माता रानी का दरबार किसी स्वर्ग से कम नही है। वहाँ जाकर मन बहुत शांति मिलती है सबसे रोचक बात पैदल यात्रा करना बहुत अच्छा लगता है।सबसे पहले मैं अपने पिताजी के साथ गया था माता रानी के दरबार में जब मैं वहाँ पहुँचा तो मैं पर्वत देख कर दंग रह गया इतनी ऊँची चढ़ाई कैसे चढ़ऊँगा मुझसे नही होगा 14 15 km पर्वत की चढ़ाई मुझसे नही होगा।मैं पिताजी से बोला पिताजी कियो ना हम घोड़े से चले ।पिताजी बोले अरे तू चढ़ तो कुछ नही होगा मालूम भी नही पड़ेगा कब पहुँच जाएंगे। तभी मैने देखा छोटे छोटे बच्चे करीबन 8 9 साल के वो खेलते खेलते और जय माता की करते हुये चले जा रहे थे । मै चलने को तैयार हो गया एक लकड़ी ली और चल दिया तब करबिन शाम के 3 बजे थे जब हमने यात्रा शुरू की । कुछ लोग सीडी से चढ़ रहे थे कुछ सामान्य रास्ते से चल रहे थे । मैं चढ़ता जा रहा था मालूम ही नही पड़ा हम कब अर्द्धकुवारी मंदिर पहुँच गए ।हमारी आधी यात्रा पूरी हो गयी थी उस समय रात्रि के 8 बजे थे हमने दर्शन किये थोड़ा विश्राम क्या चल दिये औऱ हम 11 बजे माता रानी की भवन पहुँच गए थे मैं चकित था। हम सामान्य 2km चले तो थक जाते है और यहाँ 14km वो भी चढ़ाई हमे मालूम ही नही हुआ । भवन कुछ इस तरह सजाया हुआ था मानो स्वर्ग धरती पर उतर आया हो हर प्रकार के पुष्प फलों मालाओं से से सजा हुआ था मेरे मन ये नजारा देखर चकित था । मानो खुद देवताओं ने सजाया हो हमने पर्ची कटाई उसके बाद एक पंक्ति में खड़े हो गए और गुफा की ओर बढ़ने लगे माता रानी के दर्शन किये और लौटने लगे । पिताजी से कहा चलो अब पिताजी बोलो पागल अभी और ऊपर चढ़ना है भेरो बाबा के दर्शन बिना तो माता के ददर्शन नही माने जाते हम फिर से ऊपर चढ़ने लगे और 3 बजे भैरो बाबा के दर्शन किये और सुबह 6 बजे से उतरना शुरू किया तो मानो ऐसा लग रहा था जैसे कोई हम नीचे की और ले जा रहा था मेरा मन लौटने को कतई नही कर रहा था मैं 2 बार जा चुका हूं लेकिन मेरा मन हर बार जाने को करता है मित्रों आप भी जाकर देखो मन को शांति मिलेगी
जय माता दी