वैसे तो हमारा सफर कानपुर का था,पर कहते हैं न की एक घुमक्कड़ अपने घूमने की जिज्ञासा शांत करने के लिए कोई न कोई जगह हर जगह में तलाश कर ही लेता है।हम कानपुर एक शादी अटेंड करने गए थे।पर जब हम वहाँ से लौट रहे थे तो रास्ते में हमने लखनऊ रुकने का प्लान बनाया।वैसे तो मैं लखनऊ कई बार गयी थी पर वहाँ के zoo कभी नही देखा था।तो फिर क्या था हमलोगों ने अपनी गाड़ी घूमा ली zoo के तरफ।
जैसे ही हमने लखनऊ में एंट्री की तो मेरी नजर वहाँ लगे बोर्ड पर पड़ी जिसपर लिखा था "मुस्कुराइये आप लखनऊ में है"यह पढ़ते ही चेहरे पर मुस्कान आ गयी।वहाँ जाकर हमने देखा कोरोना के कारण भीड़ काफी कम थी।वहाँ एक अगल ही माहौल था। हर तरफ बेजुबान जानवर जो शायद हम इंसानो को अजीब नजरो से देख रहे थे कि हम उन्हें क्यों देख रहे है।पर हमारे लिए भी वो काफी अजीब ही था क्योंकि शायद हमने भी उन जानवरो में से बहुतों को पहली बार ही देखा था। वहाँ पहुँच कर अपना बचपन याद आ गया।वहाँ के zoo की एक खास बात जो शायद उसे बाकि zoo से अलग बनाती है वो यह है कि वहाँ पर ट्रेन चल रही थी और हम उसका टिकेट ले कर उस ट्रेन से पूरे zoo की सैर कर सकते है।
शॉपिंग और खाना
Zoo देखने के बाद हमने सोचा क्यों न शॉपिंग भी करते चले वैसे भी लखनऊ के अमीना बाग़ की काफी चर्चे सुने थे की वहाँ सस्ते में अच्छी शॉपिंग होती है।यह हमारे zoo के पास ही था तो हमलोग निकल पड़े शॉपिंग के लिए और हमने बहुत सी शॉपिंग कर ली।इन सबके बाद बारी थी खाने की।वो कहते है न की लखनऊ आये और कबाब नही खाया तो क्या खाक लखनऊ आये बस यही सोच के हम वहाँ के टुंडे कबाब पहुँच गये। हमने जम कर खाया ।फिर हम लोग निकल पड़े अपने मंजिल की तरफ जोकि हमारा घर था।
तो अगर आप भी लखनऊ में हो या आपका जाना भी कभी ही वहां तो आप वहा का zoo जरूर देखें।
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