असली घुमक्कड़ वही होता है जो अनछुई जगहों पर जाने की हिम्मत कर पाता है। इन जगहों पर जाने पर रिस्क होता है लेकिन ऐसी घुमक्कड़ी ही क्या जिसमें जोखिम न हो। बुंदेलखंड को वीरों की भूमि कहा जाता है। यहाँ का हर शहर-कस्बा इतिहास के गलियारे से जुड़ा हुआ है। इसके बावजूद घुमक्कड़ सिर्फ खजुराहो और ओरछा तक ही सिमटकर रह जाते हैं। कुछ जगहें ऐसी भी हैं जो इतिहास में बहुत महत्व रखती थीं लेकिन अब उनको भुला दिया गया है। बुंदेलखंड का ऐसा ही खूबसूरत कस्बा है, कालपी। हर घूमने वाले का इस कस्ब की यात्रा जरूर करनी चाहिए।
कालपी यमुना किनारे बसा एक छोटा-सा कस्बा है जो झांसी-कानपुर के नेशनल हाईवे 25 पर स्थित है। कहा जाता है कि पुराने समय के राजा कालिब देव ने कालपी को बसाया था। इस कस्बे को स्थानीय लोग कालपी भी कहते हैं। बुंदेल राजा छत्रसाल से लेकर लक्ष्मीबाई तक सभी ने कालपी पर मजबूत पकड़ बनाए रखी। बाद में बाकी जगहों की तरह ये कस्बा भी अंग्रेजों के कब्जे में आ गया। मुगल शासक अकबर के दरबारी बीरबल इस कालपी से थे। इतिहास के पन्नों में महत्वपूर्ण जगह रखने वाला कालपी अपनी पहचान की जुगत में है। इस भुला दिए गए शहर को घूमने को प्लान जरूर बनाएं।
कैसे पहुँचे?
फ्लाइट सेः अगर आप हवाई मार्ग से कालपी जाना चाहते हैं तो सबसे नजदीकी एयरपोर्ट कानपुर है। कानपुर से कालपी की दूरी लगभग 115 किमी. है। आप सरकारी या प्राइवेट बस से कानपुर से कालपी पहुँच सकते हैं।
ट्रेन सेः यदि आप रेल मार्ग से कालपी जाने का प्लान बना रहे हैं तो सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशल उरई है। उरई से कालपी सिर्फ 35 किमी. है। आप टैक्सी या बस से कालपी पहुँच सकते हैं।
वाया रोडः कालपी वाया रोड अच्छी तरह से कनेक्टेड है। झांसी 105 और कानपुर 115 किमी. की दूरी पर है। आपको इन शहरों से कालपी के लिए बस मिल जाएगी। अगर आप खुद की गाड़ी से आना चाहते हैं तब तो आपको कोई दिक्कत नहीं होगी।
कब जाएं?
बुंदेलखंड का ज्यादातर इलाका पठारी है। यहाँ पर गर्मियों में तपा देने वाली गर्मी पड़ती है और सर्दियों में ठंडक रहती है। अगर आपको कालपी घूमना है तो सर्दियों में यहाँ आने का प्लान बनाएं। कालपी के लिए दिसंबर से फरवरी का समय सबसे बेस्ट है। उस समय आप कालपी को अच्छे-से घूम सकते है। कालपी में ठहरने की कोई समस्या नहीं आएगी। इस छोटे-से कस्बे में कई लॉज और होटल हैं। जिनमें आप रात गुजार सकते हैं। इसके अलावा कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर उरई है। वहाँ पर तो आपको बड़े से बड़े होटल मिल जाएंगे।
क्या देखें?
