भारत की 23 बेहतरीन ऐतहासिक जगहें, जिनके बारे में आपने सुना भी नहीं होगा

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भारत का इतिहास बहुत समृद्ध रहा है। यहाँ मुगलों, हिंदुओं और अंग्रेजों ने शासन किया है। जिनका प्रमाण हमें वो ऐतहासिक जगह देती है। ये जगह हमें अपने अतीत के बारे में रूबरू कराती है। ताजमहल तो अपनी खूबसूरती और प्रेम की दास्तान के लिए पूरी दुनिया में जाता है। भारत के हर शहर का एक इतिहास है। यही वजह है पूरे भारत में अनगिनत ऐतहासिक जगहें हैं। इनमें से कुछ बहुत फेमस है लेकिन अभी भी बहुत सारी ऐसी ऐतहासिक जगहें हैं जिनके बारे में आप जानते तक नहीं होंगे। हर भारतीय को इन ऐतहासिक जगहों को एक बार तो जरूर देखना चाहिए। हमने भारत की ऐसी ही कुछ ऐतहासिक जगहों की लिस्ट बनाई है। जिससे आपको इन जगहों के बारे में जानने और घूमने में आसानी होगी।

1- कुंभलगढ़

कुंभलगढ़ अपने इतिहास, राजशाही और वैभवता के लिए जाना जाता है। कुंभलगढ़ जिसे वाॅल ऑफ इंडिया भी कहा जाता है। यहाँ मौर्यों के बनाए हुए मंदिर भी हैं। जिनमें सबसे खूबसूरत बादल महल है। कुंभलगढ़ में 36 किमी. लंबी दीवार है जिसे नापना हर किसी के वश की बात नहीं है। शायद यही वजह है कि इसे ग्रेट वाॅल ऑफ इंडिया कहते हैं। कुंभलगढ़ किले में 360 मंदिर हैं। जिनमें से 300 जैन मंदिर और 60 हिंदू मंदिर हैं। इसके अलावा यहाँ हर रोज शाम 6 बजे साउंड और लाइट शो होता है। जिसे देखने के लिए 100 रुपए का टिकट लेना होता है। इसके अलावा आप यहाँ पर कुंभलगढ़ वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी भी देख सकते हैं।

एंट्री फीसः इंडियन और सार्क देशों के टूरिस्टों के लिए 15 रुपए और दूसरे फाॅरनर्स के लिए 200 रुपए।

टाइमिंगः सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक

कब जाएंः अक्टूबर से मार्च

कैसे पहुँचेः सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन फालना है। कुंभलगढ़ से फालना की दूरी 84 किमी. है। यहाँ से आप कुंभलगढ़ आराम से पहुँच सकते हैं।

2- रबदेन्त्से

रबदेन्त्से भारत की उन ऐतहासिक जगहों में से एक है जिसके बारे में भारतीयों को भी नहीं पता है। ये जगह सिक्किम की सबसे फेमस जगहों में से एक है। सिक्किम के दूसरे चोग्याल यानि की राजा तेनसुंग नामग्या ने 1670 में रबदेन्त्से करो राजधानी बनाई थी और 1814 तक राजधानी बनी रही। रबदेन्त्से, युक्सोम के बाद दूसरी राजधानी है। ये पैलेस कम मोनेस्टी लगभग खंडहर बन चुका है और ये आर्कोलाॅजी सर्वे ऑफ इंडिया ने संरक्षित किया है। ये खंडहर एक तालाब के साथ घने जंगल से घिरा हुआ है। मठ ने खंडहर तक पहुँचने के लिए लगभग 2 किमी. पैदल चलना पड़ता है।

एंट्री फीसः काई पैसा नहीं

टाइमिंगः सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक

कब जाएंः मार्च से मई के बीच में।

कैसे पहुँचेः न्यू जलपाईगुड़ी सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन है जो पेमयांगत्से मठ से लगभग 132 किमी दूर है। आप स्टेशन से ही टैक्सी किराए पर ले सकते हैं।

