जानिये भारत की उन अनसुनी फ़्रांसिसी कॉलोनियों के बारे में जो पांडिचेरी नहीं हैं

Tripoto

अगर आप से पुछा जाए की भारत में फ्रांसिस कॉलोनी कहाँ है तो आपका जाहिर सा जवाब होगा पांडिचेरी. वो पीले मकान, उनके सामने सफ़ेद बरामदे और एक तरफ बंगाल की कड़ी का मनमोहक नज़ारा. अपनी छुट्टियां मानाने आखिर कोई इस स्वर्ग में क्यों न जाए? हर रोज़ ही यहाँ भारत और अन्य देशों से लोग खींचे चले आते हैं.

पर क्या आपने सोचा है की फ़्रांसिसी लोग जब भारत आये होंगे क्या उन्होंने बस पांडिचेरी में ही अपनी कॉलोनियां बनायीं होंगी? लाजमी है की भारत देश के और भी कोनो में फ़्रांसिसी कॉलोनियां है और आपको जान कर ख़ुशी होगी की सभी एक से एक खूबसूरत जगहें हैं. कोरोमंडल से मालाबार तट और पश्चिम बंगाल तक ये कॉलोनियां हर जगह फैली हुई हैं. पर ये बात सच है की 1668 में फ़्रांसिसी लोग जब भारत में आये तो उन्होंने पांडिचेरी को अपना गड बनाया. उनका इरादा भारत की सत्ता अपने हाथ में लेना कभी भी नहीं था. उनको तो बस व्यापार करना था इसलिए पूरे देश में फैलने के बजाय उन्होंने 5 कॉलोनियां बनायीं.

यह 5 कॉलोनियां हैं पंडीचेर्री, तमिल नाडु स्तिथ कराईकल, आंध्र प्रदेश स्तिथ कोरोमंडल के तट पर बसा यानॉन, केरल में मालाबार तट पर बसा माहे और पश्चिम बंगाल में बसा चंदननगर. पांडिचेरी के बारे में आप जरूर जानते होंगे और काफी बार वहां जाने की योजना भी बनायीं होगी. शायद गए भी हों. पर बाकि सभी जगह अक्सर लोगों की नज़रों से अनदेखी ही रह जाती हैं. तो आईये आज जानें भारत की अनदेखी अनसुनी फ़्रांसिसी कॉलोनियों के बारे में, जो पांडिचेरी नहीं हैं.

तमिल नाडु स्तिथ कराईकल में फ्रांसीसियों ने सन 1739 से 1954 तक साशन किया. आज के समय में शान्ति की तलाश में घूमने वाले यात्रियों के लिए कराईकल छुट्टियां मानाने के लिए एक उपयुक्त स्थान है. सुनहरी सुबह, खिली धुप वाले दिन और शाम को बहने वाली ठंडी ठंडी हवाएं, कराईकल की यही खासियत है. हांलाकि यह जगह एक समय पर फ्रांसीसियों द्वारा प्रभावित थी पर आज यहाँ पर असंख्य मंदिर हैं. शाम के समय में यहाँ पर मंदिरो की घंटियों की आवाज़ से यह छोटा सा शहर जीवंत हो उठता है.

कराईकल के बारे में और जानने के लिए आगे पढ़िए.

Photo of Karaikal, Puducherry, India by Kabira Speaking

कैसे बिता सकते हैं कराईकल में छुट्टियां?

कराईकल में हिन्दू, ईसाई और मुस्लिम धर्मों का एक अद्भुत संगम देखने को मिलता है. यहाँ कराईकल ाम्मैयार मंदिर, सनेस्वर मंदिर, दरबारनयेस्वर मंदिर तो है ही. साथ में वेलंकन्नी में चर्च ऑफ़ आवर लेडी और नागोरी में अंदावर दरगाह भी है. यह सब देखने के बाद आप कराईकल के तट पर शाम भी बिता सकते हैं.

कराईकल जाने का सही समय: दिसंबर से जनवरी के महीने यहाँ आने का सही समय हैं. उन दिनों यहाँ दिन में धुप लेकिन शाम के समय ठण्ड बरकरार रहती है.

यानॉन ने पिछली कुछ सदियों में बहुत सारे राजा, महाराजा और साशक देखे हैं और ख़ास बात यह है की सभी ने इस जगह और इसकी संस्कृति में अपनी चाप छोड़ी है. हांलाकि, यहाँ के आखरी शाशक फ़्रांसिसी थे और इस शहर की कला और संस्कृति में उनका ख़ास प्रभाव आज भी दिखता है. यानॉन शहर यनम के नाम से भी जाना जाता है. यहाँ आने वाले पर्यटकों के लिए हवा से साथ झूलते नाइयल के पेड़, किनारों पर आती जाती लहरें, यहाँ की रंग-बिरंगी गलियां, नदियाँ, सदाबहार जंगल, खूबसूरत मंदिर, और आते जाते एक दुसरे को 'बोंजोर' कह कर अभिवादन करते लोग , यह सभी एक दिलचस्प अनुभव है.

Photo of Yanam, Puducherry, India by Kabira Speaking

कैसे बिता सकते हैं यानॉन में छुट्टियां?

