#कोटा_यात्रा
#सिटी_पैलेस_कोटा
दोस्तों फरवरी 2020 में जब मैं राजकोट (गुजरात) से वापिस पंजाब आ रहा था तो मैं राजकोट से दुपहिर को बस लेकर अहमदाबाद पहुंचा वहां से रात को 9 बजे सलीपर बस से अगले दिन सुबह राजस्थान के कोटा शहर पहुंच गया, कोटा चंबल नदी के किनारे बसा हुआ राजस्थान का तीसरा बड़ा शहर हैं। यहां मैंने एक जगह पर फ्रैश होने के बाद 200 रूपये में एक आटो कर लिया जिसने मुझे कोटा का सिटी पैलेस दिखा कर 5 किमी दूर कोटा जंक्शन रेलवे स्टेशन पर छोड़ना शामिल था। आटो डराईवर बहुत नेक इंसान था, थोड़ी देर में हम सिटी पैलेस कोटा पहुंच गए। यह कोटा का सबसे बड़ा पैलेस हैं, अंदर जाने की टिकट 100 रूपये से उपर हैं, लेकिन उस दिन कोटा के युवराज का जनमदिन था तो आज कोई टिकट नहीं थी। कोटा के राजवंश परिवार अभी भी यही निवास करते हैं। मैंने कुछ खाया भी नहीं था सुबह से, वहां एक फंक्शन भी चल रहा था, कोटा के युवराज के जन्मदिन की खुशी में चाय , कौफी और कचौरी का लंगर चल रहा था, लंगर देखते ही मैंने भी लंगर का सवाद चख लिया। आटो में सामान रखकर मैं कोटा गढ़ पैलेस देखने चल पड़ा, आटो डराईवर ने बोला आज टिकट नहीं लगेगी आप ने पैसे नहीं देने अगर कोई मांगे तो, आज लाटरी निकल चुकी थी, खाना भी फ्री, पैलेस घूमना भी फ्री, फिर मैंने पैलेस को देखना शुरू किया।
#कोटा_सिटी_पैलेस
यह कोटा राजाओं का बनाया हुआ खूबसूरत पैलेस हैं, एक शानदार गेट से अंदर जाकर पैलेस में पहुंचा जाता हैं। इस गेट पर सुंदर हाथी बने हुये हैं, पैलेस के अंदर राओ माधोसिंह मयूजियम बना हुआ है जिसमें राजाओं के हथियार, चांदी से बना हुआ फरनीचर, और राजवंश का सामान संभाल कर रखा हुआ है। दरबार हाल बहुत ही खूबसूरत हैं, शीश महल बना हुआ हैं, शीशे के ऊपर खूबसूरत कलाकारी की हैं, पेटिंग की हैं, शिकार करने की चित्रकारी की हैं, बहुत ही खूबसूरत पैलेस हैं यह। इसके पास ही चंबल नदी बहती हैं, जो खूबसूरत दृश्य पेश करती हैं। पैलेस को देखने के बाद मैं आटो डराईवर ने मुझे कोटा जंक्शन रेलवे सटेशन पर छोड़ दिया। कोटा शहर की खूबसूरत यादें लेकर मैं आगे बढ़ गया।