दोस्तों वैसे तो हिमाचल प्रदेश के सारे जिले और शहर बहुत खूबसूरत हैं पर रावी नदी के किनारे दसवीं सदी के राजा साहिल वरमन के द्वारा अपनी बेटी चंपावती के नाम पर बसाया हुआ शहर चंबा बहुत ही दिलकश और ईतिहासिक हैं, अक्सर टूरिस्ट डलहौज़ी और खजियार के साथ चंबा शहर टूर बनाते हैं। मुझे भी चार पांच बार चंबे जाने का मौका मिला है| चंबा शहर समुद्र तल से 1000 मीटर की ऊंचाई पर बसा हुआ है|ऐसा भी माना जाता है कि पहले यह क्षेत्र चम्पा के नाम से जाना जाता था कयोंकि यह क्षेत्र सुगंधित चम्पक के वृक्षों से भरा हुआ था और इसकी रक्षक देवी चम्पावत थी| चंबा शहर अपने मंदिरों, महलों और शानदार भवनों के लिए मशहूर है| चंबा रियासत भारत की सबसे पुरानी रियासतों में से एक है| ऐसा माना जाता है कि चंबा रियासत छठीं शताब्दी में शुरू हुई थी| चंबा शहर में बहुत खूबसूरत जगहें है देखने के लिए जिसके बारे में हम इस पोस्ट में बात करेंगे|
चौगान- चंबा शहर के बीचों बीच एक सुंदर मैदान बना हुआ है| चंबा शहर के सभी सामाजिक और मेले आदि इसी चौगान में मनाए जाते हैं| जुलाई अगस्त में मिंजर मेले का आयोजन भी इसी जगह पर किया जाता है|
लक्षमी नारायण मंदिर चंबा - शिखर शैली में बने हुए इस खूबसूरत मंदिर समूह को राजा साहिल वर्मा ने दसवीं शताब्दी में बनाया था| इस मंदिर समूह में राधाकृष्ण मंदिर, चंन्द्रगुपत का शिव मंदिर, गौरीशंकर मंदिर, वंशी गोपाल मंदिर आदि बने हुए हैं| इस मंदिर समूह में कुल छह मंदिर है जिसमें तीन शिव को समर्पित है और तीन भगवान विष्णु को समर्पित है| मंदिर के ऊपर छतरी की तरह पत्थर की सलेट रखी हुई है जो इसको बहुत आकर्षित लगती है|
चंम्पावती मंदिर- चंबा के पुलिस स्टेशन के पास चंम्पावती मंदिर बना हुआ है| इस मंदिर का निर्माण राजा साहिल वर्मा ने अपनी पुत्री चंम्पावती के नाम पर किया था जिसको देवी के रूप में पूजा जाता है| मिंजर मेले के समय चंबा के राजाओं को चंबा के महत्वपूर्ण मंदिरों के दर्शन करना जरूरी होता है जिसमें यह मंदिर भी आता है|
सुई माता मंदिर -यह मंदिर चंबा की शाह मदार पहाड़ी पर बना हुआ है| ऐसा कहा जाता है कि सरोता नामक पहाड़ी नाले का पानी चंबा शहर नहीं आ रहा था तो पुजारी ने कहा कि या तो राजा साहिल वर्मा के पुत्र या उनकी रानी को बलिदान देना पड़ेगा तब यह पानी चंबा में पहुंचेगा| फिर रानी ने अपने आप को सती के रूप में तैयार किया और रानी को यहाँ जिंदा दफनाया गया| तब चंबा में पानी पहुँच पाया| आज भी रानी के बलिदान को याद किया जाता है| उनकी याद में मार्च- अप्रैल में सुई माता का मेला लगता है|
चामुंडा मंदिर चंबा
यह खूबसूरत मंदिर चंबे शहर से तीन किलोमीटर दूर भरमौर जाने वाले मार्ग के पास एक ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है, यहां से चंबे शहर का शानदार दृश्य दिखाई देता है। इस मंदिर में लकड़ी और पत्थर का ईसतमाल किया गया है| यहाँ का वातावरण बहुत शांत और रमणीय है|
हिमाचल प्रदेश के चंबा शहर के पास रावी नदी का खूबसूरत नजारा| रावी नदी पंजाब की एक महत्वपूर्ण नदी है जो हिमाचल प्रदेश में निकलती है| रावी नदी के किनारे ही हिमाचल प्रदेश का हैरीटेज शहर चंबा बसा हुआ है| रावी नदी पंजाब के अमृतसर और गुरदासपुर जिले में पाकिस्तान के साथ सीमा बनाती है| पंजाब और जम्मू कश्मीर की सीमा भी रावी नदी बनाती है| गुरु नानक देव जी से संबंधित गुरुद्वारा करतारपुर साहिब भी रावी नदी के पास बना हुआ है| पाकिस्तानी पंजाब की राजधानी लाहौर रावी नदी के किनारे पर बसा हुआ सबसे बड़ा शहर है| हिमाचल प्रदेश से निकलकर पंजाब से होकर पाकिस्तान में चिनाब नदी से मिल जाती है रावी नदी| घुमक्कड़ को नदियों के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए| पहाड़ो में नदियों के खूबसूरत दृश्य देखने के लिए मिलते हैं|
रावी नदी का किनारा
चौथी फोटो रावी नदी की हैं, रावी नदी को ईरावती नदी के नाम से भी जाना जाता है, कांगड़ा जिले में बड़ा भंगाल के पास से निकल कर रावी नदी चंबे शहर में प्रवेश करती हैं, चमेरा डैम और रणजीत सागर डैम भी रावी पर बने हुए हैं।
मुझे अक्सर नदियों के किनारे पर बसे हुए शहर बहुत आकर्षक लगते हैं।
माऐ नी मेरीऐ शिमले दे राही,
चंबा कितनी दूर।
शिमले नी बसना,
कसौली नी बसना,
चंबे जाना जरूर।
आप भी चंबे घूमने जरूर जाईये।
चंबा कैसे पहुंचे- चंबा पठानकोट से 104 किमी, डलहौजी से 42 किमी और शिमला से 340 किमी दूर है| चंबा का नजदीकी रेलवे स्टेशन पठानकोट है| आप पठानकोट से बस या टैक्सी करके चंबा पहुंच सकते हो| रहने के लिए आपको चंबा में हर बजट के होटल आदि मिल जाऐंगे|