स्वर्ग देखा है आपने? अब जिंदा हैं, तो जाहिर सी बात है नहीं ही देखा होगा। लेकिन स्वर्ग जैसी सुंदर जगहों के बारे में जानते तो जरूर होंगे। वैसे इतना तो दावे के साथ कहा जा सकता है कि स्वर्ग जैसी सुंदर जगह टाइप लाइन सुनकर सबसे पहले दिमाग में कश्मीर का ही नाम आता है। क्योंकि किसी ने भी स्वर्ग भले न देखा हो, लेकिन जिन्होंने ने भी कश्मीर की खूबसूरती देखी है; उन्होंने इतना तो मान लिया है कि कश्मीर से ज्यादा सुंदर और क्या ही होगा। इस जगह की हद से ज्यादा खूबसूरती के चलते हर कोई फिल्मों में देखे, किताबों में पढ़े और किस्सों में सुने कश्मीर के जादू को एक न एक बार अपनी आंखों में भी भरना चाहता है। लेकिन कभी किसी को समय तो कभी किसी को जेब कश्मीर जाने की इजाजत नहीं देता है।
वैसे अगर आप महाराष्ट्र में रहते हैं, तो फिर कश्मीर जैसी खूबसूरती के लिए आपको कश्मीर तक जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी। जी हां, महाराष्ट्र के जगप्रसिद्ध हिल स्टेशन महाबलेश्वर से करीब 25-30 किमी दूर एक इलाका है तपोला। सतारा जिले में स्थित इस इलाके की भौगोलिक बनावट ऐसी है कि मॉनसून के महीने में इसकी खूबसूरती में इतने चांद-सितारें लगते हैं कि स्वर्ग के धरती पर उतर आने का भ्रम होने लगता है। और इसी नायाब प्राकृतिक सौंदर्यता के चलते लोग इसकी तुलना धरती के स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर से करने से खुद को रोक नहीं पाते हैं। तो अब रुकना आपको भी नहीं है। क्योंकि हमारे पास है ऐसा प्लान जिसके जरिए आप बगैर ज्यादा जेब ढीली किए दो दिनों के वीकेंड में ही महाराष्ट्र के मिनी कश्मीर 'तपोला' की सैर कर सकते हैं।
मुंबई से करीब 300 किमी और पुणे से करीब 150 किमी की दूरी पर स्थित तपोला पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले महाबलेश्वर जाना होगा। महाराष्ट्र के मुंबई और पुणे इन दोनों प्रमुख शहरों से आप सड़क मार्ग के जरिए बड़ी आसानी से पहले महाबलेश्वर और फिर वहां से करीब 30 किमी की दूरी तय कर तपोला आ सकते हैं। यहां आने के बाद आपका सबसे पहला काम होगा दो दिनों तक तपोला में भटकने के लिए जरूरी एक ढंग की ठहरने लायक जगह की तलाश करना। तो इस मामले में आपको चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है। प्राकृतिक खूबसूरती से संपन्न तपोला में आधुनिक सुविधा से सुसज्ज होटल्स और रिसॉर्ट्स की भी भरमार है। नेचर के हरे-भरे पालने में झूला झूलते रिवर व्यू एग्रो टूरिज्म, दी निहाल रिसॉर्ट, नंदनवन टेंट एंड रिसॉर्ट, कोयना एग्रो टूरिज्म, ग्रीन नेक्स्ट एग्रो टूरिज्म, लेकवुड रिसॉर्ट, शिवसागर एग्रो टूरिज्म जैसे होटल्स और रिसॉर्ट्स में आप अपनी सहुलियत और सुविधानुसार कमरा लेकर ठहर सकते है।
पहले दिन की शुरुआत में आप सबसे पहले उस जगह पर जाएंगे, जहां के नजारों को देख हमें समझ आएगा कि क्यों तपोला को महाराष्ट्र का मिनी कश्मीर कहा जाता है। तो सुबह सबसे पहले आपको निकल जाना है फूलों के शहर कास पठार की ओर। करीब 1200 फीट की ऊंचाई और 10 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैला कास पठार 850 से भी ज्यादा प्रजाति के फूलों का घर है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इनमें ऑर्किड, कार्वी जैसी झाड़ियां और ड्रोसेरा इंडिका जैसे मांसाहारी फूलों के पौधे भी शामिल हैं। ज्वालामुखी चट्टानों से बना यह पठार अगस्त से अक्टूबर महीने के दौरान 'फूलों की घाटी' में तब्दील हो जाता है। अब जरा कल्पना कीजिए कि कास पठार पर जब आप सूरज की सुनहरी किरणों के बीच अनगिनत रंग-बिरंगी फूलों की सुगंधित दुनिया और इसकी सैर करते तितलियों के संसार को अपनी नजरों के सामने पाएंगे.. तो क्या खुद को मुगल बादशाह जहांगीर की तरह यह कहने से रोक पाएंगे कि- अगर दुनिया में कहीं स्वर्ग है, तो यहीं है... यहीं है... यहीं है।