3- तुगलकाबाद किला

तुगलकाबाद किला देश की राजधानी दिल्ली में स्थित है। इसके आसपास दिखने वाले हरे-भरे खूबसूरत नजारे आपका मन मोह लेंगे। आसपास बनी कृत्रिम लेक देखकर आप हैरान हो जाएंगे। तुकलकाबाद किला इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना है। इस बड़े से किले को देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं। टूरिस्ट इसकी खूबसूरती से मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। बंदरों से सावधान रहें तो सामान छीनकर भाग जाते हैं।

एंट्री फीसः इंडियंस और सार्क देशों के टूरिस्टों के लिए 15 रुपए और दूसरे देश के लोगों के लिए 200 रुपए।

टाइमिंगः सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक

कब जाएंः अक्टूबर-मार्च

कैसे जाएंः नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से आप दिल्ली मेट्रो ले सकते हैं। तुगलकाबाद मेट्रो स्टेशन पर उतर कर किले के लिए एक ऑटो ले सकते हैं।

4- विक्रमशिला विश्वविद्यालय

कम लोगों को ही पता है कि नालंदा विश्वविद्यालय की तरह विक्रमशिला विश्वविद्यालय भी शिक्षा का एक बड़ा केन्द्र था। भागलपुर से 50 किमी. दूर 100 एकड़ में फैला ये विश्वविद्यालय बौद्ध शिक्षा के लिए भी जाना जाता था। इस विश्वविद्याल में एक बड़ा स्तूप है जिसे आप देख सकते हैं। इसके अलावा गलियारा और दो बड़े कमरे भी हैं। भारत के समृद्ध इतिहास की गवाही देती लाइब्रेरी भी है। इस ऐतहासिक जगह को हर भारतीय को देखना चाहिए।

एंट्री फीसः इंडियंस और सार्क देशों के टूरिस्टों के लिए 15 रुपए और दूसरे देश के लोगों के लिए 200 रुपए।

टाइमिंगः सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक

कब जाएंः अक्टूबर-मार्च

कैसे पहुँचेः सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन 13 किमी. की दूर कहलगाँव में है।

5- बासगो

भारत की सबसे खूबसूरत जगह लद्दाख में बासगो मोनेस्ट्री एक पहाड़ की चोटी पर स्थित है। पहले ये जगह एक किला हुआ करती थी और इस पर नामग्याल साम्राज्य का अधिकार था। बासगो पूरे राज्य का सांस्कृतिक और राजनीतिक केन्द्र था। ये जगह संस्कृति और विरासत में समृद्ध है। इसके बावजूद ये लोगों की नजरों से छिपी हुई है। यहाँ से सनसेट के सबसे खूबसूरत नजारे को देखने को मिलता है।

एंट्री फीसः 30 रुपए प्रति व्यक्ति

टाइमिंगः सुबह और शाम।

कब जाएंः मार्च-जुलाई और अक्टूबर-नवंबर।

कैसे पहुँचेः सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन जम्मू है जो बासगो से 734 किमी. दूर है। आपको लेह पहुँचना होगा जहाँ से बासगो सिर्फ 40 किमी. की दूरी पर है।

6- भानगढ़

भानगढ़ के किले को भारत की सबसे डरावनी जगह के रूप में घोषित किया गया है। इस जगह पर जाते हैं तो आपको यहाँ की 100 से ज्यादा भूतों की कहानियां सुनने को मिलेंगी। इस किले को सवाई माधोसिंह ने बनवाया था। माना जाता है कि ये किला एक पुजारी द्वारा शापित है जिसकी वजह से ये सबसे खौफनाफ जगहों में से एक है। ये परिवारों वालों के लिए एक फेमस पिकनिक स्पाॅट है और सरिस्का टाइगर रिजर्व की एक दिन की टिप की जा सकती है।

