''मैं आऊंगा''

Tripoto
Photo of ''मैं आऊंगा'' 1/1 by Dinesh Rautela

एक शाम की तलाश में

निकल पड़ा मैं

ढूंढने कुछ ऐसा

रूह को सुकून दे कुछ वैसा

फिर चलते चलते सड़क पर

एक नज़ारा दिखा

जलता हुआ सूरज

रंगो में नहाता दिखा

वो नज़ारा था मन को मदहोश करने वाला

पहुंच चूका था मैं सीधा धर्मशाला

उस जगह की ख़ामोशी में भी एक गुनगुनाहट थी

कानों में चिड़ियों की चह-चहाहट थी

मन खुद-ब-खुद ही गाने लगा

मेरा दिल उन वादियों पर आने लगा

लेकिन दिमाग में चल रहा था एक डर

वापिस लौटने पर जो होगा, उसकी थी फ़िक्र

दोबारा से एक शोर में चला जाऊँगा

चलते चलते फिर मैं खुद को भूल जाऊँगा

पर लौटूँगा ज़रूर वापिस से

रंगो में सूरज को नहाते देखने

अपनी ज़िन्दगी के इन पलों को दोबारा से जीने

मैं आऊंगा, मैं आऊंगा

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