच से गुज़रती सर्पीली सड़कों पर झील की यादें दिमाग में बावस्ता थी। बस साम्बा की ओर छलांग मारती जा रही थी और हमारा दिल पीछे झील के पास छूटता जा रहा था।

क्या आपने कभी मानसर झील की सैर की है? अगर हाँ तो यहाँ क्लिक करें और अपना अनुभव Tripoto पर मुसाफिरों के समुदाय के साथ बाँटें।

यात्राओं के किस्से और जानकारी से लगातार जुड़े रहने के लिए Tripoto हिंदी के फेसबुक पेज को लाइक करें

Further Reads