एंट्री फीसः भारतीयों के लिए 25 रुपए, विदेशियों के लिए 200 रुपए। यदि आप वीडियो कैमरा अंदर ले जाते हैं तो उसके लिए आपको अलग से 200 रुपए देने होंगे।

टाइमिंगः सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक

कब जाएंः नवंबर-मार्च

कैसे पहुँचेः सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन दौसा है। दौसा से भानगढ़ की दूरी 22 किमी. है।

7- जागेश्वर धाम

देवदार के घने जंगलों और पहाड़ों के बीच स्थित है जागेश्वर। जागेश्वर अल्मोड़ा से 36 किमी. दूर अपनी कुमाऊँनी विरासत को आज भी समेटे हुए है। जागेश्वर में भगवान शिव को समर्पित कुल 124 मंदिर हैं। इसमें से कुछ तो 9वीं शताब्दी के है। हिंदू धर्म में आस्था रखने वालों के लिए ये जगह किसी तीर्थ से कम नहीं है। पहाड़ों के बीच इन मंदिरों का दृश्य जादुई-सा लगता है।

एंट्री फीसः एकदम फ्री

टाइमिंगः सुबह और शाम

कब जाएंः अप्रैल-जून, सितंबर-नवंबर

कैसे पहुँचेः सबसे निकटतम काठगोदाम रेलवे स्टेशन है जो काठगोदाम से 12 किमी. की दूरी पर है।

8- सेलुलर जेल

Photo of भारत की 23 बेहतरीन ऐतहासिक जगहें, जिनके बारे में आपने सुना भी नहीं होगा 8/23 by Musafir Rishabh
श्रेयः विकीमीडिया।

1857 से 1943 के बीच भारत को आजाद कराने का सपने के लिए अंग्रेजों से लड़ाई लेने वाले सैकड़ों राजनेताओं और क्रांतिकारियों को पोर्ट ब्लेयर की जेल में डाल दिया जाता है। जिसे कालापानी की सजा भी कहा जाता था। आजादी के बाद इस सेलुलर जेल को एक म्यूजियम में बदल दिया गया। ये जगह हमें बताती है कि हमने आजादी किन लोगों की कुर्बानी के बाद पाई है। यहाँ पर एक लाइट और साउंड शो भी होता है जिसमें यहाँ की कैदियों की कहानी बताई जाती है।

एंट्री फीसः 30 रुपए प्रति व्यक्ति, साउंड और लाइट शो के लिए 50 रुपए और कैमरे के लिए 200 रुपए।

टाइमिंगः सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक और दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से 4 बजकर 45 मिनट तक।

कब जाएं: साल में कभी भी।

कैसे पहुँचेः अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में कोई रेलवे स्टेशन नहीं है हालांकि पोर्ट ब्लेयर निकटतम एयरपोर्ट है। जहाँ से देश के बड़े शहरों के लिए फ्लाइट आराम से मिल जाएंगी।

9- अर्वलेम गुफाएं

उत्तरी गोवा के बिचोलिम में स्थित इन प्राचीन गुफाओं महाभारत के पांडव गुफाओं के रूप में भी जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार पांडवों को जब वनवास मिला था तब पांचों पांडव भाई इन्हीं गुफाओं में रहते थे। रॉक-कट की ये गुफाएं बेहद खूबसूरतर हैं। पास में ही बहता अर्वलेम झरना इस जगह की खूबसूरती में चार चांद लगा देता है।

एंट्री फीसः फ्री

टाइमिंगः सुबह 9 बजे से 1 बजे तक और दोपहर 2 से शाम 5 बजे तक।

कब जाएं: साल में कभी भी।

कैसे पहुँचेः सबसे निकटतम डाबोलिम रेलवे स्टेशन है जो सैनक्लेमिम से 40 किमी दूर है।

