हमारे देश भारत के अनेक शहरों में ऐसे अनेक मंदिर मौजूद हैं जो धार्मिक दृष्टि से तो बेहद महत्वपूर्ण है हीं साथ ही अगर उनसे जुड़े इतिहास की बात करें तो वो भी किसी रोचक किस्से कहानियों से कम नहीं। इन्हीं में से कुछ मंदिर लोगों की आस्था का बहुत बड़ा केंद्र भी हैं जहाँ ईश्वर के दर्शन करने से आपके मन को सुकून तो मिलता ही है साथ ही दिल से मांगी हर इच्छा भी जरूर पूरी होती है। इसके अलावा भी अगर आप इनसे जुड़ा इतिहास और अन्य खास बातें सुनेंगे तो भी आपसे यहाँ जाये बिना रहा नहीं जायेगा। ऐसे ही राजस्थान में स्थित एक मंदिर के बारे में हम आपको इस लेख में बताने वाले हैं जो दुनिया का एकमात्र मंदिर बताया जाता है जहाँ बजरंगबली हनुमान जी अपने दाढ़ी मूंछ वाले स्वरुप में विराजमान है। तो चलिए बताते हैं आपको इससे जुड़ी पूरी जानकारी..
सालासर बालाजी धाम मंदिर
राजस्थान के चूरू जिले में स्थित वर्ष 1754 में सालासर बालाजी धाम की स्थापना की गयी थी और तब से आज तक यहाँ आने वाले भक्तों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। इस मंदिर की अनेक विशेषताओं में से एक यह भी बताई जाती है की इस पवित्र मंदिर का निर्माण सन 1759 में नूर मोहम्मद व दाऊ नाम के कारीगरों से करवाया गया, जो कि साम्प्रदायिक सौहार्द एवं भाईचारे का अनुपम (अनूठा) उदाहरण हैं।
हनुमान जी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ा हुआ है लेकिन साथ ही यहाँ आपको उनके चेहरे पर दाढ़ी मूंछ भी दिखाई देगी जो किसी भी अन्य मंदिर में देखना संभव नहीं है। आज के समय में सिर्फ राजस्थान ही नहीं बल्कि देश-विदेश से हर साल लाखों भक्त यहाँ बालाजी के दर्शनों के लिए आते रहते हैं।
सालासर बालाजी धाम मंदिर का इतिहास
मंदिर के इतिहास के जानकारों के द्वारा इससे जुड़ी एक बड़ी रोचक घटना बताई जाती है। ऐसा बताया जाता है कि सं 1754 में आसोटा नाम के एक गाँव में एक किसान जब खेत की जुताई का कार्य कर रहा था तभी उसके हल का फाल किसी वस्तु में अटक जाने से बैलों को रोककर उस स्थान की खुदाई करने पर उसे एक पत्थर दिखाई दिया और उसे अच्छे से देखने पर भगवान् श्री राम और लक्ष्मण को कन्धों पर बैठाये हुए श्री हनुमान जी महाराज की मूर्ति मिली। फिर किसान की पत्नी ने बहुत ही भक्ति भाव से हनुमान जी को रोटी के चूरमे का भोग लगाया और गाँव के ठाकुर को इसके बारे में सुचना दी।
ठाकुर मूर्ति को अपने घर ले आये लेकिन नींद में उन्हें भगवान् कि आवाज़ सुनाई दी कि "मैं मेरे भक्त मोहनदास के लिए प्रकट हुआ हूँ इसलिए मुझे तुरंत सालासर पहुंचाओ" और इसी के साथ ठाकुर ने बैलगाड़ी से मूर्ति को सालासर की ओर भेज दिया।
इधर बात करें भक्त मोहनदास की तो महाराज मोहनदास बहुत बड़े हनुमान भक्त थे। ऐसा बताया जाता है कि उन्हें हनुमान जी ने दर्शन दिए थे और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें मूर्ति स्वरुप सालासर में विराजमान होने का वरदान दिया था। साथ ही सपने में उन्हें बताया था की मूर्ति को लाती बैलगाड़ी को कोई भी रोके नहीं और वो खुद जहाँ भी रुक जाये वहीं पर हनुमान जी की मूर्ति को स्थापित कर दिया जाये। उसी के अनुसार हनुमान जी की मूर्ति को वर्तमान स्थान पर स्थापित किया गया था। फिर अगले 2 साल तक मंदिर निर्माण का कार्य संपन्न हुआ।
