कहते हैं मंज़िलल से ज़्यादा खूबसूरत सफर होता है। सफर में हर मोड़ नया नज़ारा लेकर आता है। इन रास्तों को देखना, खुले आसमां के नीचे खुद को पाना बहुत अच्छा लगता है। चलते-चलते ठहरना और लोगों से बातें करना, ये सब होता है एक रोड ट्रिप में। शायद इसलिए हर किसी की चाहत होती है कि वो कुछ दिन के लिए एक लंबी रोड ट्रिप पर निकल जाए। रोड ट्रिप तो वैसे ही उत्साहित करती है लेकिन जब बात विदेश जाने की हो तो इससे अच्छा क्या हो सकता है?
अगर आप भारत से सड़क मार्ग से विदेश की सैर करना चाहते हैं तो उसके लिए सबसे अच्छी जगह है, भूटान। भूटान घुमक्कड़ों के बीच पसंदीदा जगह है। यहाँ की हरियाली, पहाड़ और छिप जगहें लोगों को आकर्षित करती है। इस जगह की सुंदरता के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। यहाँ कुछ जगहें तो ऐसी हैं जिनके बारे में आपको इंटरनेट पर भी कुछ नहीं मिलेगा। अगर आप रोड ट्रिप करना चाहते हैं तो आपको भूटान में 5 दिन की रोड ट्रिप पर निकल जाना चाहिए। अब सवाल आता है कि इंडिया से भूटान गाड़ी से कैसे जाएँ? इसके अलावा भी तमाम सवाल हैं जिनके जवाब हम आपको दिए देते हैं।
इंडिया से भूटान का सफर
परमिट
सड़क मार्ग से भूटान जाने के लिए भारतीय नागरिकों को पासपोर्ट/वीजा लेनी की ज़रूरत नहीं पड़ती। इसके लिए भूटान के फुंतशोलिंग से आपको परमिट लेना पड़ता है। वहाँ डाक्यूमेंटशन के लिए आपको आइडी प्रूफ दिखाना होता है। इसके आधार पर भूटान का इमिग्रेशन डिपार्टमेंट परमिट जारी कर देता है। अगर आप अपनी बाइक ले जाना चाहते हैं तो आपके पास ड्राइविंग लाइसेंस भी होना चाहिए। इतने सारे डॉक्यूमेंट को चेक कराने और परमिशन लेने में वैसे तो काफी वक्त लगता है लेकिन यहाँ ये प्रक्रिया जल्दी हो जाती है। भूटान की सड़क भी अच्छी हैं और यहाँ के नियम भारत जैसे ही हैं। बस यहाँ का अनुशासन थोड़ा ज़्यादा सख्त है। पर्यटन को ध्यान में रखते हुए भूटान में एक साल में एक निश्चित संख्या को अनुमति दी जाती है।
भारत और भूटान कई जगहों पर बाॅर्डर शेयर करता है लेकिन पर्यटन के हिसाब से सबसे अच्छी जगह जयगाँव सेफुंतशोलिंग है। जयगाँव भारत का आखिरी कस्बा है और फुंतशोलिंग भूटान की पहली जगह है। इसी जगह पर आपको परमिट लेना होता है। परमिट सोमवार से शुक्रवार तक सुबह 9 बजे से 5 बजे तक मिलता है। इंडिया से फुंतशोलिंग तक आने के लिए आपको किसी भी परमिशन की ज़रूरत नहीं पड़ती। फुंतशोलिंग में अगर आप 2 बजे तक परमिट ले लेते हैं तो आप उसी दिन पारो के लिए निकल सकते हैं। अगर उसके बाद परमिट मिलता है तो आपको फुंतशोलिंग में ही रात बितानी चाहिए और अगले दिन पारो जाना चाहिए। पारो से फुंतशोलिंग की दूरी 143 कि.मी. है। जहाँ पहुँचने में आपको लगभग 4 घंटे का समय लगेगा।
अगर आप पारो बाइक से जाते हैं तो 4 घंटे से ज्यादा टाइम नहीं लगेगा और बस से जाते हैं तो 6 घंटे लग सकते हैं। फुंतशोलिंग से पारो तक का सफर बेहद खूबसूरत है। आपको रास्ते में पहाड़ों की खूबसूरती देखने को मिलेगी। यहाँ तक जाने का हाइवे फोर-लेन है। जिसे इंडियन बाॅर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन ने बनाया है। पारो का रास्ता बाइक से जाने के लिए बहुत अच्छा है, हर बाइकर इस रास्ते पर जाना चाहता है। इन रास्तों को देखते हुए आप सुंदर पारो में कदम रखते हैं। पारो समुद्र तल से 2,100 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