10- शेट्टीहल्ली चर्च

कर्नाटक भारत के समृद्ध ऐतिहासिक जगहों में से एक है। अपने महलों और मंदिरों के लिए फेमस कर्नाटक में हेमवती नदी के किनारे 200 साल पुराना गोथिक खंडहर लोगों की नजरों में आने लगा है। दूर-दूर से टूरिस्ट इस जगह को देखने के लिए आते हैं। ये चर्च मानसून में पानी में डूब जाता है और गर्मियों में पानी कम होने पर दिखाई देता है। 1800 के आसपास इस चर्च चर्च को फ्रांसीसी मिशनरियों ने बनवाया था। पानी में डूबे होने की वजह से हर साल इसे नुकसान हो रहा है। इसके खंडहर बनने के पहले इसे देख डालिए।

एंट्री फीसः फ्री

टाइमिंगः सुबह और शाम।

कब जाएंः गर्मियों में इस चर्चे को देख सकते हैं लेकिन आसपास के खूबसूरत नजारों के एि मानसून बढ़िया समय है।

कैसे पहुँचेः सबसे नजदीकी हसन रेलवे स्टेश है जो चर्च से लगभग 125 किमी दूर है।

11- रानी की वाव

हाल ही में रानी की वाव को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की लिस्ट में जोड़ा गया है। इसे विधवा रानी उदयामती ने एक पति सोलंकी राजवंश के शासक भीमदेव प्रथम की याद में बनवाया था। रानी की वाव उल्टे पैरामिड शैली में बना हुआ है। इसमें भगवान विष्णु और काली समेत हिंदू देवी-देवताओं की 500 से ज्यादा मूर्तियां है। रानी की वाव आपको जमीन से 27 मीटर नीचे ले जाती है। रानी की वाव आर्किटेक्चर का एक शानदार नमूना है

एंट्री फीसः भारतीयों के लिए 5 रुपए और विदेशियों के लिए 150 रुपए।

टाइमिंगः सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक।

कब जाएंः नवंबर - मार्च

कैसे पहुँचेः सबसे निकटतम मेहसाणा रेलवे स्टेशन है जो पाटन से 55 किमी. दूर है।

12- ओसियान

राजस्थानी वैभवता और राजशाही की धरती है। यहाँ पर अनगिनत मंदिर और किले हैं। इसी राजस्थान में रेत के बीचों बीच एक जगह है। थार रेगिस्तान में नखलिस्तान के आसपासये छोटी जगह जोधपुर में रेगिस्तान के टीलों के बीच अक्सर खो जाती है। ओसयिान में खूबसूरत 16 बौद्ध और जैन मंदिर हैं जो जो 8वीं से 12वीं शताब्दी के बने हुए हैं। इन मंदिरों में सबसे फेमस सचिया माता मंदिर महावीर जैन मंदिर और सूर्य मंदिर है। ओसियन के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें।

एंट्री फीसः फ्री।

टाइमिंगः सुबह और शाम।

कब जाएंः नवंबर-फरवरी

कैसे पहुँचेः सबसे निकटतम जोधपुर रेलवे स्टेशन है जो ओसियान से 68 किमी. की दूरी पर है।

13- लोनार झील

लोनार क्रेटर झील एक जादुई उल्कापिंड लेक है जो मंदिरों और स्मारकों से घिरी हुई है। ये मंदिर 6ठी और 12वीं शताब्दी में बनाया गया था। इनमें से ज्यादातर मंदिर खंडहर में तब्दील हो चुके हैं कुछ ही मंदिर है जो सुरिक्षत है। ये मंदिर झील किनारे के माहौल को बनाते हैं।

एंट्री फीसः फ्री।

टाइमिंगः सुबह और शाम।

कब जाएंः अक्टूबर-अप्रैल

कैसे पहुँचेः सबसे नजदीकी रेलहेड जालना रेलवे स्टेशन है जो लोनार से लगभग 90 किमी. दूर है।

