भारत का आखिरी गांव,जहाँ से है स्वर्ग जाने का रास्ता

Tripoto
29th Nov 2020
Photo of भारत का आखिरी गांव,जहाँ से है स्वर्ग जाने का रास्ता by Priya Yadav
Day 1

भारत का अंतिम गांव जहां से होकर जाता है स्वर्ग जाने का रास्ता आज हम आपको उसी गांव के बारे में बताएंगे कुछ रोचक तथ्य। यह गांव उतराखंड में पड़ता है जिसका नाम है माणा गांव (Mana Village) । गांव भारत और तिब्बत की सीमा से लगा हुआ है। यहां से चीन की सीमा शरू हो जाती है. कहा यह भी जाता है कि इस गांव का नाता महाभारत काल से भी जु़ड़ा हुआ है,और यह भी कहते हैं कि पांडव इसी रास्ते से होते हुए स्वर्ग गए थे।
इस गांव (Mana Village) का पौराणिक नाम मणिभद्र है। यह गांव सरस्वती नदी के किनारे बसा हुआ बहुत ही सुंदर गांव है. माणा समुद्र तल से लगभग 10,000 फुट की ऊंचाई पर बसा हुआ है। माणा गांव अपनी सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ कई अन्य कारणों की वजह से भी मशहूर है।

यह गांव (Mana Village) बद्रीनाथ से मात्र तीन किलोमीटर पर स्थित है। अगर हम पर्यटन के लिहाज से बात करे तो यह जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं है। यहां पर हरेक साल सैलानी सरस्वती और अलकनंदा नदी के संगम को देखने लिए आते हैं।

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यहीं रची गई थी श्रीमद् भागवत महापुराण

स्कंद पुराण' के 'केदारखंड' में मणिभद्रपुर नाम से माणा गांव का उल्लेख हुआ है। कथा है कि देवताओं के खजांची कुबेर के अतिप्रिय सेवक मणिभद्र यक्ष के नाम पर गांव का 'मणिभद्रपुर' नाम पड़ा, जिसे कालांतर में माणा कहा जाने लगा।ऐसा माना जाता है कि यह गांव श्राप मुक्त है और जो भी इस गांव में आता है कि वह व्यक्ति अपने पापों से मुक्त हो जाता है।

दर्शनीय स्थल

गणेश गुफा:-

समुद्र तल से करीब 3 हजार फुट ऊंचाई  पर बसे इस गांव में कई ऐतिहासिक स्थान है। गांव के जाते ही सबसे पहले गणेश गुफा और उसके व्यास गुफा नजर आती है। ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान गणेश वेदों की रचना कर रहे थे तो सरस्वती नदी अपने पूरे वेग में बहने के कारण शोर कर रही थी। ऐसे में गणेश जी ने कहा कि वे शोर कम करें, क्योंकि उन्हें कार्य में व्यवधान हो रहा है, लेकिन सरस्वती नदी नहीं मानी। इस बात से नाराज भगवान गणेश ने श्राप दिया कि इससे आगे वह किसी को नहीं दिखेगी। इसी वजह से सरस्वती नदी कुछ दूरी पर जाकर अलकनंदा में मिल जाती है।

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व्यास गुफा :-

व्यास गुफा के बारे में कहा जाता है कि यहीं पर वेदव्यास ने पुराणों की रचना की थी और वेदों को चार भागों में बाँटा था। व्यास गुफा और गणेश गुफा यहाँ होने से इस पौराणिक कथा को सिद्ध करते हैं कि महाभारत और पुराणों का लेखन करते समय व्यासजी ने बोला और गणेशजी ने लिखा था। व्यास गुफा, गणेश गुफा से बड़ी है। गुफा में प्रवेश करते ही किसी की भी नज़र एक छोटी सी शिला पर पड़ती है। इस शिला पर प्राकृत भाषा में वेदों का अर्थ लिखा गया है।

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भीमपुल :-

 इसकी मन्यता यह है कि जब पांडव स्वर्ग जा रहे थे, तब उन्होंने सरस्वती नदी से रास्ता मांगा लेकिन सरस्वती ने रास्ता देने से मना कर दिया। तब भीम ने दो बड़े पत्थरों को उठाकर नदी के बीच एक पुल बना डाला।
इस तरह से इस पुल का निर्माण हुआ। इस पुल से होकर ही भीम स्वर्ग कि ओर गए थे। इसी के लिए इस पुल का नाम भी भीम पुल रखा गया। पांडव तो आगे चले गए और आज तक यह पुल यह मौजूद है। आपको बता दें कि भीम अपनी शक्ति के लिए प्रसिद्ध थे।

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वसुधंरा झरना :-

यहां पर एक खूबसूरत वसुधंरा झरना भी है। अगर आप माणा गावं जाए तो यह झरना जरूर देखकर आए अपको खुद ही पता चल जाएगा कितना खूबसूरत है। वसुधारा. लगभग 400 फीट ऊँचाई से गिरता इस जल-प्रपात का पानी मोतियों की बौछार करता हुआ-सा प्रतीत होता है। ऐसा कहा जाता है कि इस पानी की बूँदें पापियों के तन पर नहीं पड़तीं। यह झरना इतना ऊँचा है कि पर्वत के मूल से पर्वत शिखर तक पूरा प्रपात एक नज़र में नहीं देखा जा सकता।

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नीलकंठ चोटी:-

माणा गांव में नीलकंठ चोटी है जोकि समुद्री स्तर से 6597 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।इस चोटी को गढ़वाल की रानी के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है।इस चोटी से यहां आने वाले पर्यटक बद्रीनाथ को देख सकते हैं।

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तप्त कुंड:-

तप्त कुंड एक ऐसा कुंड है,जिसमें बारह महीनों सिर्फ गर्म पानी निकलता है। माना जाता है कि, कुंड के पानी में जो लोग एक बार भी स्नान कर लेता है उसकी सभी त्वचा बीमारियां दूर हो जाती है। इस कुंड पर हमेशा ही यहां आने वाले पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है।

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भारत की आखिरी चाय की दुकान :-

‘भारत की आखिरी चाय की दुकान’ जी हां, इस बोर्ड पर यही लिखा हुआ है। इसे देखकर हर सैलानी और तीर्थयात्री इस दुकान में चाय पीने के लिए जरूर रुकता है। इस दुकान में आपको साधारण चाय से लेकर माणा में पी जाने वाली नमकीन गरम चाय, वन तुलसी की चाय आदि भी मिल जायेगी।

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ट्रेकिंग:-

ट्रेकिंग एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिए माणा गांव परफेक्ट है, यहां आने वाले पर्यटक यहां ट्रेकिंग का भरपूर लुत्फ उठा सकते हैं। यहां ट्रेकिंग के लिए कई रास्ते जैसे-माणा से वशुधारा,माणा से माणा पास,माणा से चरणपादुका।

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