पारो से थिम्फू
पारो पहुँचकर आपके पास पूरा दिन पारो को देखने के लिए होगा। आप आराम से इस खूबसूरत शहर को एक्सप्लोर करें और उसी दिन शाम को ही थिम्फू के लिए निकलें। पारो से थिम्फू की दूरी ज्यादा नहीं है सिर्फ 50 कि.मी. है। पारो को अच्छे से देखने के बाद शाम को थिंम्फू के लिए निकलें। घंटे भर में ही आप थिंम्फू पहुँच जाएँगे। पारो से थिंम्फू की रोड बहुत अच्छी है, शायद भूटान में सबसे शानदार रोड यहीं की होगी।
थिंपु से बुम्थांग
थिम्फू पहुँचकर रात में वहीं ठहरिए और अगले दिन की खूबसूरत सुबह देखिए। कुछ देर थिम्फू में ठहरकर जल्दी ही बूम्थांग के लिए निकल जाइए क्योंकि ये सफर बहुत लंबा है। लंबे सफर के साथ आपको बहुत जगह रुकना भी पड़ सकता है। रास्ते में कई जगह ऐसी मिलेगी। जहाँ रोड उखड़ी होगी और बाइक चलाना आसान नहीं होगा। रास्ते में कई जगह काम चल रहा होगा। इसके अलावा आपको कई चेक पोस्ट से होकर गुज़रना पड़ेगा। थिंपु से बुम्थांग की दूरी लगभग 250 कि.मी. है। अगर आप लगातार ड्राइव करते हैं और बहुत कम जगह रुकते हैं तो आपको बुम्गथांग पहुँचने में लगभग 8 घंटे लग सकते हैं। बुम्थांग में बस स्टेशन के पास एक डोरमेट्री है। जहाँ एक रात ठहरने के ₹150 लगते हैं। बुम्थांग में देखने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है बस 15वीं शताब्दी की मोनेस्ट्री देख सकते हैं।
बुम्थांग से त्राशीगांग
बुम्थांग में रात को ठहरिये और सुबह में कुछ जगहें देखकर जल्दी त्राशीगांग निकल जाइए। आपको एक बार फिर से खराब और उबड़-खाबड़ रास्ते से जाना पड़ेगा। इस रूट की सड़क ड्राइविंग के लिए सही नहीं है। इस रास्ते पर आपको बहुत मुश्किल होगी। बुम्थांग से त्राशीगांग पहुँचने में लगभग 8-9 घंटे लग ही जाएँगे। वैसे तो इस रास्ते में सड़क का काम बहुत कम जगह मिलेगा लेकिन अगर कुछ हो रहा होता है तो उससे जल्दी निकल जाना चाहिए।
त्राशीगांग से जोंगखार
इस रोड ट्रिप का आखिरी पड़ाव है जोंगखार। त्राशीगांग से जोंगखार जाने के लिए आपको एक अच्छे हाइवे से होकर गुज़रना पड़ता है। बस कहीं-कहीं पर लैंडस्लाइड होने का खतरा ज़रूर होता है। त्राशीगांग से जोंगखार का सफर लंबा है। त्राशीगांग से जोंगखार की दूरी लगभग 190 कि.मी. है, जिसे पूरा करने में लगभग 7 घंटे लग सकते हैं। जोंगखार वो जगह है जहाँ से आप भारत में प्रवेश कर सकते हैं। अगर आप चाहें तो शाम को जोंगखार पहुँचकर रात वहीं बिता सकते हैं। इसके अलावा आप भारत में प्रवेश करके शशिपुर जा सकते हैं। शशिपुर में ठहरने के लिए कम खर्चीला और अच्छा विकल्प होता है।
तो सारी जानकारी बटोर ली हो तो भूटान रोड ट्रिप का प्लान बनाना शुरू कर दो।
अपनी यात्रा के मज़ेदार किस्से और कहानियाँ यहाँ लिखें।
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