14- चंपानेर-पावागढ़ आर्कोलाॅजिकल पार्क

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श्रेय: फ्लिकर।

12 सौ साल से ज्यादा पुरानी पुरातत्विक साइट हिंदू और मुस्लिम संस्कृतियों का एक बेहतरीन संगम देखने को मिलता है। सोलंकी राजवंश से संबंध वाली ये जगह 15वीं शताब्दी में सुल्तान महमूद बेगदाह के अधीन आ गई। अगर आप इतिहास प्रेमी हैं तो ये किले, मंदिर और गढ़ देखकर बहुत जानकारी मिलती है। ये आपके लिए किसी रोमांच से कम नहीं है। ये जगह इतिहास और धर्म दोनों के लिए अहम स्थान रखती है। चंपानेर पहाड़ी पर फेमस काली माता मंदिर, 11 दूसरे मंदिर, मस्जिदों, कुएं और मकबरे भी देख सकते हैं। ये जगह मध्य भारत की एक झलक है।

एंट्री फीसः 10 रुपए

टाइमिंगः सुबह साढ़े 8 बजे से और शाम 5 बजे तक।

कब जाएंः नवंबर-फरवरी

कैसे पहुँचेः सबसे निकटतम वड़ोदरा निकटतम रेलवे स्टेशन है जो लगभग 48 किमी. दूर है।

15- नर्तियांग दुर्गा मंदिर

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500 साल पुराना ये दुर्गा मंदिर विशाल मठों और खंडहरों के बीच स्थित है। इस मंदिर को नर्तियांग दुर्गा मंदिर के नाम से जाना जाता है। शिलांग से दो घंटे की दूरी पर स्थित ये मंदिर हिंदू धर्म और खासी-जयंतिया परंपराओं का एक अनूठा मिश्रण है। वे देवी दुर्गा की पूजा करने के लिए एक साथ आते हैं।

एंट्री फीसः फ्री।

टाइमिंगः सुबह 7 बजे से और शाम 8 बजे तक।

कब जाएंः पूरे साल

कैसे पहुँचेः निकटतम रेलवे स्टेशन गुवाहाटी है जो लगभग 176 किमी दूर है।

16- तलातल घर

तलातल घर ताई अहोम आर्किटेक्चर के बचे हुए नमूने में से एक है। 17वीं शताब्दी के तलातल घर को स्वारगदेव रुद्र सिंह ने बनवाया था। स्वारगदेव रुद्र सिंह को अहोम साम्राज्य का सबसे शक्तिशाली शासक माना जाता है। जोरहट से लगभग 60 किमी दूर रंगपुर नामक एक छोटे शहर में खंडहर में ये घर स्थित हैं। शुरु में इसे सेना के लिए बनाया गया था। आज इसे अहोम साम्राज्य के आर्किटेक्चर के लिए जाना जाता है।

एंट्री फीसः भारतीयों के लिए 15 रुपए और विदेशियों के लिए 300 रुपए।

टाइमिंगः सुबह और शाम

कब जाएंः नवंबर-मई।

कैसे पहुँचेः सबसे नजदीकी सिबसागर रेलवे स्टेशन है जो लगभग 5 किमी. दूर है।

17- अमरकंटक

विंध्य और सतपुड़ा पहाड़ी के बीच बसा अमरकंटक नर्मदा के उद्गम के लिए जाना जाता है। अमरकंटक के मंदिर परिसर में 11वीं शताब्दी का मंदिर अपने आर्किटेक्चर के लिए जाना जाता है। ये मंदिर उस समय के आर्किटेक्चर को समझने में मदद करता है। इन मंदिरों में श्री यंत्र महा मेरू मंदिर भी शामिल हैं जिसमें देवी महा त्रिपुर सुंदरी का चार मुंह वाली मूर्ति है।

एंट्री फीसः फ्री

टाइमिंगः सुबह और शाम

कब जाएंः अक्टूबर-फरवरी

कैसे पहुँचेः सबसे करीब पेंड्रा रेलवे स्टेशन है जो अमरकंटक से लगभग 40 किमी की दूर है।

