दक्षिण कर्नाटक में अरब सागर के किनारे पर एक खूबसूरत शहर है मैंगलोर| इस शहर को मंगलूर या मंगलूरू नाम से भी जाना जाता है| मैंगलोर भारत के प्राचीन बंदरगाहों में से एक है| कोसटल कर्नाटक में मैंगलोर कर्नाटक राज्य का सबसे बड़ा शहर है| मैंगलोर शहर का नाम मंगला देवी के नाम पर पड़ा है| मैंगलोर का ईतिहास बहुत पुराना है| सातवीं सदी में मैंगलोर अलुपा राज्य की राजधानी था| मैंगलोर शहर गुरुपुर और नेत्रवती नदियों के किनारे पर बसा हुआ है| अलुपा राजवंश ने छठीं शताब्दी से लेकर चौदहवीं शताब्दी तक मैंगलोर के ऊपर राज्य किया| 1342 ईसवीं में मशहूर यात्री इबन बबूता ने भी अपनी लिखत में मैंगलोर शहर का जिक्र किया है| उनके मुताबिक उस समय भी मैंगलोर मालाबार क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण शहर था| मैंगलोर अपनी खूबसूरत टाईलस के लिए भी मशहूर है| मैंगलोर पर विजय नगर राज्य से लेकर पुरतगालियों, हैदर अली, टीपू सुल्तान और अंग्रेज़ों ने भी राज किया है| ईसाई धर्म के मिशनरियों ने भी मैंगलोर शहर में अपने धर्म का प्रचार किया|
मैंगलोर पहुंचना- इससे पहले मैं कर्नाटक तीन बार जा चुका था पर मैंने कोसटल कर्नाटक में समुद्र तट को कभी नहीं देखा था| कर्नाटक में मैंने बंगलौर, मैसूर, हंसी, बादामी, बीदर आदि जगहों की यात्रा की थी| इस बार सितम्बर 2023 में अपनी साऊथ इंडिया यात्रा दौरान मैंने मैंगलोर जाने का प्रोग्राम बनाया| तमिलनाडु के मशहूर हिल स्टेशन ऊटी को घूमने के बाद 6 सितम्बर 2023 को कोयम्बटूर शहर से रात को दस बजे रेलगाड़ी लेकर 7 सितम्बर 2023 को सुबह छह बजे मैंगलोर सैनट्रल रेलवे स्टेशन पर पहुँच गया| मेरे पास मैंगलोर घूमने के लिए पांच छह घंटे थे| मैंगलोर रेलवे स्टेशन पर ही फ्रैश और तैयार होकर हम रेलवे स्टेशन से बाहर आए | मैंगलोर रेलवे स्टेशन के बाहर हमने एक आटो बुक कर लिया 800 रुपये में जिसने हमें मैंगलोर शहर घुमाना था| हमने अपने दो बड़े बैग, एक पिठु बैग, एक मेरी बेटी नव किरन का बैग आदि सामान भी आटो में टिका दिए| अब हम मैंगलोर शहर को घूमने के लिए तैयार थे|
मंगला देवी मंदिर के नाम पर ही मैंगलोर शहर का नाम पड़ा है| इस मंदिर का निर्माण 968 ईसवीं में राजा कुंदावर्मन दूसरे ने करवाया था| यह मंदिर सुबह 5.30 बजे से लेकर रात 9.30 बजे तक खुला रहता है| इस मंदिर में माता की खूबसूरत मूर्ति है| मंदिर में फोटोग्राफी करना मना है| मंगला देवी अलुपा राजवंश की कुल देवी है| मंगला देवी मंदिर मैंगलोर बस स्टैंड से 3 किलोमीटर दूर है| हमारा आटो ड्राइवर हमें मंगला देवी मंदिर भी लेकर आया| हमने भी मैंगलोर के इस ईतिहासिक मंदिर के दर्शन किए|
