कोरोना में सफर...
तीसरी किश्त...
जोधपुर के एक दिन के पड़ाव के बाद निकल गए, उदयपुर की तरफ...
जोधपुर से उदयपुर वैसे तो दो तीन रास्ते जाते है, लेकिन वाया कुंभलगढ जाना शानदार रहता है, वो इसलिए क्योंकि यह रास्ता पहाड़ो के बीच से वन्यजीव अभ्यारण से होकर गुजरता है, बारिश के मौसम में तो यहाँ वाकई में कमाल सा हो जाता है...
उदयपुर से पहले नाथद्वारा हाइवे किनारे एक भव्य शिवा की मूर्ति बन रही है, उसकी ऊंचाई ओर भव्यता देखकर यह कह सकते है कि नाथद्वारा में एक ओर टूरिस्ट डेस्टिनेशन लगभग तैयार है..
खैर हमारी यात्रा उदयपुर की है, तो हम सीधे पहुँचे उदयपुर...
पहले एक दिन निजी प्रोफेशनल काम निपटाकर, दूसरे दिन यात्रा के लिए तैयार थे..
समय एक दिन का था, तो यह निश्चित करना बड़ा मुश्किल था, की क्या देखा जाए और क्या छोड़ा जाए..
फिर आखिर में यह तय हुआ कि पिछोला झील देखते हुए, सज्जनगढ़ किला ओर बायोलॉजिकल पार्क की यात्रा करगें, ओर समय रहेगा तो यात्रा का समापन फतेह सागर झील के किनारे करेंगे...
उदयपुर में अगर आप अकेले यात्रा कर रहे हो, ओर बाइक स्कूटी वगैरहा चलाने में आसानी महसूस करते है तो बेझिझक बाइक रेंट में लाना फायदे का सौदा होता है..
में भी स्कूटी से निकल पड़ा..
पहला पड़ाव था..
पिछोला झील..
पिछोला झील पीछोली गाँव से सटकर है इसलिए इसका नाम पीछोला पड़ा..
इस झील का मूल निर्माण बंजारा जनजाति के लोगो ने महाराणा लाखा के समय कराया था, फिर महाराणा ने इसको विकसित किया..
यह एक आर्टिफीसियल झील है, जो चारो तरफ पहाड़ो से घिरी हुई, इसकी सुंदरता सुबह, शाम ओर दोपहर अपने अलग श्रंगार को दीखाती है..
कोरोना की वजह से ज्यादा लोग नही है यहाँ, कामकाजी लोग भी टूरिस्टो की राह देख रहे है...
झील के किनारे पाल बने हुए है, वहाँ अपने प्रेमी का हाथ थामकर आप झील का चक्कर लगा आइए, अभी बोटिंग बंद है, नही तो बोटिंग का आनंद भी लिया जा सकता है यहाँ पर झील के बीचों बीच चार टापू है, जहाँ पर जग निवास, जग मन्दिर, मोहन निवास, ओर अर्श निवास बने हुए..
जैसे कि बोटिंग बंद थी, तो वहाँ पहुँचना संभव नही था, इसलिए यहाँ के बारे में ज्यादा जानकारी नही है..
आप यहाँ कई घण्टे बैठ सकते है, पहाड़ो में अटखेलिया करते सूर्य को देख सकते है, पानी मे अठ्ठाहसी करते पक्षियों को देख सकते है..
ऊंची पहाड़ी पर करनी माता का मंदिर है, वहाँ रोपवे से जा सकते है..
झील किनारे पहाड़ो की तरफ सीधा चलकर अपना आरामदायक ठिकाना खोजिए, ओर हाथ थामकर बैठिए...
यही पीछोला की खूबसूरती है..
आज की किश्त में इतना ही है..














