वायनाड: प्रकृति का वो खज़ाना जिसे आज भी सहेज कर रखा गया है!

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केरल को प्रकृति ने ऐसी खूबसूरती से नवाज़ा है जिसे देखने के लिए देश विदेश से टूरिस्ट खिचे चले आते हैं। यहाँ नदी, पहाड़, झरने प्रकृति प्रेमियों को आकर्षित करते हैं तो वहीं समुद्र तट छुट्टियाँ बिताने के भरपूर बहाने देता है। ऐतिहासिक किले, देवस्थानों के साथ ही चाय-कॉफ़ी के बागान इसकी खूबसूरती में चार चाँद लगा देते हैं। कुल मिलाकर केरल अपनी खासियतों की वजह से टूरिस्टों का चहेता राज्य बन चुका है। केरल के 14 जिलों में वायनाड को प्रकृति ने जितना प्यार दिया है, उसको सींचने का काम वहाँ की जनजातियों ने किया है। केरल के हिल स्टेशनों में वायनाड सबसे टॉप पर आता है।

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वायनाड प्रकृति की गोद में शांति को महसूस करते हुए बेहतरीन समय गुज़ारने के लिए जाना जाता है। 2100 मीटर की ऊँचाई पर अवस्थित यह जगह 3000 साल से भी पुराने घने वनों से ढंका है। जनजातियों में इसे धान की भूमि के रूप में भी जानते हैं। अगर आप अपनी गर्मी की छुट्टियों में केरल की ओर रुख करते हैं तो वायनाड के इन जगहों की यात्रा ज़रूर करें।

मुथंगा वन्यजीव अभयारण्य

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श्रेय: फ्लिकर

वायनाड का ये अभयारण्य इसकी पहचान से जुड़ा हुआ है। 1973 में कर्णाटक सीमा से लगे क्षेत्र में इसे स्थापित किया गया जो कि वायनाड के ख़ास जीव-जंतुओं का घर है। नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व का ही भाग है ये सैकचुरी जहाँ आपको जैव विविधता देखने को मिलती है। यहाँ हाथियों की संख्या अच्छी खासी है औप आप यहाँ इन्हें खेलेते देख सकते हैं। जानकारी हो कि इसे हाथी परियोजना क्षेत्र के रूप में प्रतिष्ठा हासिल है। हाथियों के अलावा आपको यहाँ हिरण, बाइसन, जंगली भालू, चीता, बाघ आदि जानवर भी चहल कदमी करते दिख जाएँगे। आप जंगल को यहाँ बेहद नज़दीक से देख पाते हैं जो कि एक यादगार और रोमांचक सफ़र के रूप में आपके जीवन से जुड़ जाता है। 344 वर्ग कि.मी. में फैले इस जंगल को देखने दुनियाभर से सैलानी यहाँ आते रहते हैं।

कुरुवा द्वीप

प्राकृतिक नज़ारों से भरपूर वायनाड में सिर्फ वनजीवन ही नहीं, बल्कि जलजीवन भी देखने लायक है। यह केरल का ऐसा जिला है जहाँ समुद्र तट तो नहीं है लेकिन कबीनी नदी से जुड़ा कुरुवा द्वीप सैलानियों को खूब आकर्षित करता है। हरियाली से भरपूर इस द्वीप को दुर्लभ जड़ी-बूटियों के लिए खास तौर पर जाना जाता है। अपने व्यस्त जीवन से कुछ दिन निकालकर यहाँ बिताना आपको तरोताज़ा कर सकता है। सैलानी यहाँ के खूबसूरत नज़ारों को कैमरे में कैद करते हैं। आपको पक्षियों के कलरव सुनने को मिलेगा जो किसी प्राकृतिक संगीत के समान जान पड़ता है।

पजास्सी मकबरा

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श्रेय: फ्लिकर

वायनाड के उत्तरी हिस्से में मौजूद पजास्सी मकबरा सुकून के पल बिताने और पिकनिक मनाने के लिए मशहूर है। जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, यह एक पुराना मकबरा है जहाँ 1805 में शूरवीर राजा पजास्सी का अंतिम संस्कार किया गया था। इतिहास के मुताबिक़ पजास्सी ने अंग्रेजों के खिलाफ गुरिल्ला लड़ाई की शुरुआत की थी। इस हिसाब से यहाँ का अपना एक ऐतिहासिक महत्व है। सैलानी यहाँ आकर नौकायन जैसी कई और एक्टिविटी कर सकते हैं। यहाँ पास में ही मछलीघर मौजूद है जो कि इस जगह के मुख्य आकर्षणों में शुमार है।