18-उनडाल्ली गुफाएं

राॅक कट गुफा मंदिर और स्मारक आध्र के गुंटूर जिले की पहाड़ियों पर स्थित है। जिसमें हिन्दू देवी-देवताओं और परंपराओं की कई मूर्तियां और नक्काशी भी हैं। यहाँ पर एक बहुत बड़ी भगवान विष्णु की मूर्ति है। ये गुफाएं राॅक कट आर्किटेक्चर को बेहतरीन उदाहरण है।

एंट्री फीसः 5 रुपए

टाइमिंगः सुबह 9 बजे से शाम 5 बजकर 30 मिनट तक।

कब जाएंः अक्टूबर-फरवरी

कैसे पहुँचेः सबसे निकटतम विजयवाड़ा रेलवे स्टेशन है जो लगभग 11 किमी. दूर है।

19- मध्यमहेश्वर ट्रेक

मध्यमहेश्वर उन जगहों में एक है जिसे अध्यात्मिक रूप से अनदेखा नहीं किया जा सकता है। समुद्र तल ये 3,265 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस गाँव के लोग भगवान शिव के मध्यमहेश्वर मंदिर में प्रार्थना करने के लिए जुटते हैं। मंदिर के एक तरफ बर्फीले मंदिर हैं और दूसरी तरफ घास के मैदान हैं।

एंट्री फीसः फ्री

टाइमिंगः सुबह और शाम

कब जाएंः मई-अक्टूबर

कैसे पहुँचेः सबसे निकटतम देहरादून रेलवे स्टेशन है। यहाँ से आपको रांसी गाँव तक कैब लेनी होगी। वहाँ से मध्यमहेश्वर पहुँचने के लिए 16 किमी का ट्रेक है।

20- लोथल

लोथल को सिंधु सभ्यता का सबसे महत्वपूर्ण जगह कहा जा सकता है। लोथल में मिले हुए अवशेषों से सिंधु सभ्यता के बारे में ऐसी बहुत सारी चीजें मालूम हुई हैं जो किसी अन्य जगह से शायद नहीं पता चल सकती थी। लोथल के म्यूजियम में मिले सील, ज्वेलरी, बर्तन आदि से सिंधु सभ्यता के लोगों के बारे में काफी जानकारी मिली है। इससे उस समय के लोगों के रहन-सहन के तरीकों के बारे में भी पता चला है। लोथल में कुछ पुराने कुएं और ऐसे स्मारक भी मिले हैं को सिंधु सभ्यता को समझने में बहुत मददगार साबित हुए हैं।

एंट्री फीस: 2 रुपए, अगर आपके साथ 15 साल से कम उम्र के बच्चे हैं तो उनके लिए आपको कोई फीस नहीं देनी होती है

समय: सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक। लोथल शुक्रवार को बंद रहता है

सबसे सही समय: नवंबर से फरवरी

निकटतम रेलवे स्टेशन: अहमदाबाद रेलवे स्टेशन सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है जो लगभग 80 किमी. की दूरी पर है।

21- हम्पी

Photo of भारत की 23 बेहतरीन ऐतहासिक जगहें, जिनके बारे में आपने सुना भी नहीं होगा 21/23 by Musafir Rishabh
श्रेयः विकीमीडिया।

हम्पी को कर्नाटक के मंदिरों का शहर कहा जाता है। हम्पी एक खुली किताब की तरह है जो बेहद शांत है। हम्पी में आपको पुराने समय के कुछ ऐसे अवशेष देखने के लिए मिलेंगे कि आप हैरान रह जाएंगे। शानदार लैंडस्केप, बड़ी बड़ी चट्टानें, नक्काशीदार दीवारें सभी चीजें हम्पी के गौरवशाली इतिहास का जीता जागता उदाहरण हैं। हम्पी को यूनेस्को द्वारा विश्व हेरिटेज साइट भी घोषित किया जा चुका है।

