
दिनांक-24-10-2022
दीवाली की छुटियाँ शुरू होने वाली है । घर से दूर असम में हूँ फिलहाल । चार दिन की छुटियों में घर यानी राजस्थान जाना भी मुश्किल है । तभी मेरे घमक्कड़ी दिल ने कहा चलो कुछ और अनजानी जगहों को तलाशते हैं । और आज मैनें उठाया अपन झोला और निकल पड़ा अपने पुराने साथी और बुड्ढे साथी nikon d 5300 के साथ । सिलीगुड़ी की तरफ और इस बार कलिम्पोंग तक जाने का इरादा कर लिया । खुशकिस्मती मेरी कि ट्रेन का टिकट भी मिल गया । आसानी से । और आज दीवाली भी है । एक बेतरतीब सी ,धुंधली योजना लेकर आ पहुंचा सिलीगुड़ी । सिलीगुड़ी में एक होटल है प्रिंस लॉज , ये सिलीगुड़ी के सबसे रिहायशी इलाके प्रधान नगर में स्थित है । हर बार की तरह इस बार भी मेरा आश्रय स्थल यही था । इस होटल को चुनने के पीछे कुछ कारण है । एक इसकी बेहतरीन अवस्थिति ( location) । साथ ही यहां एक लड़का काम कार्य है आर्यन जो मेरे एक दोस्त की तरह है । और भी बहुत सारे कारण है ,जिनका जिक्र और कभी । हाँ यहां एक बिंदास चाचा काम करते थे मुझे बहुत पसंद थे वो ,इस बार पता चला कि उनका देहांत हो गया , दुखदायी था मेरे लिए ये सब सुनना। खैर आज आ गया हूँ मेरे सबसे पसन्दीदा शहर सिलीगुड़ी में । और इसबार की दीवाली - बंगाली दीवाली ।
तभी मैं निकल पड़ा दीवाली की रौनक देखने । शुरुआत वहीं प्रधान नगर के काली पूजा पण्डाल से पिछली बार कब मैं दुर्गा पूजा के समय मैं यहां आया था । यहां बेहद खूबसूरत पंडाल बना था । लेकिन इस निराशा ही हाथ लगी । फिर मैंने पूछ ताछ की कि कहाँ मिलेगी वो रौनक जिसे मैं खोजते हुए यहाँ आया हूँ । तब पता चला कि हक़ीमपारा में ही मीपेगी वो रौनक । और ओला की मदद से मैं पहुंच गया सिलीगुड़ी के - हक़ीमपारा ।
और वहां TS क्लब यानि तरुण संघ क्लब के अद्भुत अविस्मरणीय काली पूजा पण्डाल ।


वाकई बेहद सुंदर मंदिर था । और स्वर्ग की भांति इसे सजाया गया था। बाहर मंदिर के मुख्य द्वार पर इस्कॉन के बहुत सारे संतों से भेंट हुई ।और वहीं पर एक बुक स्टाल भी थी जहां से मैन वाल्मीकि रामायण खरीदी ।
इसके बाद में हक़ीमपारा में बने अलग अलग काली पूजा पंडाल में गया जो वाकई बेहद खूबसूरत थे ।