थिरुनेल्ली मंदिर

ब्रम्हगिरी पहाड़ी पर ये मंदिर अपनी मौजूदा स्थिति को लेकर सैलानियों को आकर्षित करता है। ये एक पुरातन मंदिर है जिसको लेकर कई तरह की बातें सुनने को मिलती है। ऐसा माना जाता है कि किसी जमाने में ये हिंदुओं का महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल के रूप में मशहूर था। इसका निर्माण घाटी के बीच में किया गया है जिसके चारों तरफ पहाड़ ही पहाड़ मौजूद हैं। अनुसंधान करने वालों को यहाँ दो गाँवों के खंडहर भी बरामद हुए हैं।

पक्षीपातालम

ब्रह्मगिरी की पहाड़ियों पर ही 1700 मीटर की ऊँचाई पर घने जंगलों के बीच मौजूद है पक्षीपातालम। इसे ट्रेकिंग के लिए सबसे बेहतरीन जगहों में शामिल किया जाता है। वैज्ञानिक इस क्षेत्र को पक्षियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानते हैं। आपको यहाँ की यात्रा में कई दुर्लभ पक्षियों से मुलाक़ात हो सकती है। यहाँ आपको घने जंगल से गुज़रते हुए पहुँचना होता है लिहाजा डीएफओ – उत्तरी वयनाड से परमिशन लेने की ज़रूरत पड़ती है। एडवेंचर पसंद लोगों के लिए ये जगह एकदम परफेक्ट है।

चेम्बरा चोटी

अपनी यात्रा को ज़रा एडवेंचरस बनाना हो तो चेम्बरा चोटी का रुख कर सकते हैं। यहाँ आप ट्रेकिंग का आनंद ले सकते हैं जो कि ख़ासा रोमांचक भी है। बता दें कि चेम्बरा चोटी यहाँ की सबसे ऊँची चोटी है, जिसे देखने में एक दिन का समय लग जाता है। यहाँ की खूबसूरती देखने में आनंद तो बहुत आता है, साथ ही ट्रेकिंग के दौरान शारीरिक मेहनत भी होती है। आप इसके लिए ज़रूरी सामान अपने साथ रखें ताकि चोटी पर चढ़ते हुए आपको किसी तरह की परेशानी ना हो।

इनके अलावा वायनाड में आप नीलिमाला व्यू पॉइंट, फैंटम रॉक, लक्किड़ी आदि जगहों पर प्रकृति के बीच ट्रेकिंग का आनंद लिया जा सकता है। आपको बता दें कि वायनाड में झरने भी सैलानियों को बेहद आकर्षित करते हैं। इनमें मीनमुट्टी जलप्रपात, चेतलयम, बाणासुरा सागर बांध अहम हैं। वायनाड की यात्रा के दौरान आप देखेंगे कि यहाँ के निवासियों ने इसे कैसे संजोकर रखने में अपनी भूमिका निभाई है! प्रकृति का अगर हम सम्मान करते हैं तो वो भी बदले में अपना प्यार लुटाने में पीछे नहीं रहती। वायनाड इसका जीता-जागता उदाहरण है।

कब और कैसे पहुँचें?

यहाँ गर्मियों के समय बहुत ज्यादा ही गर्मी पड़ती है लिहाजा वायनाड घूमने के लिए सितंबर से फरवरी के बीच का समय निकालें। इस समय आप नेचर को इत्मिनान से देख सकते हैं। वायनाड की कनेक्टिविटी बहुत ही अच्छी है लिहाजा यहाँ पहुँचने के लिए आप अपने मनपसंद माध्यमों को चुन सकते हैं।

हवाई मार्ग द्वारा – कोझिकोड (कालीकट) अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट यहाँ का सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा है जो कि लगभग 65 कि.मी. की दूरी पर मौजूद है। आप एयरपोर्ट से बस या टैक्सी से आसानी से वायनाड पहुँच सकते हैं।

रेल मार्ग द्वारा – ट्रेन से वायनाड पहुँचने के लिए आपको कोझिकोड (कालीकट) रेलवे स्टेशन आना होगा जो कि 62 कि. मी. की दूरी पर मौजूद है। ये स्टेशन भारत के सभी बड़े शेहरों से कनेक्टेड है। यहाँ आकर आप बस या टैक्सी लेकर वायनाड पहुँच सकते हैं।

सड़क मार्ग द्वारा – सड़क मार्ग से वायनाड पहुँचने के लिए आप कोझिकोड, कुन्नूर, ऊटी और मैसूर से होते हुए आ सकते हैं। ध्यान रहे आपकी गाड़ी की टंकी फुल हो और आप खाने-पीने की चीजें भी साथ में ले लें। ऐसा इसलिए कि दुकानें और पेट्रोल पम्प रास्ते में दूरी पर मौजूद हैं।

आप भी अगर किसी ऐसी यात्रा के बारे में जानकारी और अनुभव रखते हैं तो हमारे साथ यहाँ ज़रूर शेयर करें!

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