हम सभी जानते हैं कि ऑरेंज यानी संतरा हमारी हेल्थ के लिए बेहद फायदेमंद फल है लेकिन इससे हटकर अगर आप किसी संतरे के बागान में कुछ पल बिताते हैं तो चारों ओर पेड़ों पर लगे संतरे देखने का नज़ारा आपकी आँखों के साथ आपके मन के लिए भी एक बेहद आनंददायक अनुभव होता है। अब बात अगर संतरों की करें तो सबसे पहले हमारे दिमाग में ऑरेंज सिटी कहे जाने वाले महाराष्ट्र के नागपुर शहर का ही नाम आता है। लेकिन आज हम इस लेख में आपको देश की एक अन्य बेहद खूबसूरत ऑरेंज सिटी के बारे में बताने वाले हैं जो संतरों के उत्पादन में तो देश के टॉप शहरों में आता ही है लेकिन इसके साथ ही यकीन मानिये कि इस सुन्दर छोटे से पहाड़ी शहर की यात्रा आपके मन में हमेशा के लिए खूबसूरत यादों के तौर पर बस जाएगी। तो चलिए बताते हैं आपको इससे जुड़ी पूरी जानकारी...
आलो, अरुणाचल प्रदेश
आलो (Aalo), जो पहले अलोंग (Along) कहलाता था, अरुणाचल प्रदेश राज्य में सिपू नदी और योमगो नदी के संगम पर स्थित, पश्चिम सियांग जिले का मुख्यालय है। इस छोटे से शहर में आपको संतरे के बागानों के साथ चारों ओर प्रकृति के बेहद खूबसूरत नज़ारे ही देखने को मिलेंगे। जनसँख्या के लिहाज़ से भी एक छोटा शहर आलो समुद्र तल से सिर्फ 300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। महाराष्ट्र की ऑरेंज सिटी नागपुर से करीब 2400 किलोमीटर दूर ये सुन्दर शहर भारत में संतरों के उत्पादन में अरुणाचल प्रदेश को भी टॉप पर खड़ा करने के लिए जाना जाता है। यहाँ देखने को पर्यटन स्थलों के नाम पर इतना कुछ नहीं है लेकिन अगर आप किसी ऑफबीट जगह पर जाना चाहते हैं जहाँ आप बिना किसी पर्यटकों की भीड़ के खुद को प्रकृति के बेहद करीब महसूस करना चाहते हैं तो यकीन मानिये इससे बेहतर जगह हो ही नहीं सकती।
यहाँ नदी किनारे बैठकर बस कुछ भी ना करना, खूबसूरत पहाड़ो के नज़ारो के साथ संतरे के बागानों में घंटो बिताना, समुद्रतल से बेहद कम ऊंचाई पर स्थित हिमालय की तलहटी में बसी एक अलग ही दुनिया के खूबसूरत दृश्य निहारना और आम शहरों की भीड़ से एकदम दूर एक सुकून भरी दुनिया में कुछ दिन बिताना, वास्तव में ये सभी पल आपके जीवन की सबसे खूबसूरत यादों में जुड़ने वाले होंगे।
आलो में की जाने वाली गतिविधियां
जैसा कि हमने आपको बताया कि अरुणाचल प्रदेश का आलो सिपू नदी और योमगो नदी के संगम पर हिमालय की तलहटी में बसा एक खूबसूरत शहर है इसीलिए यहाँ कई तरह की एडवेंचर एक्टिविटीज जैसे कि ट्रैकिंग, पैराग्लाइडिंग, रिवर राफ्टिंग में शामिल होकर आप अपनी अरुणाचल की यात्रा को बेहतरीन बना सकते हैं। पहाड़ों और संतरों के विशाल बागानों से घिरा आलो किसी भी तरह के घुमक्कड़ के लिए एक परफेक्ट जगह है जहाँ आप चाहें तो लोकल मार्केट में घूमते हुए यहाँ की अद्भुत संस्कृति को समझ सकते हैं, नदी किनारे प्रकृति के बेहद करीब बैठकर कानों में सिर्फ नदी के संगीत को सुन सकते हैं, अनेकों सुन्दर ट्रेक पर जा सकते हैं या फिर यहाँ की गालो जनजाति के लोगों के साथ कुछ समय बिता सकते हैं। इन सभी विकल्पों को अपने प्लान के अनुसार जितना भी समय आप देंगे, यकीन मानिये हर गतिविधि आपके मन में हमेशा के लिए एक गहरी छाप छोड़ देगी।
आलो में घूमने लायक जगहें
हालाँकि आलो में घूमने के लिए ज्यादा पर्यटक स्थल नहीं हैं लेकिन फिर भी आलो में जहाँ भी आप जायेंगे वो हर जगह आपको किसी सुन्दर पर्यटन स्थल से कम नहीं लगने वाली। फिर भी चलिए जान लेते हैं आलो के कुछ खास पर्यटन स्थल-
डोनयी-पोलो मंदिर
