उत्तराखंड में बद्रीनाथ धाम का नाम हिंदू धर्म के चार धाम में आता है| ऐसा कहा जाता है बद्रीनाथ में भगवान विष्णु ने तपस्या की थी| बद्रीनाथ जी के दर्शन करने से मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है| चारों युगों में चार धामों की सथापना की गई थी| सतयुग का धाम बद्रीनाथ, त्रेता युग में रामेश्वरम, द्वापर युग में द्वारका और कलियुग में जगन्नाथ जी | हर साल लाखों श्रदालु बद्रीनाथ जी के दर्शन करने के लिए आते हैं| बद्रीनाथ मंदिर के कपाट अप्रैल के आखिरी दिनों में या मई के पहले हफ्ते में खोले जाते हैं और अकतूबर- नवंबर में बंद होते हैं| शीतकाल में पूजा नरसिंह मंदिर जोशीमठ में होती है| बद्रीनाथ धाम नर और नारायण पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा हुआ है| बद्रीनाथ धाम अलकनंदा नदी के तट पर बसा हुआ है| प्राचीन काल में यह क्षेत्र बदरियों ( जंगली बेरों) से भरा हुआ था शायद इसीलिए इस क्षेत्र को बदरी वन भी कहा जाता था| बद्रीनाथ कुल 3 किलोमीटर में फैला हुआ है| बद्रीनाथ की समुद्र तल से ऊंचाई 3133 मीटर है| बद्रीनाथ मंदिर का निर्माण आदि गुरु शंकराचार्य ने किया था| सर्दी में बर्फबारी और ठंड की वजह से बद्रीनाथ मंदिर बंद रहता है|
बद्रीनाथ पहुंचना - साल 2021 में नवंबर महीने के शुरुआत वाले दिनों में एक ग्रुप यात्रा के रूप में मुझे भी बद्रीनाथ धाम की यात्रा पर जाने का मौका मिला| हमारी यात्रा की शुरुआत उतराखंड के काठगोदाम से शुरू हुई थी| काठगोदाम से चलकर रानीखेत होते हुए हम देर रात को कर्णप्रयाग पहुंचे थे| फिर अगले दिन कर्णप्रयाग से चलकर जोशीमठ होते हुए बद्रीनाथ धाम पहुँच गए थे| बद्रीनाथ धाम पहुँच कर सबसे पहले हमने होटल में सामान रखा और कुछ देर आराम किया | फिर शाम को हम बद्रीनाथ धाम के दर्शन करने के लिए चल पड़े| बद्रीनाथ धाम काफी ऊंचाई पर है 3100 मीटर पर काफी ठंड लगती है | जब हम शाम को बद्रीनाथ की गलियों से मंदिर की तरफ जा रहे थे तो काफी ठंड लग रही थी| एक तो नवंबर का महीना था दूसरा ऊंचाई पर होने की वजह से| हम बद्रीनाथ के बाजार में गुजरते हुए दुकानों को देखते हुए अलकनंदा नदी के ऊपर बने हुए पुल को पार करते हुए बद्रीनाथ मंदिर के द्वार पर पहुँच गए थे| बद्रीनाथ मंदिर आपको बाजार में ही दिखाई देने लग जाता है अलकनंदा नदी के पुल से पहले ही| बद्रीनाथ मंदिर का रंग बिरंगी प्रवेश द्वार आपका मन मोह लेता है| बद्रीनाथ में आप एक आलौकिक माहौल को महसूस करते हैं| बद्रीनाथ मंदिर के पास ही अलकनंदा नदी के तट के साथ तपतकुंड बना हुआ है जिसमें गर्म पानी में आप स्नान कर सकते हो जिससे आपकी यात्रा की सारी थकान उतर जायेगी| श्रदालु बद्रीनाथ मंदिर के दर्शन इस कुंड में स्नान करने के बाद जाते हैं| हम भी बद्रीनाथ मंदिर में दर्शन करने के लिए लाईन में लग जाते हैं| मंदिर के खूबसूरत प्रवेश द्वार को पार करते हुए हम मंदिर में दाखिल होकर भगवान विष्णु के दर्शन करते हैं| बद्रीनाथ मंदिर 15 मीटर ऊंचा है और इस मंदिर में भगवान विष्णु की एक मीटर ऊंची मूर्ति है जो काले रंग के पत्थर से बनी हुई है| इस दिव्य मूर्ति में भगवान विष्णु धयान मुद्रा में बैठे हुए हैं| हमने बद्रीनाथ जी के दर्शन किए| मंदिर के अंदर फोटोग्राफी करना मना है| आप मंदिर के बाहर फोटोग्राफी कर सकते हो| दर्शन करने के बाद कुछ समय मंदिर में बैठकर हम बद्रीनाथ मंदिर से बाहर आकर हमने बद्रीनाथ मंदिर की बहुत सारी तसवीरें खींचीं| अगले दिन सुबह फिर हम बद्रीनाथ मंदिर के दर्शन करने के लिए गए| इस तरह हमारी बद्रीनाथ धाम की यात्रा संपूर्ण हुई |
कैसे पहुंचे- बद्रीनाथ धाम की दूरी ऋषिकेश से 291 किमी, हरिद्वार से 319 किमी , राजधानी देहरादून से 328 किमी और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से 550 किमी है| आप बस मार्ग से हरिद्वार, देहरादून और ऋषिकेश से बस लेकर बद्रीनाथ धाम पहुँच सकते हो| इसके अलावा आप शेयर टैक्सी या अपनी गाड़ी से भी बद्रीनाथ धाम आ सकते हो|
कहाँ ठहरे- बद्रीनाथ धाम में आपको बहुत सारे होटल, धर्म शाला और गैस हाऊस आसानी से मिल जाऐगे| जहाँ आप ठहर सकते हो|