इसी अनमोल सुंदरता और जैव-विवधता को ध्यान में रखते हुए साल 2012 में कास पठार का शुमार यूनेस्को विश्व प्राकृतिक विरासत स्थल में कर दिया गया। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कास पठार पर्यटकों के लिए सुबह 8 से शाम 6 बजे तक खुला रहता है। और प्रति व्यक्ति महज 50 रुपए देकर दिन में अधिकतम 3000 लोग फूलों के शहर की सैर कर सकते हैं।
सुबह के दोपहर से मिलने के बाद आप फूलों के शहर को अलविदा कह दोबारा अपने होटल में लौट आइए। यहां दिन के दूसरे पहर का खाना खाकर थोड़ा सुस्ता लीजिए। ताकि आपका शरीर आगे के एडवेंचर के लिए तैयार रहे। शाम शुरू होने से पहले आपको होटल से निकल अपने दूसरे पड़ाव पर पहुंच जाना है। तो पहले दिन का आपका दूसरा गंतव्य होगा शिवसागर झील। यह दरअसल कोयना नदी पर बने कोयना डैम का जलाशय है। चारों तरफ पहाड़ों से घिरे करीब 90 किमी लंबे इस जलाशय की खूबसूरती मॉनसून के मौसम में तो देखते ही बनती है। अगर आप वाटर स्पोर्ट्स करने के दीवाने हैं, तो फिर शिवसागर झील में आपको सबसे ज्यादा मजा आने वाला है। क्योंकि आप यहां वाटर स्कूटर राइड, स्विमिंग, कायाकिंग, बनना राइड और बोटिंग एन्जॉय कर सकते हैं। समय के साथ जैसे-जैसे सूरज अपने घर को लौट रहा होगा, शिवसागर झील की खूबसूरती वैसे-वैसे बढ़ती चली जाएगी। यकीन मानिए, चारों तरफ से घिरी पहाड़ियों की गोद में बह रहे कोयना नदी के क्रिस्टल क्लियर पानी में वाटर एक्टिविटी करते हुए सनसेट देखने का सुकून आपको जीवनभर याद रहेगा।
तो सुबह फूलों के शहर में भटकने और शाम पानी में उछलकूद कर बिताने के बाद आपको रात का पहर काटने के लिए दोबारा अपने होटल लौटना होगा। होटल आकर सबसे पहले स्थानीय जायके का स्वाद लेकर आंखों के बाद पेट को भी तृप्त करने का कार्यक्रम निपटाएंगे। इसके बाद 'आज क्या-क्या किया और कल क्या-क्या करना है' सरीखे खूबसूरत ख्याल के साथ गुफ्तगू करते-करते गहरी और मीठी नींद सो जाएंगे।
DAY-2
अगले दिन सुबह जल्दी उठकर हम निकल जाएंगे एक ऐसे इलाके तक जाने के सफर पर जहां से हम तपोला का पूरा 360 एंगल एक साथ देख पाएंगे। जी हां, तपोला की खूबसूरती को एक साथ एक नजर में अपनी आंखों में कैद करने के लिए हम करीब 3800 फीट ऊंचे वसोटा फोर्ट की चढ़ाई करेंगे। वसोटा फोर्ट ट्रेकिंग का जो रास्ता है, वो इसको अन्य सभी फॉर्ट्स की तुलना में कहीं ज्यादा खास बनाता है। दरअसल, वसोटा फोर्ट के लिए हमें सबसे पहले बामनोली गांव पहुंचना होता है। और फिर इसके बाद यहां से आगे का सफर बोट से तय करना होता है। एक बोट में 12 लोगों बिठाए जाते हैं। और इस बोट के जरिए बामनोली से कोयना नदी के रास्ते वसोटा फोर्ट के एंट्री गेट तक जाने के लिए आपको 3000 रुपए खर्च करने होते हैं। बामनोली गांव से बोट में बैठने के बाद आप खुद को एक अलग ही दुनिया में पाते है। और ऐसा हो भी क्यों ना। जब आदमी खुद को आसमान से बातें करते ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों के बीच से गुजरती नदी पर तैर रही किसी नाव पर बैठा पाएगा, तब उसे खुद के किसी अद्भुत लोक में होने का अहसास तो होगा ही ना।
करीब एक से डेढ़ घंटे पानी के रास्ते से सफर करने के बाद आप वसोटा फोर्ट के एंट्री गेट तक पहुंच जाएंगे। यहां आपको वन-विभाग को जरूरी कागजात दिखाने होंगे और वसोटा फोर्ट में एंट्री करने की एवज में 50 रुपए का टिकट लेना होगा। करीब दो घंटे का सफर तय करने के बाद आप वसोटा फोर्ट के टॉप पर पहुंच जाएंगे। यहां आने के बाद आपको जो नजारा नजर आएगा, वो सफर की सारी थकावट को पल-भर में छूमंतर कर देगा। वसोटा फोर्ट से आप देख पाएंगे कि महाराष्ट्र के सतारा जिले के तपोला का भूगोल बनाने में भगवान जी ने कितनी मेहनत की है। आपको नजर आएंगी चारों तरफ फैली सह्याद्री पर्वत की चोटियां और उन से बहकर आए झरनों के पानी से तैयार हुई कोयना नदी। बारिश के मौसम में यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि ज्यादा खूबसूरत क्या है- पहाड़ों पर चारों तरफ पसरी हरियाली या फिर कोयना नदी में बहता नीलम से ज्यादा नीला पानी। जी-भरकर वसोटा फोर्ट को जी लेने के बाद हम अब अपने होटल की ओर चल देंगे। ताकि, पेट पूजा कर शरीर को दोबारा शक्ति से भर सकें। बाकी, वसोटा से होटल लौटते वक्त आप राह के नजारों को बाह में भरकर साथ ले जाना कतई ना भूलिएगा।