बताया जाता है कि "डोनयी-पोलो" नाम का अर्थ "सूर्य-चंद्रमा" है और इसीलिए आप समझ सकते हैं कि ये मंदिर सूर्य और चन्द्रमा की पूजा करने हेतु यहाँ का एक बड़ा आस्था का केंद्र है। बताया जाता है कि डोनयी-पोलोइज़्म एक प्राचीन धर्म है जिसमें सूर्य और चंद्रमा की पूजा की जाती है। यह मंदिर अरुणाचल प्रदेश के 400 पवित्र केंद्रों में से एक है जो प्राचीन धर्म डोनयी पोलोइज़्म का प्रचार करता है।
पटुम ब्रिज
योमगो नदी पर बना हुआ ये केबल पुल यहाँ के दैनिक जीवन में ट्रांसपोर्ट और अन्य गतिविधियों के लिए तो बेहद महत्वपूर्ण है ही इसके अलावा ये पुल आलो का बेहद लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है। यहाँ नदी के साथ बहती ताज़ा हवाओं को महसूस करते हुए आप चारों ओर के हिमालय के पर्वतों के नज़ारों को देख सकते हैं और साथ ही बेहद खूबसूरत बहती नदी के ऊपर बने इस पुल पर चलना भी अपने आप में किसी सुखद अनुभव से कम नहीं।
हैंगिंग ब्रिज
रस्सियों और बांसों से बना हुआ ये पुल करीब 60-70 मीटर लम्बा है और यहाँ की जनजाति के लोगों के लिए दैनिक जीवन में एक बहुत बड़ा सहारा है। इस ब्रिज पर सिर्फ चलना ही किसी अद्भुत एडवेंचर से कम नहीं और साथ ही पुल पर चलते हुए नीचे नदी में आपको कई रंग बिरंगी मछलियां दिखाई देती हैं जो आपके अनुभव को कहीं ज्यादा खूबसूरत बना देती हैं।
रिवर राफ्टिंग
आलो में सियोम (योमगो) नदी पर की जाने वाली रिवर राफ्टिंग यहाँ के सबसे बेहतरीन अनुभवों में से एक है जिसे आपको बिलकुल भी मिस नहीं करना चाहिए। अरुणाचल में प्रकृति के सुन्दर दृश्य और आपको उत्साह से भर देने वाली नदी है सियोम नदी। नदी का तेज़ बहाव और अनेक शानदार रैपिड्स आपके राफ्टिंग के अनुभव को यादगार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ने वाले।
संतरे के बागान
बाकी चीजों की बात कर ली लेकिन इन्हें हम कैसे भूल सकते हैं। आलो में इन विशाल संतरों के बागानों में आप चारों ओर के प्राकृतिक नज़ारों के बीच गहरे हरे पेड़ों में जब नारंगी रंग के संतरों को लगे देखंगे तो यकीन मानिये ये सुन्दर दृश्य किसी खूबसूरत पेंटिंग से कम नहीं लगने वाला। इन बागानों की एक झलक ही आपकी आँखों के साथ आपके मन में हमेशा के लिए बस जाएगी।
यहाँ कैसे पहुंचे?
हवाई मार्ग द्वारा
अगर आप इस अद्भुत शहर तक हवाई मार्ग से पहुंचना चाहते हैं तो सबसे नजदीकी एयरपोर्ट पासीघाट एयरपोर्ट है जो कि गुवाहाटी और कोलकाता एयरपोर्ट से जुड़ा हुआ है। तो आप देश के किसी भी शहर से पहले गुवाहाटी या कोलकाता पहुंचकर फिर पासीघाट एयरपोर्ट पहुँच सकते हैं। वहां पहुंचकर आप आलो तक आसानी से टैक्सी या बस से पहुँच सकते हैं। पासीघाट से आलो की दुरी सिर्फ 100 किलोमीटर है।
रेल मार्ग द्वारा
सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन असम का मुरकोंगसेलेक रेलवे स्टेशन है जहाँ से आलो की दूरी करीब 135 किलोमीटर है। इस स्टेशन पर पहुंचकर आप आसानी से बस या फिर टैक्सी वगैरह से अरुणाचल प्रदेश के सभी मुख्य शहरों तक पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग द्वारा
सड़क मार्ग से आप खुद के वाहन से भी आलो आसानी से पहुँच सकते हैं और इसके अलावा बस के द्वारा भी आप ईटानगर, पासीघाट या फिर मोयिंग से आलो पहुँच सकते हैं। ईटानगर से आलो के लिए अरुणाचल प्रदेश राज्य परिवहन सेवा (एपीएसटीएस) की बसें नियमित रूप से उपलब्ध रहती हैं। ईटानगर से आलो करीब 300 किलोमीटर दूर है।
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