डुमस बीच: समुद्रतट पर बने इस कब्रिस्तान में दफ्न हैं कई राज़!

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डुमास बीच तक पहुँचने से पहले ही आपको यहाँ के वीराने का अहसास हो जाएगा। अगर इस रास्ते में आपको कुछ नज़र आता है तो वो है एक खंडहर बन चुके फार्म हाउस की दीवार जो रास्ते के साथ-साथ चलती है। बेजान पड़ी सड़कों पर ना तो कोई रिज़ॉर्ट या होटल दिखता है ना ही किसी ढाबे का निशान है। इस अजीब से रास्ते से गुज़रकर आप पहुँचते हैं अपनी मंजिल पर, उस बीच पर जो भारत के किसी भी दूसरे बीच से बिल्कुल अलग है!

काले रेत से बना है डुमास बीच। चार बीचेस हैं यहाँ पर जिनमें सो दो लोकप्रिय हैं। पहली नज़र में यहाँ कुछ भी डरावना नहीं लगता। हाँ, समुद्र के किनारे बने फैक्टरियों की चिमनियों से निकलता धुआँ बुरा लगता है। इक्का-दुक्का ऊँट वाले ग्राहक की राह तकते रहते हैं और कुछ भजिया बेचने वाले भटक रहे होते हैं।

जब मैं कुछ भूतिया अनुभव की तलाश में आस-पास भटकने लगा तो मुझे कुछ ख़ास नहीं मिला। मैं और मेरा दोस्त टहलते हुए, फोटोज़ खींचते हुए एक सुनसान जगह पर आ गए जहाँ कुछ बेंच लगे हुए थे। हमने सोचा कि यहीं सुस्ता लेते हैं। हम एक बेंच को साफ़ करने वाले थे कि हमने देखा कि उस बेंच पर गुलाब के फूल रखे हुए थे। दरअसल वो बेंच नहीं बल्कि एक क़ब्र था। ये बैठने की जगह नहीं, एक क़ब्रिस्तान था।

मैं थोड़ा सहम गया और हम वापस निकल गए।

बात उस दौर की है जब भारत में वर्ण प्रथा का प्रचलन था। अनुसूचित जाति के लोगों को अपने मृत रिश्तेदारों का अंतिम संस्कार हिन्दू प्रथा के अनुसार करने की मनाही थी। जबकि यह उनकी रीतियों के अनुकूल नहीं था, पर इन समुदायों को अपने मृतकों को दफ़नाना पड़ा था। डुमास बीच के चारों ओर जो खुले क़ब्रिस्तान हैं वहाँ इन्हीं लोगों के क़ब्र हैं। ऐसा कहा जाता है कि क्योंकि इन मृतकों का अंतिम संस्कार पूरा नहीं हुआ इसलिए अब तक उनकी आत्मा यहीं भटकती रहती है।

मैंने एक रेहड़ीवाले से बात की तो पता चला कि लोग शाम ढलने से पहले यहाँ से चले जाते हैं। समुद्रतट पर अजीबोगरीब रौशनी दिखती है पर ऐसा भी हो सकता है कि वो दूसरी तरफ कि फैक्टरियों से आ रही हो। एक-आध दुर्घटनाएँभी हो चुकी हैं क्योंकि समुद्रतट पथरीला है और झाड़ियों से भरा हुआ है।

Photo of डुमस बीच: समुद्रतट पर बने इस कब्रिस्तान में दफ्न हैं कई राज़! 2/2 by Kanj Saurav

हम वहाँ सात बजे तक ठहरे। रौशनी का अभाव और काले रेत की मौज़ूदगी जगह को मनहूस बना रही थी। हमने कोई भूत नहीं देखा, पर इसकी कहानी जान कर ही हमारे अंदर एक सन्नाटा सा छा गया था।समुद्रतट पर उठती मौजों से जो चहक मन में उठती है वह यहाँ से गुम थी।

अगर आप डुमास बीच आएँ तो

अगर आप डुमास बीच देखने आ रहे हैं तो सूरत के स्वाद का मज़ा ले सकते हैं। ढोकले के जैसा लोचो चटनी और कढ़ी के साथ बहुत स्वादिष्ट लगता है।

जगदीशचंद्र एक्वेरियम शहर का मुख्य आकर्षण है। श्यामाप्रसाद मुख़र्जी जूलॉजिकल गार्डन के इस हिस्से में अनेक प्रजाति की मछलियाँ हैं जो कि स्थानीय और पर्यटकों दोनों में लोकप्रिय है।

वांसडा राष्ट्रिय वन में घूमें

सूरत से 120 कि.मी. दूर, वांसडा नैशनल पार्क प्रकृति प्रेमियों के लिए ख़ास है। डुमास देखने के बाद, आप रात को सूरत वापस आ सकते हैं और अगली सुबह अपनी कार या फिर सरकारी बस से वांसडा के लिए निकल सकते हैं। गुजरती में वांसडा का मतलब बॉंस होता है। इस जंगल में बॉंस के ऊँचे पेड़ हैं और तेंदुए, लक्कड़बग्घे, बन्दर, हिरण और उड़ने वाली गिलहरियाँ हैं।

चूँकि यहाँ रहने की उचित व्यवस्था नहीं है, बेहतर यही होगा कि आप दोपहर तक सूरत वापस लौट जाएँ।

डुमास बीच कैसे पहुँचें

डुमास बीच सूरत से 22 कि.मी. दूर है। कुछ दूर तक के लिए आपको शेयर ऑटो और बसें मिल जाएँगी, पर बीच तक पहुँचने के लिए स्वयं से ऑटो बुक करना बेहतर रहेगा। यह सुनिश्चित कर लें कि आपने अपने लौटने का भी इंतज़ाम कर रखा हो क्योंकि शाम के वक़्त यहॉं यातायात मिलना मुश्क़िल है।

कहाँ ठहरें

सूरत शहर में ठहरने का बढ़िया प्रबंध है। यह एक बड़ा औद्योगिक शहर है इसलिए आपको हर बजट में रहने की जगह मिल जाएगी।

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