A short trip to "Maa Pitambara Devi" Temple

Tripoto
Photo of Peetambara Peeth, Datia, Madhya Pradesh, India by Mayank Pandeyz (with floating shoes)
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मध्य प्रदेश के झांसी के दतिया जिले में स्थित मां पीतांबरा के मंदिर से कोई पुकार कभी अनसुनी नहीं जाती. राजा हो या रंक, मां के नेत्र सभी पर एक समान कृपा बरसाते हैं.

इस सिद्धपीठ की स्थापना 1935 में परम तेजस्वी स्वामी जी के द्वारा की गई. मां पीतांबरा का जन्म स्थान, नाम और कुल आज तक रहस्य बना हुआ है. मां का ये चमत्कारी धाम स्वामी जी के जप और तप के कारण ही एक सिद्ध पीठ के रूप में देशभर में जाना जाता है.

मंदिर के आचार्य हरी ओम पाठक बताते है कि चर्तुभुज रूप में विराजमान मां पीतांबरा के एक हाथ में गदा, दूसरे में पाश, तीसरे में वज्र और चौथे हाथ में उन्होंने राक्षस की जिह्वा थाम रखी है.

भक्तों के जीवन में मां के चमत्कार को आए दिन घटते देखा जा सकता है. लेकिन इस दरबार में भक्तों को मां के दर्शन एक छोटी सी खिड़की से ही होते हैं. दर्शनार्थियों को मां की प्रतिमा को स्पर्श करने की मनाही है.

माना जाता है कि मां बगुलामुखी ही पीतांबरा देवी हैं इसलिए उन्हें पीली वस्तुएं चढ़ाई जाती हैं. लेकिन मां को प्रसन्न करना इतना आसान भी नहीं है. इसके लिए करना होता है विशेष अनुष्ठान, जिसमें भक्त को पीले कपड़े पहनने होते हैं, मां को पीली वस्तुएं चढ़ाई जाती हैं और फिर मांगी जाती है मुराद.

कहते हैं विधि विधान से अगर अनुष्ठठान कर लिया जाए तो मां जल्द ही पूरी कर देती हैं भक्तों की मनोकामना. मां पीतांबरा को राजसत्ता की देवी माना जाता है और इसी रूप में भक्त उनकी आराधना करते हैं. राजसत्ता की कामना रखने वाले भक्त यहां आकर गुप्त पूजा अर्चना करते हैं. माँ पीतांबरा शत्रु नाश की अधिष्ठात्री देवी है और राजसत्ता प्राप्ति में माँ की पूजा का विशेष महत्व होता है.

मंदिर में मां पीतांबरा के साथ ही खंडेश्वर महादेव और धूमावती के दर्शनों का भी सौभाग्य मिलता है. मंदिर के दायीं ओर विराजते हैं खंडेश्वर महादेव, जिनकी तांत्रिक रूप में पूजा होती है. महादेव के दरबार से बाहर निकलते ही दस महाविद्याओं में से एक मां धूमावती के दर्शन होते हैं. सबसे अनोखी बात ये है कि भक्तों को मां धूमावती के दर्शन का सौभाग्य केवल आरती के समय ही प्राप्त होता है क्योंकि बाकी समय मंदिर के कपाट बंद रहते हैं.

मां पीतांबरा के वैभव से सभी की मनोकामना पूरी होती है. भक्तों को सुख समृद्धि और शांति मिलती है, यही वजह है कि मां के दरबार में दूर दूर से भक्त आते हैं, मां की महिमा गाते हैं और झोली में खुशियां भर कर घर ले जाते हैं.

Info Source: aajtak

प्रत्येक शनिवार को यहाँ पर मेला लगता है जिसमे दूर दराज से भक्त अपनी मनकामनाएं लेकर यहां पर आते है और माता के दर्शन करके अपने आप को धन्य मानते हैं। शनिवार के दिन यहां माता पे प्रसाद रूप में मंगोड़े चढ़ाये जाते हैं

मंदिर परिसर से कुछ ही दूरी पर दतिया का किला भी स्थित है, जो के अपने अंदर इतिहास के बहुत सारे पन्ने समेटे हुए है।
दतिया जाए तो वहां के समोसे और मंगोड़े आदि का स्वाद चखना न भूलें।

Happy traveling

Fir milege kahi kisi roj ghumte firte :)