जम्मूः डोगरा राजाओं की राजधानी

Tripoto
16th Apr 2022
Photo of जम्मूः डोगरा राजाओं की राजधानी by Rakesh kumar Varma

जम्मू शहर हिमालय के शिवालिक और त्रिकुटा रेंज के बीच रावी नदी के तट पर बसा एक ऐतिहासिक शहर है जिसकी स्थापना राजा जम्बूलोचन ने की थी। उन्हीं के नाम पर इस शहर का नाम जम्मू पड़ा। आप सबने वो कहानी तो सुनी होगी जिसमें एक ही घाट पर शेर और बकरी पानी पीते थे, ये वही शहर है जम्मू और वो तट है रावी नदी का जिसके किनारे यह जम्मू शहर बसा हुआ है।

कॉलेज के दिनों की बात है, हम हर छुट्टी के दिन मटरगश्ती करने निकल जाते थे। और जम्मू की एक खास बात मुझे बहुत पसंद है कि आप यहाँ की किसी भी जगह से बोर नहीं होंगे। यूं तो जम्मू माता वैष्णो देवी मंदिर के कारण ज्यादा प्रसिद्ध है परंतु जम्मू में घूमने लायक और भी जगहें हैं जिन्हें आप बिल्कुल मिस नहीं करना चाहेंगे.....

Day 1

बाहु फोर्ट की स्थापना 3000 साल पहले राजा बाहुलोचन ने कराई थी। यह किला रावी नदी के किनारे एक ऊंचे टीले पर स्थित है। इस किले के अंदर 'बावे वाली माता' का मंदिर भी है जहाँ नवरात्रों में बाहु मेला लगता है।

Credit: wekipedia

Photo of Bahu Fort by Rakesh kumar Varma

Credit: wikipedia

Photo of Bahu Fort by Rakesh kumar Varma

बाहु किले के नीचे ही रावी नदी के किनारे एक बहुत ही सुंदर बाग का निर्माण किया गया है जिसे 'बाग-ए-बाहु' के नाम से जाना जाता है जो एक खूबसूरत पिकनिक स्पॉट होने के साथ-साथ फोटोग्राफी के लिए भी एक उपयुक्त स्थान है।

बाग के किनारे ही एक बड़ा सा फिश ऐक्वेरियम भी बनाया गया है जहाँ विभिन्न प्रकार की मछलियों की किस्मों को रखा गया है। इस ऐक्वेरियम का प्रवेश द्वार भी मछली के आकार का है जो दर्शनीय है।

Photo of Bagh-E-Bahu by Rakesh kumar Varma

'अमर महल पैलेस' की स्थापना डोगरा राजा अमर सिंह ने कराया था। अब इस पैलेस को म्यूजियम में बदल दिया गया है। यहाँ प्राचीन किताबें और डोगरा राज्य की कलाकृतियों को संजो कर रखा गया है।

Credit: facebook

Photo of अमर महल म्यूज़ियम और लाइब्रेरी J&K by Rakesh kumar Varma

जम्मू को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है। यहाँ के मंदिरों में सबसे प्रमुख मंदिर है रघुनाथ मंदिर। यह मंदिर जम्मू के रघुनाथ बाजार में स्थित है और एक भव्य एवं आकर्षक छटा लिए हुए है। इस मंदिर में भगवान रघुनाथ की काले रंग की एक विशिष्ट प्रतिमा लक्ष्मण और मां सीता के साथ विराजमान हैं। इस मंदिर प्रांगण में अन्य मंदिर भी है परंतु सबसे आकर्षक एक स्फटिक का बना शिवलिंग है जो बहुत ही खूबसूरत है। इस मंदिर में सुरक्षा के विशेष इंतजाम हैं क्योंकि यहाँ एक बार आतंकवादी हमला भी हो चुका है।

यह म्यूजियम बहुत शानदार है जिसमें डोगरा काल की विभिन्न कलाकृतियाँ, चित्रकलाएं तथा अन्य चीजें संग्रहित हैं।

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Photo of डोगरा आर्ट म्यूज़ियम by Rakesh kumar Varma

जम्मू शहर के अलावा इसके आसपास भी कुछ अच्छे दर्शनीय स्थल हैं जहाँ जाया जा सकता है।

Day 2

जम्मू से 65 km दूर मानसर झील पिकनिक के लिए एक बहुत ही अच्छा विकल्प है। हर साल अप्रैल में यहाँ मानसर मेले का आयोजन होता है। आप यहाँ झील में बोटिंग का भी लुत्फ उठा सकते हैं। यहाँ ऐसी मान्यता भी है कि इस झील की परिक्रमा करने से मन की मुराद पूरी होती है।

Photo of जम्मूः डोगरा राजाओं की राजधानी by Rakesh kumar Varma

जम्मू से 42 km दूर सुरिनसर झील है जो एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है जिसका रास्ता मानसर झील से ही होकर जाता है। ऐसा कहा जाता है कि दोनों झीलों का संबंध जमीन के अंदर से है।

जम्मू का नाम सुनते ही मन में सबसे पहले माता वैष्णो देवी का ख्याल आता है। जम्मू में माता वैष्णो देवी की यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्रियों की भीड़ लगी ही रहती है। जम्मू से माता वैष्णो देवी कटरा की दूरी 42 km है जहाँ से आगे भवन की चढ़ाई 14 km की है जिसे विभिन्न साधनों से पूरा किया जा सकता है।

Photo of वैष्णो देवी, कटरा by Rakesh kumar Varma
Day 3

सुचेतगढ़ बॉर्डर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया है जो जम्मू से 28 km दूर है। सुचेतगढ़ पोस्ट आजादी से पहले पाकिस्तान के सियालकोट मार्ग के रूप में कार्य करता था जो कि यहाँ से बार्डर के उस पार केवल 11km की दूरी पर है। यहाँ भी अमृतसर के वाघा बॉर्डर की तर्ज पर BSF की 'रिट्रीट सेरेमनी' के आयोजन की तैयारी हो रही है।

अखनूर जम्मू से 28 km की दूरी पर चिनाब नदी के किनारे बसा एक खूबसूरत कस्बा है जो प्राचीन काल में विराट नगर के नाम से जाना जाता है। यहीं पर पाण्डवों ने अपना अज्ञातवास का समय व्यतीत किया था। यहाँ का किला, पाण्डव गुफा और जिया पोटा घाट बहुत प्रसिद्ध है।

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