दक्षिण भारत में आंध्रप्रदेश का एक छोटा सा पर जाना माना नाम है गुदिमल्लम गांव, आप सोच रहे होंगे कि आखिर किस वजह से है ये नाम खास !! तो आइए जानते है....🚴
तिरुपति से बस 30 कि.मी. दूर इस गांव (चित्तूर जिला) में परशुरामेश्वर मंदिर सुवर्णमुखी नदी के तट पर बना है और ये जाना जाता है इसके गर्भगृह में विराजमान शिव की पूर्ण लंबाई वाली एक बहुत ही प्राचीन मूर्ति(शिवलिंग के रूप में) के कारण। यह शायद आज तक खोजे गए शिवलिंगों में से सबसे पुराना शिवलिंग है।
इतिहासकारों ने इसे करीब 2500-3000 वर्ष पुराना माना है। यदि प्रारंभिक तिथि निर्धारित की जाय तो शिवलिंग पर बनी ये शिवआकृति भगवान शिव के सबसे प्रारंभिक, आज भी अस्तित्व में मौजूद और अप्रतिम रूपों में से एक होगी।
इस लिंगम को त्रिदेवों का चित्रण करने के लिए माना जाता है। मंदिर की कथा इसे भगवान विष्णु के अवतार परशुराम से जोड़ती है। यहां ब्रह्मा के रूप में चित्रसेन, विष्णु के रूप में परशुराम और लिंगम के रूप में शिव मौजूद हैं।
🙏यहाँ से जुड़ी कथा🙏
इस जगह के बारे में एक दिलचस्प कहानी है जो परशुराम की माता रेणुका, पिता ऋषि जमदग्नि से जुड़ी है।
कथा के अनुसार संदेहवश पिता के द्वारा पुत्र को अपनी ही माता का सिर काट देने का आदेश और उसके पालन करने पर पुत्र द्वारा उसी माता को पुनर्जीवित करने का वर मांगने से जुड़ी है। किंवदंती है कि को उनकी माँ को बतौर वर जीवन वापस तो मिला, पर परशुराम अपनी माँ को धोखा देने के अपराध बोध से उबर नहीं पाए और उन्हें अपने कृत्य पर पश्चाताप होने लगा । पश्चाताप के रूप में उन्हें अन्य ऋषियों ने गुडीमल्लम में शिव की पूजा करने की सलाह दी थी। गुडीमल्लम, यहीं वो मंदिर है जिसका नाम बाद में परशु रामेश्वर मंदिर के नाम से जाना गया।
यहां तीर्थयात्रियों और घुमक्कड़ दोनों के लिए काफी कुछ है। तिरुपति, तिरुमाला हिल्स की बेदाग खूबसूरती को सुंदर रास्ते से देखते हुए आप इन नजारों में व्यस्त और मस्त रहेंगे। इसके बाद दर्शन करिए इस प्राचीन और बिल्कुल अलग शिव अनुभव का।
----कब जाएं----
पूरे साल में कभी भी यहां दर्शन किए जा सकते हैं ।
मंदिर का समय सुबह 8 बजे से शाम 8 बजे तक होता है।
🙏 हर हर महादेव 🙏
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