ठिठुराती ठंड में गुनगुनाती धूप सा एहसास देती है बनारस की मलइयो। मुंह में जाते ही घुल जाती है और तासीर ऐसी तो देर तक जुबान पर मिठास बनाए रखती है।
मलइयो का जायका सिर्फ ठंड के दिनों में ही लिया जा सकता है। इसकी भी अपनी वजह है। क्योंकि, ये खास मलइयो ओस की बूंदों से बनता है।
मलइयो को बनाने के लिए पहले कच्चे दूध को उबाला जाता है। उबले दूध को रात भर खुले आसमान में रख दिया जाता है ताकि इस पर ओस पड़ सके। भोर होते ही दूध को मथा जाता है।
दूध को मथने के बाद निकलने वाले झाग में चीनी, केसर, पिस्ता, मेवा, इलायची मिलाकर मलइयो तैयार होती है और फिर उसे कुल्हड़ व मटकी में सजाकर पेश किया जाता है। ओस की वजह से ही मलइयो का झाग घंटों बना रहता है।