अराकू
आंध्रप्रदेश की बंदरगाहों की नगरी विशाखापट्टनम से 130 किमी दूर अराकू हिल स्टेशन स्थित है | गलिकोंडा, रक्तकोंडा, सुन्करिमेत्ता, चिटमोगोंडी आदि पर्वतों से घिरा हुआ ये स्थान खूबसूरती के मामले में अतुलनीय है | यहाँ की पहाड़ियाँ आंध्रप्रदेश की सबसे ऊँची पहाड़ियों में से हैं और जैव विविधता, कॉफी के बागानों व उच्च गुणवत्ता वाले बॉक्साइट अयस्क से संपन्न है |
अराकू घूमने का सबसे अच्छा समय सितंबर और अक्टूबर के महीनों में है जब यहाँ का तापमान 3 डिग्री सेल्सियस और 10 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। यहाँ की खूबसूरती के मद्देनज़र साल भर में कई तेलुगु फिल्में यहाँ शूट की जाती हैं। यह आंध्र प्रदेश में सबसे अधिक घूमे जाने वाले पर्यटन स्थलों में से एक है। ऊँचाई और बादलों की वजह से ऐसा लगता है जैसे आप आसमान में कहीं तैर रहे हों |
चखना ना भूलें : इस घाटी में रहने वाले आदिवासियों द्वारा परंपरागत तरीके से भूना हुआ मुर्गा जिसे बंबू चिकन कहते हैं | ये खोखले बंबू में चिकन भरकर कोयलों पर पकाया जाता है | सबसे अच्छी बात है कि इसमें पकाते समय तेल नहीं डाला जाता है |
1. बोरा गुफ़ाएँ
बोरा गुफ़ाएँ
अराकू घाटी में अनन्तगिरी हिल्स के बीच शानदार और रहस्मय गुफ़ाएँ हैं जिन्हें बोरा गुहालू या बोरा गुफ़ाएँ भी कहते हैं | ये लगभग 150 मिलियन साल पुरानी पूरी तरह से प्राकृतिक रूप से बनी गुफ़ाएँ हैं | यहाँ मानवविग्यों ने खोज की जिसमें मध्य पाषाण युग के पत्थर के औजार बरामद हुए हैं | ये 30000 से 50000 साल पुराने समय के हैं जिनसे यहाँ उस समय मानव के मौजूद होने का पता चलता है | ये गुफ़ाएँ घुप्प अंधेरी हैं जहाँ कुछ ही जगह पर रोशनी के लिए थोड़े सुराख मात्र हैं | यहाँ पर यात्रा करना जैसे बीते समय में खो जाने जैसा है |
ये गुफ़ाएँ भारत की सबसे बड़ी गुफ़ाओं में से एक हैं और लगभग 750 मीटर यानी 2313 फीट की ऊँचाई पर स्थित हैं | गुफ़ाओं में स्पेलिओथेम (स्टेलेकटाइट और स्टेलेगमाइट) की अलग अलग आकारों, प्रकारों और शक्लों की संरचनाएँ हैं | यह ह्यूमिक एसिड के कारण होता है जो पानी में मिलकर चूना पत्थर में मौजूद कैल्शियम कार्बोनेट के साथ प्रतिक्रिया करता है और फिर चट्टानों में मौजूद खनिजों को बर्बाद करता हुआ लगातार चट्टानों को तोड़ता है | यहाँ कई कैल्शियम के पत्थर हैं जो मूर्तियों जैसा रूप ले चुके हैं | ये आकृतियाँ देखने पर छुपे हुए ख़ज़ाने जैसा भ्रम पैदा करती हैं क्यूंकी ये पारा, सोडियम वाष्प और हलोजन के लगभग 63 लैम्पों से सजाई हुई होती है |
2. टायडा
टायडा रेलवे स्टेशन
अराकू घाटी में विज़ाग के पास टायडा नाम का छोटा सा गाँव है | ईस्ट कोस्ट रेलवे से यहाँ तक पहुँचना अपने आप में एक ज़बरदस्त अनुभव है क्यूंकी ये यात्रा अराकू घाटी में अनन्तगिरी के जंगलों को पार करती हुई 58 सुरंगों और 84 पुलों से गुज़रकर जाती है | यहाँ तक बस से भी पहुँचा जा सकता है जो आपको तीखे पहाड़ी मोडों से ले जाती हुई पहुँचाएगी | बस द्वारा बोरा गुफ़ाओं से यहाँ तक पहुँचने में 45 मिनट लगते हैं |
अगर आप किसी ऐसी जगह पर रहना चाहते हैं जहाँ मोबाइल का सिग्नल ना आए और देसी स्वाद वाला भोजन मिले तो टायडा ज़रूर जाएँ | आंध्रप्रदेश पर्यटन विभाग का यहाँ एक ईको टूरिज़्म रिज़ोर्ट भी है जहाँ रेलवे स्टेशन के पास बने रास्ते से पैदल ही पहुँचा जा सकता है | टायडा जंगल बेल्स कैंप के लकड़ी के बने कॉटेज हैं जहाँ आपको गोपनीयता के साथ साथ बेहतरीन नज़ारा भी मिलता है | ये जगह घूमने फिरने और पूरी तरह से आराम करने के लिए सबसे बढ़िया है |
इस जगह को अच्छी तरह से घूमने का सबसे आसान तरीका है कि आप एपीटीडीसी का पैकेज बुक कर लें |
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