साथ ही बताया जाता है की जब हनुमान जी ने साक्षात् दर्शन मोहनदास महाराज को दिए थे तो भगवान के मुख-मंडल पर दाढ़ी और मूंछ तथा हाथ में छड़ी के साथ ही दिए थे और इसीलिए सालासर धाम मंदिर में हनुमान जी के उसी स्वरुप के मूर्ति रूप में दाढ़ी मूंछ के साथ आज भी आप दर्शन कर सकते हैं।
मंदिर में दर्शनों का समय
मंदिर प्रशासन द्वारा मिली जानकारी के अनुसार दर्शनों के लिए मंदिर सुबह 5:30 बजे खुल जाता है और रात्रि में 8:45 बजे तक आप सालासर बालाजी के दर्शन कर सकते हैं। इसके साथ ही आपको बता दें कि गर्मियों में सुबह के पहली आरती यानी कि मंगला आरती सुबह 5 बजे होती है और वहीं सर्दियों में यह 5:30 बजे होती है। इसके अलावा आपको बता दें कि अगर आप विशेष राजभोग महाप्रसाद आरती देखना चाहते है तो यह सिर्फ मंगलवार को सुबह 10:30 बजे होती है। इस धाम में हर मंगलवार और शनिवार को भक्तो कि अधिक भीड़ आपको देखने को मिलती है क्योंकि इन दिन में हनुमान जी के दर्शनों का खास महत्त्व बताया जाता है।
सालासर धाम कैसे पहुंचे?
हवाई मार्ग द्वारा
अगर आप हवाई मार्ग से मंदिर जाना चाहते हैं तो आपको बता दें कि सालासर में कोई एयरपोर्ट नहीं है लेकिन आप देश या विदेश के किसी भी बड़े शहर से जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए सीधी उड़ान ले सकते हैं और फिर वहां से आसानी से टैक्सी या बस वगैरह के द्वारा सालासर आसानी से पहुँच सकते हैं। जयपुर एयरपोर्ट से सालासर धाम की दूरी लगभग 180 किलोमीटर है।
सड़क मार्ग द्वारा
जयपुर से सीकर होते हुए आप आसानी से सालासर बालाजी धाम पहुँच सकते हैं। इसके लिए आप चाहें तो खुद के वाहन से या फिर टैक्सी या बस के माध्यम से जयपुर से रवाना होकर करीब 3-4 घंटे के सफर के साथ मंदिर तक पहुँच सकते हैं। जयपुर शहर से सालासर बालाजी धाम की दूरी सिर्फ 170 किलोमीटर है। वहीं सीकर से यह सिर्फ 50 किलोमीटर दूर है।
रेल मार्ग द्वारा
सालासर में अभी तक कोई रेलवे स्टेशन नहीं है लेकिन यहाँ से सिर्फ 25 किलोमीटर दूर सुजानगढ़ रेलवे स्टेशन है और इसके अलावा करीब 50 किलोमीटर दूर एक बड़ा स्टेशन सीकर रेलवे स्टेशन भी है। आप आसानी से सुजानगढ़ या फिर सीकर रेलवे स्टेशन उतरकर वाहन से टैक्सी या फिर बस वगैरह कि सहायता से सालासर धाम पहुँच सकते हैं।
तो अगर आप राजस्थान में है या फिर राजस्थान यात्रा की प्लानिंग कर रहे हैं तो सालासर बालाजी धाम में भगवान् के दर्शन करना बिलकुल न भूलें। इसके लिए हमारे पास जो भी जानकारियां थी उसे हमने इस लेख के द्वारा आपसे साझा किया है। अगर आपको ये आर्टिकल अच्छा लगा तो कृपया इसे लाइक जरूर करें और ऐसी ही अन्य जानकारियों के लिए आप हमें फॉलो भी कर सकते हैं।
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