1. चौरासी गुंबद
कालपी ऐतहासिक जगह है इसलिए यहाँ पर देखने के लिए कई जगहें हैं जिनमें से एक है चौरासी गुंबद। आर्किटेक्चर का शानदार नमूना ये गुंबद चौकोर के आकार का बना हुआ है। 15वीं शताब्दी में बनी इस गुंबद के अंदर लोदी शाह बादशाह समेत दो कब्र बनी हुई हैं। इसमें 84 मेहराब हैं और अंदर से पूरी तरह से शतरंज की तरह दिखाई देता है। 60 फीट ऊँचे ये इन गुंबदों पर नक्काशी बेहतरीन है। सरकार और लोगों की अनदेखी के चलते इसकी हालत भी सही नहीं है। आप कालपी आएं तो इस जगह पर जाना न भूलें।
2. लंका मीनार
कालपी की लंका मीनार हर किसी को देखनी चाहिए। इस मीनार को बुंदेलखंड के पहले वकील मथुरा प्रसाद निगम ने बनवाई थी। इस मीनार पर रावण का पुतला बना हुआ है। जिसकी आंख मे डायमंड लगा हुआ है। मीनार के ऊपर एक छत्रछाया और ब्रम्हा जी की मूर्ति बनी हुई थी। 1936 में वो बुर्ज टूट गिर गया था। मीनार के पास में 100 फीट से भी ज्यादा लंबे नाग-नागिन बने हुए हैं। यहाँ पर कुंभकर्ण, मेघनाद और अंगद की मूर्ति बनी हुई है। 7 मंजिला वाली ये मीनार 225 फीट ऊँचाई है। ये जितनी ऊँची मीनार है उतनी जमीन के नीचे है। मीनार की सबसे ऊँची जगह से पूरा शहर दिखता है। 200 साल पुरानी इंजनीजियरिंग को आपको जरूर देखना चाहिए।
3. वेद व्यास मंदिर
कालपी में मशहूर वेद व्यास मंदिर है। कहा जाता है कि इसी जगह पर वेद व्यास ने भगवान गणेश के साथ महाभारत लिखी थी। वेद व्यास के इस मंदिर में भगवान गणेश और वेद व्यास की मूर्ति है। आप धर्म को मानते हों या न मानते हों लेकिन घुमक्कड़ों की नजरों से इन जगहों को देखना चाहिए। कालपी जाएं तो इस मंदिर को देख सकते हैं।
4. मंत्र कक्ष
कालपी इतिहास से भरी जगह है। इस जगह की स्वतंत्रता संग्राम में बड़ी भूमिका थी। रानी लक्ष्मीबाई ने कालपी पर अपनी पकड़ बनाकर रखीं थी और वो यहाँ पर रही भी थीं। इसी कस्बे में एक पुराना मंत्र कक्ष है। कहा जाता है कि रानीलक्ष्मी बाई इसी कमरे में सीक्रेट मीटिंग करती थीं। अंग्रेजों से झांसी को छुड़ाने के लिए हमला करने से पहले इसी कक्ष में मीटिंग की थी। आप इस जगह पर भी आ सकते हैं।
5. जगमनपुर किला
कालपी से कुछ किलोमीटर की दूरी पर खूबसूरत जगमनपुर किला है। इसे मानसूनी किला भी कहा जाता है। उस समय ये किला और भी खूबसूरत हो जाता है। ये किला 5 नदियों के संगम के तट पर स्थित है। किले से नदियों के खूबसूरत नजारे को देखा जा सकता है। इस किले को 1593 में जगमन शाह ने बनवाया था। बाद के राजाओं ने इसमें और भी चीजें जोड़ी। किले में अंदर जाने के लिए दो बड़े गेट हैं। किले के अंदर मंदिर भी बने हुए हैं। रामपुरा किले को देखने जाएं तो जगमनपुर फोर्ट भी साथ में देख लें।
6. रामपुर किला
कालपी से सटे जालौन जिले के रामपुरा गाँव में ही रामपुरा किला है। चंबल के हरे-भरे जंगलों से घिरे इस खूबसूरत किले को कुशवाहा राजपूत ने बनवाया था। लगभग 600 साल पुराना किला आज अपने स्वरूप में बना हुआ है। इस समय महाराजा समर सिंह इस किले के राजा हैं। उन्होंने इस किले के कुछ हिस्से को होमस्टे में तब्दील कर दिया है। जिससे यहाँ आने वाले लोग यहाँ ठहर सके और यहाँ का अनुभव कर सकें। बुंदेलखंड आएं तो रामपुरा किले आना भूलें।
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