2015 में यहाँ पर एइफ्फेल टावर की एक नक़ल तैयार की गयी, पर्यटकों को यहाँ आना काफी पसंद है. आप गोदावरी नदी के किनारे शाम के समय घूम सकते हैं. यहाँ स्तिथ मिसाल वेंकन्ना मंदिर स्वामी मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है. हालाँकि ये वो मंदिर भी है जहाँ बाल विवाह सम्पन्न कराये जाते थे. अगर खाने की बात की जाए तो अगर आप यानॉन आएं है तो यहाँ की प्रसिद्ध चीरामेनु मछली ज़रूर खाएं. यह मछली यहाँ की खासियत है और यह स्थानीय मछवारों द्वारा साड़ी की मदद से पकड़ी जाती है. फ़्रांसिसी वास्तुकला का नमूना देखना है तो यहाँ स्तिथ कोर्ट हाउस (Palais Se Justice) ज़रूर देखें.

यानॉन जाने का सही समय: नवंबर से फेब्रुअरी के महीने यहाँ जाने के लिए उपयुक्त हैं. इस समय में यहाँ दिन और शाम के समय ठंडी हवाएं मौसम को सुहाना बना देती हैं.

केरल के पश्चिम तट पर बसा ये छोटा सा गांव फ़्रांसिसी संस्कृति से उतना ही प्रभावित है जितना की केरल की संस्कृति से. गौर करने की बात यह है की माहे भारत का सबसे छोटा जिला है और यहाँ से अनगिनत देशभक्त और क्रांतिकारी आएं हैं. जान कर अचम्भा होगा की हॉलीवुड के प्रसिद्ध निदेशक एम् नाईट श्यामलन भी इसी शहर से आते हैं. 70 और 80 के दसक में लोग माहे सर्फिंग का लुत्फ़ लेने आते थे लेकिन ाल ही के सालों में दुर्भाग्यवश ये वो जगह बन गया है जहाँ लोग शराब पीने आते हैं. केरल में शराब पर प्रतिबन्ध लगने के बाद लोगों ने माहे जाना शुरू किया जो की पांडिचेरी के अधिकार क्षेत्र में आता है. इस कारण माहे बदनाम हो गया. पर फिर भी ये बात किसी से छुपी नहीं है की माहे खूबसूरत नज़रों का धनी है और मालाबार तट की एक दिल छू लेने वाली जगह है.

Photo of Mahé, Puducherry, India by Kabira Speaking

कैसे बिता सकते हैं माहे में छुट्टियां?

यहाँ पर स्तिथ संत टेरेसा'स चर्च न सिर्फ यहाँ के लोगों में प्रसिद्ध है पर इस गिरजाघर में श्री लंका, सिंगापुर और इंग्लैंड से भी लोग आते हैं. यह एक मछवारों का बन्दरगाह भी है. यहाँ आप गोदावरी के किनारे भी सुबह-शाम बिता सकते हैं. यहाँ हीरे के आकार का एक वॉल्कवे है जहाँ आप फुर्सत के समय टहल सकते हैं.

माहे आने का सही समय: यहाँ आने का सही समय या तो बरसात ऋतू में है जो की जून से अगस्त के बीच होते हैं. या फिर आप यहाँ दिसंबर और जनुअरी में सर्दियों के समय में आएं.

कोलकाता की भीड़-भाड़ से दूर ये शहर हुगली नदी के तट पर बसा है. इस छोटी सी जगह में फ़्रांसिसी और बंगाली संस्कृति का वो मिश्रण मिलता है जो इस जगह को पश्चिम बंगाल की किसी भी और जगह से भिन्न बनाता है. समय के साथ लोग चाहे इस जगह को भूल गयें हो पर ये बात इस शहर को कम दिलचस्प नहीं बनती. चंदननगर या चन्दरनागोर के नाम से जान्ने जाने वाली यह जगह बहुत सारे क्रांतिकारियों की पनाहगाह थी. उन क्रांतिकारियों में से एक रबीन्द्रनाथ टैगोर भी थे. लाजमी है की यहाँ घूमने के लिए बहुत सारी जगहें हैं और आम पर्यटकों के साथ साथ यहाँ इतिहास में रूचि रखने वाले पर्यटक बहुत आते हैं.

Photo of Chandannagar, West Bengal, India by Kabira Speaking

कैसे बिता सकते हैं चंदननगर में छुट्टियां?

स्ट्रैंड हुगली नदी के किनारे एक खूबसूरत रास्ता है जहाँ चलने पर आप दोनों तरफ एक सदी पहले बानी इमारतें देख सकते हैं. यहाँ स्तिथ सेक्रेड हार्ट चर्च प्रसिद्ध है शीशे में सुन्दर नक्काशियों के लिए. यहाँ ज़रूर जाएं. यहाँ पर दुर्गाचरण रक्षित घाट भी है जो दुर्गाचरण रक्षित के सम्मान में बनाया गया है. वे पहले भारतीय हैं जिनको केवलिएर दे लीजन डी'होंनेउर से सम्मानित किया गया था. यह फ्रांस का सबसे बड़ा नागरिक और सैन्य पुरूस्कार है. यहाँ पर प्राचीन हिन्दू मंदिर भी हैं जैसे की नन्ददुलाल मंदिर.

चंदननगर जाने का सही समय: नवंबर के महीने में यहाँ जगत्धात्री पूजा होती है. आप उस समय यहाँ आ सकते हैं. ये पूजा दुर्गा पूजा के एक महीने बाद होती है. लेकिन अगर आपको भीड़ पसंद नहीं है तो आप दिसंबर या जनवरी के महीने में यहाँ आ सकते हैं.

क्या आप इस देश के उन कोनो में गए हैं जहाँ इतिहास आज भी जीवंत है. उनके बारे में Tripotoहिंदी में लिखें.