इस अगस्त में मेरा सपरिवार श्रीखंड कैलाश ,किन्नौर कैलाश और पंजाब की यात्रा का प्लान बना था। उस समय जब हम शिमला से चंडीगढ़ की तरफ आ रहे थे ,तब इसी मैन रोड पर पड़ती एक बहु चर्चित बेसन की बर्फी के बारे में जानकारी मिली थी। हम तो ठहरे राजस्थानी ,जैसे ही कोई प्रसिद्द मिठाई का नाम सुनेंगे ,पहुंच जाएंगे।शिमला से चंडीगढ़ के मार्ग पर सोलन से आगे एक गाँव पड़ता हैं -कंडाघाट। यूँ मानों इस गाँव को तो बाहरी लोग केवल बेसन की बर्फी के लिए ही जानते हैं।
यहाँ सबसे रोचक बात यह लगी कि इस फेमस बेसन बर्फी की भी यहाँ केवल एक ही दूकान हैं ,जो करीब 150 से 200 किलो बर्फी रोज बेचते हैं। हमारी गाडी सीधी मैन रोड पर ही पड़ती इस छोटी सी दूकान पर आ रुकी। व्यस्त बाजार में इतनी छोटी दूकान जिस पर लिखा था 'लक्ष्मण जी बेसन बर्फी ' ,इस छोटी सी दूकान को देखकर लगा नहीं कि इसकी बर्फी पुरे भारत में प्रसिद्ध हैं। आप दूकान पर जाओगे तो पाओगे पूरी दूकान पहले से ही पैक आधा आधा किलों के डब्बों से भरी पड़ी हैं। यहाँ दो तरह की बर्फी मिलती हैं -एक देसी घी की और एक लोकल घी की। देसी घी वाली 500 रूपये किलों और लोकल वाली 200 रूपये किलों की थी।
हालाँकि जब मैं इनके पास मिठाई लेने गया तो फ़ोन अपना गाडी में ही भूल गया था तो फोटो केवल दूर से दूकान का ही ले पाया। लेकिन जब वापस घर आकर मैंने इनकी वेबसाइट देखी तो पता चला कि इनकी दूकान की मिठाई का जिक्र NCERT की किताब में भी आया हुआ हैं।किताब में लिखा था -'हमारे देश में मथुरा के पेड़े ,बंगाल के रसगुल्ले ,काँड़ाघाट की बर्फी और राजस्थान के घेवर प्रसिद्ध हैं। ' इसके अलावा इनकी बेसन बर्फी पर कई समाचार पत्रों के आर्टिकल भी मैंने देखे।
मैं भी यहाँ से अपने लिए और अपने परिचितों के लिए मिठाई ले आया। हमारे राजस्थान में बेसन बर्फी थोड़ी दानेदार बनती हैं ,खाने के बाद थोड़ी चबानी भी पड़ती हैं। लेकिन कंडाघाट की बेसन बर्फी जमी हुई क्रीम की तरह थी ,मतलब सीधा मुँह में बिना चबाये ही घुल रही थी। हमारे लिए यह कुछ अजीब सा अनुभव था क्योंकि हम तो दानेदार बर्फी ही खाने के आदी हैं। तो मुझे यह मिठाई ठीक ठीक ही लगी। लेकिन मेरे कुछ परिचितों को यह काफी पसंद आयी।
आप इसे ऑनलाइन भी आर्डर कर सकते हैं Laxmanjee's Sweet Shop वेबसाइट से। जब कभी आप कालका -शिमला हाईवे से गुजरे तो यहाँ एक बार इसे टेस्ट जरूर करे।
-ऋषभ भरावा