वैसे अगर आप ट्रेक करने को एडवेंचर की बजाय बेकार की भागदौड़ मानने वाले लोगों में से एक हैं, तो फिर आप वसोटा फोर्ट जाने की बजाय कोयना वाइल्डलाइफ सेंचुरी घूमने का प्लान बना सकते है। करीब 425 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैला कोयना वाइल्डलाइफ सेंचुरी का इलाका जंगल सफारी का शौक रखने वालों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं है। यहां पर जंगल सफारी करते वक्त आपको बंगाल टाइगर, भालू और तेंदुए सरीखे विशाल जानवर देखने को मिल जाएंगे। इनके अलावा जंगल में आपको यहां- वहां उछल-कूद करते बेहद खूबसूरत सांभर हिरण भी आसानी से नजर आ जाएंगे। इस घने जंगल में आप अनगिनत प्रकार की पक्षियों को देखने का भी लुत्फ़ उठा सकते हैं। इस दौरान अगर आप बोटिंग का आनंद भी चाहते हैं, तो इसके लिए आपको प्रति व्यक्ति कम से कम 400 रुपए चुकाने होते हैं। कुल मिलाकर कहानी इतनी है कि अगर किसी को वसोटा फोर्ट के लिए दिन का 5 से 6 घंटा खर्च करना व्यर्थ लग रहा है तो वो इतना ही समय जंगल सफारी करके अपने हिसाब का आनंद भी उठा सकता है। अपको बता दें कि कोयना वाइल्डलाइफ सेंचुरी सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है। और यहां प्रवेश पाने के लिए महज 20 रुपए का टिकट शुल्क देना होता है।
दोनों में से कोई भी एक पर्यटन स्थल घूमने के बाद दोबारा अपने होटल लौट आएंगे। दोपहर का खाना खाने के बाद कमरे में थोड़ी देर आराम किया जाएगा और फिर शाम शुरू होने से पहले हम निकल जाएंगे त्रिवेणी संगम की ओर। जी हां, चौंकियेगा नहीं। हम प्रयागराज के संगम की नहीं बल्कि तपोला में मौजूद कोयना, सोलशी और कंधती इन तीन नदियों के संगम स्थल की बात कर रहे हैं। संध्याकाल में इस जगह की वाइब आपको एक अलग ही किस्म का सुकून देगी। आप यहां बैठकर आंखों से इस जगह के अविस्मरणिय सौंदर्य का स्वाद ले सकते हैं। बाकी अगर पानी देखने के बाद अंदर का बचा हुआ एडवेंचर बाहर आने को आतुर हो तो आप यहां से नाव लेकर कोयना नदी की सैर पर भी निकल सकते हैं। कोयना नदी में स्पीड बोट राइड का मजा चखने के लिए आपको कम से कम 750 रुपए खर्च करने होंगे। 45 मिनट की इस स्पीड बोट राइड के दौरान आप किसी वीरान आइलैंड पर जाने का आनंद भी उठा सकते हैं। इसके अलावा नदी किनारे दत्ता मंदिर जैसे धार्मिक स्थलों पर जाकर भगवान के दर्शन कर सकते हैं। और फिर आप चाहें तो नाव में बैठे-बैठे या फिर किनारे पर लेटे-लेटे दूसरे दिन की संध्या को धीरे-धीरे रात में तब्दील होते देखने का सुख भी भोग सकते हैं।
इसके बाद रात होने पर आप अपने होटल में जाकर आराम कर सकते है। या फिर अगर आप अपनी तपोला ट्रिप को और ज्यादा मजेदार बनाने की फिराक में हैं तो फिर 1000 से 2000 रुपए खर्च कर कोयना नहीं किनारे कैंपिंग करने का मजा भी अपने नाम कर सकते हैं। यहां अनलिमिटेड लोकल खाना-पीना और फिर देर रात तक नाच-गाना एन्जॉय कर सकते हैं। इसके बाद फिर थक-हारकर खुले आसमान और नदी किनारे लगे टेंट में सोने का भी अपना एक अलग ही मजा है। अगली सुबह आप जल्दी उठकर सूरज भगवान के आगमन यानी सनराइज को एन्जॉय कर सकते है। और फिर जैसे-जैसे सुरज आसमान में बढ़ने लग जाए, वैसे-वैसे हम भी तपोला से निकलकर अपने घरों को ओर लौट चल देंगे।
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