अंबिका भवानी मंदिर (बिहार)
आइये चलते हैं और करवाते है बिहार की धरती से माँ अंबिका भवानी, आमी के दर्शन व उससे जुड़ी रोचक जानकारी...
कल ही निर्धारित हो गया था कि एक मांगलिक कार्य के सिलसिले से माँ अंबिका भवानी मंदिर जाना है, तो सोचा कि क्यूँ न आपको भी मंदिर को दिखाया जाये और उससे जुड़ी जानकारी दी जाये...
माँ अंबिका भवानी मंदिर -
बिहार के छपरा-सारण जिला अंतर्गत दिघवारा प्रखंड का अंबिका स्थान, आमी न सिर्फ पूर्वांचल, उतर प्रदेश, उत्तरी व मध्य बिहार के गृहस्थ श्रद्वालुओं व भक्तो की श्रद्वा स्थली है बल्कि वैष्णवी शक्ति उपासक व वाममार्गी कपालिक अवधूतों की साधना तथा सिद्वि की शक्तिपीठ है।
मॉं अंबिका भवानी की महिमा अपरंपार है। माता के दरबार में हर किसी की मुराद पूरी होती है, नतीजन यहाँ नवरात्र में लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ती है। कल्याण मंदिर के तत्वाधान में प्रकाशित बिहार में शक्ति साधना, पुस्तक में प्रकाशित वर्णन के अनुसार बिहार की पावन व सांस्कृतिक धरती पर तीन सिद्धपीठ शक्तिपीठ हैं - सर्वमंगला, छिन्नमस्तिका एवं अंबिका भवानी आमी और इन तीनों शक्ति पीठों में मुर्धन्य है सिद्धपीठ अंबिका स्थान...
पौराणिक मान्यता -
मांर्कडेय पुराण में वर्णित राजा दक्ष की कर्मस्थली आमी में अवस्थित इस मंदिर का पौराणिक इतिहास रहा है... बताया जाता है कि यह स्थल प्रजापति राजा दक्ष का यज्ञ स्थल एवं राजा सूरत की तपस्या स्थली रहीं है, कहते हैं प्रजापति राजा दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ में महादेव को आमंत्रित नहीं किया गया था, लिहाजा माता सती ने पिता द्वारा अपमानित किये जाने पर हवन कुंड में कूद कर आत्म हत्या कर ली थी, इससे आक्रोशित होकर भगवान शिव सती के शव को लेकर तांडव नृत्य करने लगें, उनके तांडव नृत्य को शांत कराने के लिए भगवान विष्णु ने अपने चक्र से सती के शव को टुकड़े-टुकड़े कर दिये, उनके शव के टुकड़े जहॅा-जहॅा गिरे वही शक्ति पीठ के रूप में जाना गया...
अंबिका भवानी मंदिर में मां दुर्गा की कोई भी प्रतिमा स्थापित नहीं है...
कैसे पहुँचे -
सड़क मार्ग द्वारा यह सिद्ध स्थल NH-19 सोनपुर-छपरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर दिघवारा प्रखंड में स्थित है...
रेल मार्ग द्वारा भी आप इस स्थल पर पहुँच सकते हैं...