घुमक्कड़ी का नाम हो और श्रीनगर आपकी लिस्ट में ना हो तो कुछ अधूरा सा लगता है। और सफर का मज़ा तब दुगना हो जाता है जब मुगल रोड से जाए।
वैसे तो श्रीनगर में पहले भी घूम चुका हूं इस बार किसी काम से आना हुआ। हमें चार दिन हो गए थे श्रीनगर में। बारिश भी खूब झामा झ्म हुई। लैंडस्लाइडिंग से श्रीनगर एनएच बंद था। एक तरफ अमरनाथ यात्रा पूरे जोरों शोरों से चल रही थी। इस कारण बहुत से यात्री और पर्यटक रास्ते मैं फसे हुए थे। हमे आज घर वापिस आना था। शाम को कंट्रोल रूम से पता किया की अभी एनएच खुलने के कोई आसार नहीं लग रहे।
फिर हमने तय किया की क्यों ना मुगल रोड से सफर किया जाए। रास्ता भले ही लंबा है पर हसीन वादियों मैं खो जाने को मन करता है।। हालांकि मैंने पहले भी मुगल रोड से सफर किया है।
फिर क्या था सुबह ४:३० पर सफर शुरू किया। पुलवामा शोपियां होते हुए हीरपोरा पहुंचे। फिर शुरू हुआ रोमांचक सफर। रास्ते मैं पेड़ पहाड़ नदी झरने मानो कुदरत का वो रंग जिसे हर कोई देखना चाहता है। सुबह का समय था और हलकी हलकी बूंदाबांदी हो रही थी जिसके कारण ठंड हो गई थी। २ घंटे हो चुके थे श्रीनगर से निकले हुए और हम पीर की गली पहुंचे।
वहा थोड़ी देर हल्का विश्राम किया फिर आगे का सफर शुरू किया। अब हम नीचे की तरफ जा रहे थे आगे का सफ़र थोड़ा जोखिम भरा था अक्सर इसी रोड पर पत्थर गिरते रहते हैं तो थोड़ा चौकन्ना रहना पड़ता है।
आखिर हम poshana चेकपोस्ट पहुंचे, वहां रजिस्ट्रेशन हुई और आगे का सफ़र शुरु हुआ।
आखिर बफलियाज, सुरनकोट, BG, राजौरी होते हुए जम्मू पहुंचे।
सच में १३ घंटे के सफ़र में थकान बहुत हुई पर जो सफर वादियों से होते हुए गुजरा उसके आगे थकान क्या चीज।।
एक रोमांचक सफर का अंत हुआ।
फिर मिलेंगे नए सफर पे।।।।