हरियाली शांति और और मसालों की खुशबू से मनमोहक कुर्ग

Tripoto
27th Jul 2020
Day 1

  कुर्ग  (मेडिकेर री) दक्षिण भारत का स्कॉटलैंड ।       ‌ हमने कुर्ग की यात्रा मैसूर से शुरू की रास्ते में मनमोहक पहाड़ियां और हरे-भरे पेड़ पौधे हमारा मन आनंदित कर रहे थे। रास्ते में अनेक प्रकार के रेस्तरां दिखाई पड़े। और शाकाहारी खाने वालों के लिए यहां  उडुपी   भोजनालय भी मिल जाएगा।   हम रास्ते भर चाय नाश्ता लेते हुए जा रहे थे। वैसे तो कुर्ग मैं कभी भी जा सकते हैं हमने अप्रैल में अपनी यात्रा शुरू की थी। ।    मौसम भी ठीक था। ना अधिक गर्मी और ना अधिक ठंड हम रास्ते भर आराम से नारियल के पेड़ों के झुरमुट देखते हुए निकल रहे थे बड़ा ही मनमोहक दृश्य लग रहा था।। हम एक जगह अपनी गाड़ी रुकवा कर वहां नारियल पानी पिए और आगे के सफर के लिए रवाना हो गए। आधा रास्ता तय करने के बाद ऊंची ऊंची पहाड़िया हमारे स्वागत करने के लिए तैयारथे। रास्ते के दोनों तरफ कॉफी के   बागान नजर आ रहे थे और कहीं कहीं काली मिर्च के पेड़ भी भी दिखाई दे रहे थे हम रात के 9:00 बजे कुर्ग पहुंचे। होटल पहले से बुक था इसलिए ज्यादा परेशानी नहीं हुई और हम अपने कमरे में जाकर खाना खाकर सो गए।                                               

Photo of हरियाली शांति और और मसालों की खुशबू से मनमोहक कुर्ग by Janki tripathi
Day 2

सुबह उठकर हमने देखा बहुत ही खूबसूरत नजारा नजर आ रहा था    ।हम अपने होटल के खिड़की से उगते सूरज को निहार रहे थे यहां की वादियां बड़ी खूबसूरत नजर आ रही थी। हम सब फ्रेश होकर होटल में नाश्ता करके ।      घूमने के लिए निकल पड़े।                                                ओमकारेश्वर मंदिर-          ओंकारेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर सन। 1820  मैं लिंगा राजा ने करवाया यह मंदिर बहुत ही शांत एवं सादगी भरा है यहां एक सुंदर पानी का तालाब भी है जहां मछलियां तैरती रहती हैं जब हम मंदिर गए तो रास्ते में अनेक स्थानीय लोग पूजा सामग्री लेकर बैठे हुए थे यहां के बेलपत्र का हमें अलग ही अनुभव लग जो छोटे-छोटे सुंदर सुंदर लग रहे थे हमने वहां मंदिर में पूजा अर्चना की और फिर निकल पड़े।             

अब्बे फॉल्स- अब्बे फॉल्स मेडिकेरे स्थल से 10 किलोमीटर दूर है यहां हरे भरे पेड़ पौधों के बीच से रास्ता बना हुआ है यहां पर किनारे किनारे पर हरियाली नजर आती है।    और बीच से ढलान दार सीढ़ियां बनी हुई है जो बहुत ही लंबी बनी हुए हैं यह हमें फॉल्स तक पहुंचा देती हैं। हरे भरे पेड़ पौधे मन को मोह लेते हैं वहां पहुंचकर झरने का दृश्य हमें मंत्रमुग्ध कर देता है बहुत से लोग वहां अपनी तस्वीरें खिंचवाते हैं और घंटों बैठकर परिवार के साथ आनंद का अनुभव करते हैं।                                   

     राजा सीट- राजा सीट कुर्ग हिल स्टेशन के मध्य में स्थित है यहां कुर्ग के राजा आकर सूर्यास्त का नजारा देखते थे ।बहुत ही सुंदर जगह है हम यहां पहुंच कर सपनों में खो गए। अनेक हरे भरेफूल  पौधलगे हुए थे  ।गार्डन बहुत ही सुंदर लग रहा था इतना सुंदर बगीचे का दृश्य देखकर हम खुशी से झूम उठे सबसे किनारे पर खड़े होकर हम प्रकृति का आनंद ले रहे थे। वहां से पूर कुर्ग का नजारा ऊंचे ऊंचे पहाड़ और हरी-भरी घाटियां बहुत ही मनोरम लग रहे थे। वहां हम लोग 9 बैठकर कुछ समय व्यतीत किए वहां के दृश्य से मन अभिभूत हो गया। -                                                                                                   इरुप्पू फॉल्स- इरुप्पू फॉल्स फॉल् काफी ऊंचाई वाला झरना है ।    यहां लो , आकर झरने के बीच में जाकर पत्थरों पर बैठकर कुछ देर बैठकर निर्मल जलधारा को अठखेलियां करते हुए निहारते रहते हैं इसमें तमाम छोटी-छोटी मछलियां पैरों पर आकर इधर उधर तैरती रहती हैं मानो लगता है वह हमारे साथ खेल रही है।                                                      । इरप्पू   फाल्स के बाद हम लोग वन्य अभ्यारण देखने गए वहां लकड़ियों की सीढ़ियां बनाकर ऊंचे ऊंचे घर बने हुए थे एक तरह का जैसे गांव में मचान होता है उसी टाइप का बना हुआ था और वहां कई तरह के पशु पक्षी भी थे वहां बांस के पेड़ लगे हुए थे। वहां गांव का परिवेश बसाया गया था। बहुत ही शांत सुरम्य वातावरण था।
इसके बाद हम लोग कॉफी के बनाने देखने निकले वहां ढेर सारी कॉफी के पौधे लगे हुए थे जिनमें छोटे-छोटे बीज थे। और काली मिर्च के पौधे भी लगे हुए थे हम लोग कुछ काली मिर्च के बीज भी अपने साथ घर लेकर आए।                                          
हमारे ड्राइवर ने बताया यहां यहां मसाले की बड़े अच्छे वरायटी मिल जाती हैं यहां के मसाले बहुत प्रसिद्ध है वह हमें एक अपनी जान पहचान की दुकान पर ले गया और हमने वहां से कुछ मसाले खरीद लिए जो सस्ते दामों में मिल गया।। कुर्की की हरी-भरी और शांत वादियां हमें अपने सौंदर्य में बांध ली हमें वहां से छोड़कर आने का मन नहीं कर रहा था लेकिन हमारा समय हो गया था और हम उस सुखद अनुभव के साथ अगले सफर के लिए रवाना हो गए बहुत ही खूबसूरत यात्रा लगी।      ।                                                                               । कुर्ग जाने के लिए अक्टूबर से अप्रैल तक का समय कभी भी जा सकते हैं वहां का मौसम अनुकूल रहता है वहां शोरगुल काफी कम रहता है। वहां की शांत वादियों में समय बिता कर आप नई ऊर्जा और प्रसन्नता से भर जाएंगे।                       Janki Tripathi