ये भारत की वो ऐतिहासिक जगह है जहाँ आप बिना बोर हुए एक दिन से लेकर एक महीना रह सकते हैं। बैगपैकर घुमक्कड़ों को भी ये जगह खूब रास आती है। प्राचीन स्मारक, खूबसूरत मंदिर, भीड़भाड़ वाली गलियां और विजयनगर साम्राज्य के कुछ बहुमूल्य विरासत को अपने आप में समेटे इस शहर को जरूर देख लेना चाहिए। हम्पी में आपको हाथियों के तबेले से लेकर चट्टानों से बने विशाल रथ तक सबकुछ देखने के लिए मिलेगा।

एंट्री फीस: भारतीय और सार्क देशों के नागरिकों के लिए 15 रुपए, बाकी लोगों के लिए 500 रुपए

समय: सुबह 8.30 बजे से शाम 5.30 बजे तक

सबसे सही समय: नवंबर से फरवरी

निकटतम रेलवे स्टेशन: होसपेट रेलवे स्टेशन सबसे नजदीकी स्टेशन है जो हम्पी से लगभग 13 किमी. की दूरी पर है

22- मलूटी

मलूटी के ये मंदिर बेहद पुराने हैं। मलूटी झारखंड के शिकारीपाड़ा के पास स्थित एक छोटा-सा जिला है जो कम से कम 72 टेराकोटा मंदिरों का घर है। एक समय था जब यहाँ 108 मंदिर हुआ करते थे जो रामायण और महाभारत की गाथा गाते थे। लेकिन अब केवल 72 मंदिर ही बचे हैं जिनको जीवित रखने में गोपालदास मुखर्जी (जिन्हें स्थानीय लोग बातू दा के नाम से जानते हैं) का बहुत बड़ा योगदान रहा है। 82 वर्षीय बातू दा इन मंदिरों की देख रख करने वाले अकेले व्यक्ति रहे हैं। अच्छी बात ये है कि बातू दा की कोशिशों को अब झारखंड सरकार ने अपने हाथों में ले लिया है। इन मंदिरों के समूह में दुर्गा पूजा के दौरान मौलुष्की देवी मंदिर में 100 बकरियों की बली चढ़ाई गई थी।

एंट्री फीस: फ्री

समय: भोर से शाम तक

सबसे सही समय: नवंबर से मार्च

निकटतम रेलवे स्टेशन: पश्चिम बंगाल का रामपुरहाट रेलवे स्टेशन सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है जो मलूटी से 18.4 किमी. दूर है।

23- ताज महल

ताज महल को दुनिया में प्यार का सबसे खूबसूरत तोहफा कहा जाता है। सफेद चमकदार मार्बल से बनी ये इमारत उत्तर प्रदेश के आगरा में है जिसको देखने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं। ताज महल असल में शाहजहाँ की बेगम मुमताज महल की कब्र है। कहा जाता है शाहजहां मुमताज महल से बेइंतहां मोहोब्बत करता था और मुमताज केर जाने के बाद उसकी याद में शाह जहां ने तक महल बनवाया था। 1648 ईसवी में बनवाया गया प्यार का ये नगीना एक पति का अपनी पत्नी के लिए लगाव का सबसे सुंदर उधाहरण है। ताज महल को देखने के लिए हर साल लगभग 7 से 8 मिलियन लोग आते हैं।

एंट्री फीस: भारतीयों के लिए 40 रुपए, सार्क और बिमस्टेक देशों के नागरिकों के लिए 530 रुपए और बाकी लोगों के लिए 1000 रुपए

समय: सुबह 6.30 बजे से शाम 6.30 बजे तक। ताज महल शुक्रवार को बंद रहता है

सबसे सही समय: अक्टूबर से फरवरी

निकटतम रेलवे स्टेशन: आगरा में खुद का रेलवे स्टेशन है जो ताज महल से केवल 5 किमी. की दूरी पर है।

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