भारत के इन मंदिरों में भगवान को प्रसाद नहीं, शराब चढ़ती है!

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किसी धार्मिक इंसान के लिए एक आम दिन ऐसा होता है – पौ फटने पर उठना, स्नान करना, बिना कुछ खाए मंदिर जाना और फिर प्रसाद खाने के बाद अपनी रोज़मर्रा शुरू करना। मंदिर जाने से पहले आप माँस या मदिरा का सेवन नहीं कर सकते, और कुछ दिनों पर उसके बाद भी। पर हमारा विशाल देश अपनी विविधता और विचित्रता से भरपूर है। भारत में ऐसे कई मंदिर हैं जहाँ मदिरा वर्जित नहीं है बल्कि प्रसाद के रूप में बाँटी जाती है।

वो मंदिर जहाँ शराब प्रसाद है:

1. काल भैरव मंदिर, उज्जैन

काल भैरव मध्य प्रदेश के शहर उज्जैन के संरक्षक हैं। भैरव को खुश करने के लिए तांत्रिक विधि पंचमक्र से पूजन किया जाता है जिसमें प्राचीन काल में मदिरा, माँस, मीन, मुद्रा और मैथुन से भोग लगाया जाता था। पर आधुनिक काल में मदिरा के अलावा बाक़ी चीज़ोंको सांकेतिक रूप में किया जाता है। ऐसा कहाजाता है कि काल भैरव की मूर्ति भोग लगाए जाने वाले शराब को पी जाती है।

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काल भैरव मंदिर, उज्जैन \ श्रेय

2. खबीस बाबा मंदिर, लखनऊ

खबीस बाबा अपनी आलौकिक शक्तियों के लिए जाने जाते थे। ऐसा कहा जाता है कि वो अपने स्पर्श से घायल लोगों को ठीक कर देते थे।खबीस बाबा को मदिरा बहुत पसंद थी इसलिए मृत्युपर्यन्त उनकी समाधि पर शराब का भोग चढ़ाया जाता है। यह मंदिर लखनऊ के निकट सीतापुर में है।

3. परसिनिक्कडवू मंदिर, कन्नूर

परसिनिक्कडवू मंदिर के संरक्षक भगवान शिव के एक यायावर रूप हैं। यहाँ कई अनोखी रीतियाँ होती हैं जिनमें से मुथप्पन थय्यम नृत्य, मछली, माँस और ताड़ी (ताड़ के फल से बने शराब) का भोग में चढ़ाया जाता है। यह देखने के लिए आपको यहाँ कुम्भम के महीने (मार्च के पहले हफ़्ते) में जाना होगा।

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परसिनिक्कडवू मंदिर \ श्रेय: विकिपीडिया

4. उत्तरेश्वरी मंदिर, जगतसिंहपुर

ओडिशा के एक गाँव में स्थित माता उत्तरेश्वरी का मंदिर अपनी चमत्कारिक शक्तियों के लिए प्रसिद्ध है। माता को वाइन और मछली चढ़ाया जाता है जिसे बाद में मिर्गी के मरीज़ों के साथ बाँट दिया जाता है।

5. काशी के कोतवाल, वाराणसी

काल भैरव देवताओं के चौकीदार हैं और काशी शहर की रक्षा भी वही करते हैं जिसके कारण उन्हें काशी के कोतवाल के नाम से जानते हैं। काल भैरव ही यह तय करते हैं कि काशी में कौन प्रवेश कर सकता है और वहाँ निवास कर सकता है। काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए उन्हें चॉकलेट, माँस और मदिरा का चढ़ावा चढ़ाया जाता है।

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काशी के कोतवाल \ श्रेय

6. काल भैरव मंदिर, दिल्ली

भारत की राजधानी दिल्ली में बूढ़े से लेकर बच्चों को काल भैरव की भक्ति में डूबे हुए शराब के प्रसाद का सेवन करते हुए पाया जा सकता है। यह मंदिर पुराने क़िले के पास है।

7. जीवा मामा मंदिर, वड़ोदरा

जीवा मामा कोई धार्मिक या आध्यात्मिक हस्ती नहीं थे लेकिन उन्होंने एक गाँव को डाकुओं से लुटने से बचाया था और अपनी जान की क़ुर्बानी दे दी थी। इसलिए उनके लिए यहाँ पर मंदिर बनाया गया। चूँकि जीवा मामा को सिगरेट और शराब बहुत पसंद थी इसलिए गुजरात में शराब प्रतिबंधित होने के बावजूद इस मंदिर में शराब, माँस और सिगरेट भोग में चढ़ाया जाता है।

8. भंवाल माता मंदिर, मेरता, राजस्थान

भंवाल माता कुछ और नहीं बल्कि सिर्फ़ ढाई प्याला शराब चाँदी के प्याले से स्वीकार करती हैं। मंदिर का पुजारी अपनी आँखें बंद कर माता से शराब ग्रहण करने का आग्रह करता है और माता 2 प्याले पी कर तीसरा प्याला आधा छोड़ देती हैं।दुनिया भऱ के लोग यह चमत्कार देखने आते हैं।

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भंवाल माता मंदिर \ श्रेय

9. भद्रकाली मंदिर, अमृतसर

हर साल मई के महीने में ओल्ड अमृतसर के भद्रकाली मंदिर में मेला लगता है। मेले के दौरान माता को माँस और शराब का भोग लगाया जाता है और भक्तजनों को प्रसाद के रूप में बाँटा जाता है।

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