कादरी मंजू नाथ मंदिर - कादरी हिल पर बना हुआ यह खूबसूरत मंदिर भगवान शिव को समर्पित है| इस मंदिर का निर्माण 1068 ईसवीं में हुआ था| इस मंदिर में भगवान शिव की मूर्ति 4 फीट ऊंची है| साथ में ही बना हुई मंजू श्री का स्टेचू 3 फीट है| मंजू श्री का बुत कांस्य का बना हुआ है| इस मंदिर के पास में चढ़ती हुई सीढ़ियों को पार करके आप कादरी हिल में बनी हुई गुफाओं में जा सकते हो जिसके बारे में कहा जाता है कि पांडव भी किसी समय इस जगह पर रहे हैं| मुझे मैंगलोर के इस मंदिर के बारे में जानकारी नहीं थी| यहाँ भी मुझे हमारा आटो ड्राइवर ही लेकर आया था| अपने जूते उतार कर कुछ सीढ़ियों को चढ़ कर हमने मंदिर के आंगन में प्रवेश किया| इस मंदिर की वास्तुकला भी केरला के मंदिरों से मिलती है| मंदिर के अंदर फोटोग्राफी करना मना है| मंदिर में जयादा भीड़ नहीं थी| हमने मंदिर के दर्शन किए और दुबारा आटो में बैठ गए|
गोकर्णनाथ मंदिर - यह खूबसूरत मंदिर है| जहाँ भगवान शिव को गोकर्णनाथ के रूप में पूजा जाता है| हम सुबह सुबह मैंगलोर शहर यात्रा में इस मंदिर के दर्शन करने के लिए आए थे| इस मंदिर का निर्माण 1912 ईसवीं में हुआ था| एक खूबसूरत गोपुरम को पार करके हम मंदिर के अंदर प्रवेश करते हैं| मंदिर के अंदर फोटोग्राफी करना मना है| मंदिर के दर्शन करने के बाद हम बाहर आकर मंदिर की फोटोग्राफी करते हैं| मंदिर परिसर में हनुमान जी और साईं बाबा के मंदिर भी बने हुए हैं| मंदिर बहुत साफ सुथरा हैं | हमें यहाँ आकर बहुत अच्छा लगा |
सुलतान बटेरी मैंगलोर
यह एक वॉच टावर है जिसका निर्माण 1782 ईसवीं में टीपू सुल्तान ने किया था| टीपू सुल्तान ने भी मैंगलोर के ऊपर राज किया| यह एक ईतिहासिक ईमारत है| बाहर से देखने से सुल्तान बटेरी एक छोटी किलानुमा ईमारत लगती है| सुल्तान बटेरी का निर्माण टीपू सुल्तान ने दुश्मन के जहाजों को गुरुपुर नदी में उतरने से रोकने के लिए किया था| आटो ड्राइवर ने हमें इस ईमारत के बाहर उतार दिया| पत्थर से बनी हुई सीढ़ियों को चढ़कर हम सुल्तान बटेरी के ऊपर पहुँच गए| ऊपर से वियू बहुत शानदार दिखाई देता था| यह जगह गुरुपुर नदी के पास है| सुलतान बटेरी के ऊपर वाली दीवार में खाली जगहें बनी हुई है जहाँ से तोपों को चलाया जाता था| यहाँ आकर कुछ समय के लिए उस समय के ईतिहास और तोपों के बारे में सोचने लगा| सुल्तान बटेरी आने के लिए मैंने कहा था आटो ड्राइवर को| इस जगह के बारे में मैंने पहले पढ़ रखा था| सुल्तान बटेरी को देखने के बाद हम आगे बढ़ गए|
