कज़ाकिस्तान के बारें में सुनकर काफी लोगों को लगता होगा कि क्या हैं ऐसे देश में, रेतीले इलाके ,कुछ इमारतें ,ऊंट ,बकरियां..... मैं भी यही सोचता था ,बस यह पता था कि यह सेन्ट्रल एशियन देश हैं। अंग्रेजी में इसको kazakhstan लिखते हैं यह भी बाद में ही पता चला। एक शाम मेरे एक फेसबुक मित्र जो कि भीलवाड़ा में ही ट्रेवल कम्पनी चलाते हैं उनके साथ मेरे ऑफिस में वार्तालाप हो रहा था। तब उन्होंने मुझे बताया कि कज़ाकिस्तान के शिमकैंट तक एक नयी फ्लाइट चली हैं जो अभी शुरुवात में दिल्ली से शिमकैंट तक केवल 4000 रूपये में पंहुचा रही हैं। फिर आगे उन्होंने बताया कि आगे हम उज़्बेकिस्तान देश में भी सड़क मार्ग से प्रवेश कर सकते हैं। उन्होंने समरकंद ,ताशकेंट ,अल्माटी ,शिमकैंट,बुखारा जैसे ना जाने किस किस जगह के नाम लिए जो मेरी समझ में नहीं आ रहे थे। मुझे बस ताशकेंत का पता था क्योंकि वहां हमारे दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की रहस्य्मयी मौत हुई थीं। मुझे बस ताशकेंट ही जाना था। लेकिन मैने सोचा कि क्यों एक जगह के चक्कर में इतने दिन ख़राब करे ,क्या पता वहां उन देशों में कुछ अच्छी जगह देखने को मिले ना मिले ,गर्मी पड़ती हैं उधर वो अलग। मैंने उन मित्र को कहा कि "देखते हैं, मूड होगा तो आपको बता दूंगा। "
फिर मैं वापस अपने काम में व्यस्त हो गया और सब भूल गया। कुछेक दिनों बाद एक फेसबुक मित्र से मेरे ऑफिस में मुलाकात हुई और उनके साथ वही भीलवाड़ा वाले मित्र से भी। तब वापस कज़ाकिस्तान ,उज़्बेकिस्तान ,दुबई ,अबू धाबी की बाते शुरू हुई और फिर मेरे उन फेसबुक वाले मित्र ने मेरे अंदर उन देशों को घूमने की आग लगवा दी। लेकिन तब तक टिकट 30000 रूपये का हो चूका था। भीलवाड़ा वाले मित्र तो अपने दो दोस्तों के साथ टिकट पहले ही बुक करवा लिए। अब हम दो लोग रह गए फिर हमने उन लोगों से 4 दिन पहले अकेले ही कज़ाकिस्तान जाने का प्लान बनाया ,टिकट मिला बहुत ही सस्ता। मेरे साथ इंजीनियरिंग किया हुआ एक मित्र ने भी हमें ज्वाइन करने की बात रखी । और इस तरह हमारा प्लान बना कि कज़ाकिस्तान के शीमकेंट ,अल्माटी शहर को घूम कर फिर उज़्बेकिस्तान के कुछ शहरों को घूमकर हम लोग अबू धाबी और दुबई होते हुए वापस भारत आ जायेंगे। यह प्लान था 15 दिनों का।
कज़ाकिस्तान हमारे लिए वीजा फ्री देश हैं। उज़्बेकिस्तान का वीज़ा हमें 2500 का पड़ा और दुबई का टूरिस्ट वीज़ा हमें करीब 7000 का पड़ा। दुबई का ट्रांजिट वीजा भी मिलता हैं जो कि सस्ता पड़ता हैं लेकिन हमने टूरिस्ट वीजा लिया। हमें तीन देश एक साथ जाना था तो यह तो पता था कि दिल्ली एयरपोर्ट पर काफी पूछताछ होगी । इसीलिए हमने सारी जगहों की होटल्स की भी बुकिंग्स कर ली,लेकिन बुकिंग में पेमेंट का ऑप्शन बाद का रखा। ताकि अगर होटल समझ ना आये तो बदली जा सके ,यूँ मानों डम्मी बुकिंग्स थी। कुछ शहरों तक पहुंचने के लिए हमको बुलेट ट्रैन की भी एडवांस्ड बुकिंग्स करवानी थी ,उसके भी प्रिंटआउट ,होटल्स बुकिंग के प्रिंटआउट के साथ दिल्ली एयरपोर्ट पर मांग लिया जाता हैं। हमने दोनों वीजा ,सारी ट्रैन और फ्लाइट्स की टिकट्स ,होटल्स की बुकिंग्स की कॉपीज सबको उसी क्रम में जमा कर रख लिया जिस क्रम में हम यात्रा करेंगे। यह काम काफी हेक्टिक था और इसने हम सभी लोगों के कई दिन बर्बाद किये।
अब बात करे करेंसी की तो हमने अपने शहर से डॉलर्स ले लिए थे यह सोच कर कि जिस देश जाएंगे डॉलर को वहां की मुद्रा में बदला लेंगे। भाषा का हमको पता था कि कज़ाकिस्तान और उज़्बेकिस्तान में कोई अंग्रेजी नहीं जानता ,तो हमने गूगल ट्रांसलेटर डाउनलोड कर लिया। जिसमें हम अंग्रेजी /हिंदी में अपनी बात लिखे और उन्हें अपनी भाषा में वह बात समझ में आ जाए। फोन के नेटवर्क के लिए एक ने अपने मोबाइल में इंटरनेशनल रोमिंग का प्लान ले लिया।बाकी हम लोगों ने वही सिम खरीदी।
इस फ्लाइट के साथ दिक्कत यह थी कि इसमें आप कोई लगेज नहीं ले जा सकते ,केवल 5 किलो तक का हेंड लगेज ही अलाउड था। हालाँकि हमारे पास वजन करीब 7 किलो तक का था। काफी चीजें हमनें हाथ में ले ली जैसे कि मोबाइल ,पावर बैंक ,गिम्ब्ल। वजन थोड़ा ज्यादा आया लेकिन उन्होंने अलाउ कर दिया। फ्लाइट में सभी यूँ मानों इंडियन व्लॉगर्स ही आये हुए थे।तीन घंटे में हम shymkent उतरे ,ट्रांसलेटर से लोगों से बात करके हम लोग वहां के एक मॉल में घूमे। क्योंकि shymkent में घूमने को ज्यादा कुछ था नहीं तो किसी को अल्माटी जाना था तो किसी की यहाँ से मास्को की फ्लाइट थी। हम लोगों की रात की अल्माटी की ट्रैन थी, और अब हम लोग चार हो चुके थे। एक इंडियन सोलो ट्रैवलर ने भी हमारे ग्रुप को ज्वाइन कर लिया था।rishabh bharawa vlogs पर आप यह यात्रा और डिटेल में देख सकते हैं। VIDEO LINK:
DATE OF TRAVEL : JULY 2023
बाकी डिटेल्स अगली पोस्ट में....