उत्तराखंड के इस गाँव में बसते हैं कौरवों और पांडवों के वंशज

Tripoto

उत्तराखंड प्राचीन समय से ही अनेकों ऋषियों ,संतों और देवताओं की भूमि रहा हैं।इसीलिए इसे देवभूमि भी कहा जाता हैं। इसकी अल्टीमेट खूबसूरती के कारण ऐसा लगता हैं कि कोई भी मौसम क्यों ना हो ,उत्तराखंड घुम्म्म्कड़ी करने के लिए हमेशा सबसे ज्यादा बेस्ट हैं। यही कारण हैं कि सालभर यहाँ घुम्म्मकड़ों ,श्रद्धालुओं और ट्रैक्कर्स की भीड़ पड़ी रहती हैं।आज हम उत्तराखंड की उस छिपी जगह की यात्रा पर चलते हैं जिसके बारे में अच्छे से अच्छे घुम्मकड़ भी नहीं जानते।

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Photo of उत्तराखंड के इस गाँव में बसते हैं कौरवों और पांडवों के वंशज by Rishabh Bharawa

कलाप के बारे में

देहरादून से करीब 200 किमी दूर 'कलाप ' नाम का एक छोटा सा गाँव हैं। यह गाँव आसपास के कई इलाकों से एकदम कटा हैं। इसका मतलब हैं कि यहाँ तक पहुंचने के लिए आपको साधन नहीं मिलेगा ,क्योंकि ऐसी सड़क उधर नहीं हैं। आपको यहाँ पैदल ट्रेक करके पहुंचना होगा। इसी कटे रहने के कारण यह गाँव शान्ति और सुकून चाहने वाले सैलानियों के लिए सबसे उपयुक्त जगह हैं। क्योंकि यहाँ आसपास ना की गाड़ियों का शोर हैं ना भीड़ भाड़ की झंझट। यहाँ तो सिर्फ मिलते हैं देवदार के लम्बे लम्बे पेड़ और पक्षियों की चहचहाहट। आजकल वैसे भी सब ऐसी सुकून भरी जगह की ही तलाश में हैं।

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इस गाँव को अगर कुछ लोग जानते भी हैं तो इसीलिए जानते हैं क्योंकि यहाँ के लोकल लोग अपने आप को पांडव और कौरवों के वंशज मानते हैं। यहाँ महाभारत काल की अनेकों कहानियां भी लोकल लोग सुनाते है जिन्हे सुनने कई लोग यहाँ पहुंचते हैं।गाँव में जो मुख्य मंदिर हैं वो पांच पांडवों में से एक भाई 'कर्ण' का मंदिर हैं।हर 10 सालों में यहाँ कर्ण महाराज महोत्सव भी मनाया जाता हैं।इसके अलावा हर साल जनवरी में यहाँ पांडव नृत्य का आयोजन होता हैं। तो देखिये किस तरह यहाँ के निवासी महाभारत काल से जुड़े हुए हैं।

यहाँ आप केम्पिंग ,ट्रैकिंग ,नेचर वॉक ,बर्ड वाचिंग जैसी गतिवधियां कर सकते हैं। यह गाँव रूपिन नदी के किनारे बसा हैं एवं समुद्रतल से यहाँ की ऊंचाई करीब 7800 फ़ीट की हैं।यहाँ के लोगों की कमाई का जरिया खेती है। कुछ टूरिस्ट यहाँ जा कर भी यहाँ के लोगों को कुछ कमाई दे जाते हैं। कलाप से बन्दरपूँछ पर्वत की पीक भी दिखाई देती हैं।मेरे हिसाब से अगर आपको उत्तराखंड में किसी नई अनछुई जगह की तलाश हैं तो कलाप आपके लिए एक शानदार जगह साबित हो सकती हैं।

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कैसे पहुंचे : कलाप की दिल्ली से दूरी 450 किमी हैं ,वही उत्तराखंड के देहरादून से इसकी दूरी करीब 200 किमी ही हैं। आप देहरादून से टैक्सी हायर करके नेटवर्क तक पहुंच सकते हैं। इसके आगे दो पैदल मार्ग मिलते हैं और दोनों ही कलाप की तरफ जाते हैं।

कहा रहे : गाँव में आपको होमस्टे में रहना पड़ेगा।

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