सेन्ट अलोयसियस चर्च- मैंगलोर के मशहूर अलोयसियस कालेज कैंपस में इसी कालेज के नाम पर ही सेन्ट अलोयसियस चेपल बना हुआ है| इसका निर्माण 1885 ईसवीं में हुआ था| इस चेपल की दीवारों और छत को ईटली के मशहूर चित्रकार एन्टोनी मोशायनी की बनाई हुई खूबसूरत पेंटिंग्स ने शिंगारा हुआ है| यह खूबसूरत पेंटिंग्स ईसा मसीह की जिंदगी से संबंधित है| आप इस चर्च के अंदर फोटोग्राफी नहीं कर सकते| हम भी इस खूबसूरत चेपल के अंदर इन पेंटिंग्स को देखने के लिए गए| मैंगलोर के इस चेपल की तुलना रोम के सिसटीन चेपल के साथ की जाती है| इस चेपल के सामने ही एक मयुजियिम बना हुआ है जिसमें आपको मैंगलोर के ईतिहास के बारे में काफी जानकारी मिलेगी|
पनामबुर बीच - यह खूबसूरत बीच मैंगलोर की सबसे मशहूर बीच है| मैंगलोर सैनट्रल रेलवे स्टेशन से इस बीच की दूरी 14 किमी है| हमारे आटो ड्राइवर ने हमें मैंगलोर शहर की यात्रा में 3 मंदिर, 2 चर्च और एक बीच दिखाई| यह खूबसूरत बीच मैंगलोर के नये पोर्ट के पास है| मैं कर्नाटक तो तीन बार पहले घूम चुका था लेकिन कर्नाटक में कभी समुद्र नहीं देखा था| पनामबुर बीच पर पहुँच कर मैंने कर्नाटक में समुद्र भी देख लिया| पनामबुर एक रेतीली बीच है आप काफी दूर तक नंगे पांव इस रेत के ऊपर चल सकते हो| साथ में आप समुद्र की आती जाती लहरों का भी आनंद ले सकते हो| मैं अपनी वाईफ और बेटी के साथ पनामबुर बीच पर पहुंचा था| मेरी तीन साल की बेटी बीच पर आकर बहुत खुश हुई| जब समुद्र की लहरों का पानी हमारे पैरों को धोता था तो मेरी बेटी बोलती थी पापा पानी आ गया| पनामबुर बीच पर समुद्र की लहरों का बहाव काफी तेज था| हम समुद्र के किनारे पर ही लहरों का आनंद ले रहे थे| एक घंटे तक हम पनामबुर बीच पर रहे| कुछ फैमिली फोटोज और वीडियो बनाए| बाद में एक दुकान पर नींबू पानी पिया और फिर दुबारा आटो में बैठ कर मैंगलोर शहर की ओर चल पड़े|
मिलाग्रेस चर्च- यह खूबसूरत चर्च मैंगलोर के सबसे पुराने चर्च में से एक है| इस चर्च का निर्माण 1680 ईसवीं में हुआ था| अठारहवीं शताब्दी में टीपू सुल्तान ने इस चर्च को नष्ट कर दिया था| इस चर्च को दुबारा 19 वीं शताब्दी में बनाया गया है| इस चर्च को रोम के सेन्ट पीटर कैथेड्रल के माडल की तरह बनाया हुआ है| यह चर्च लेडी आफ मिरेकलस को समर्पित है| मिलाग्रेस चर्च रेलवे स्टेशन से भी नजदीक ही है| इस खूबसूरत चर्च की ईमारत बहुत शानदार बनी हुई है| हम भी इस चर्च को देखने के लिए गए| मैंगलोर शहर की यात्रा में सबसे आखिर में हम यहाँ आए थे| थोड़ा थक गए थे तो काफी समय इस चर्च के अंदर लकड़ी के बने हुए बैंच के ऊपर बैठे रहे|
मैंगलोर कैसे पहुंचे- मैंगलोर रेलवे मार्ग से भारत के अलग अलग शहरों से जुड़ा हुआ है| आप रेल द्वारा मैंगलोर पहुँच सकते हो| बस मार्ग से भी मैंगलोर कर्नाटक और केरला के शहरों से जुड़ा हुआ है| मैंगलोर में एयरपोर्ट भी है| रहने के लिए आपको मैंगलोर में हर बजट के होटल मिल जाऐंगे|