एकचक्र धाम पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिला में स्तिथ तारापीठ धाम के नजदीक में पड़ता है। जगह का नाम है बीरचन्द्रपु। यह जगह प्रसिद्ध है मसूर श्री कृष्णा भक्त नित्यानंद महाप्रभु के जन्मस्थान के लिए। १४ तारीख के सुबह करीब ४:३० बजे मई और मेरे एक दोस्त बाइक लेकर निकले थे बीरचन्द्रपुर जाने के लि। प्लानिंग था की एकचक्र और तारा माँ का मंदिर तारापीठ होकर आएंग। हमारे गाओ से इस्सकी दुरी करीब १०२ किलोमीटर है। बीरभूम में घुसने के बाद आपको २ रास्ते मिलेंगे एक रास्ता रानीगंज - सिउरी रोड को पकड़ कर तारापीठ होकर जाता है दुशरा छोटा मोटा गाओ से होकर निकलता है। धन्यबाद गूगल बाबा को रास्ता दिखने के लिए। उस दिन ठण्ड काफी ज्यादा नहीं था थो सुबह रेडी होने में और बाइक चलने में दिक्कत नहीं हो रहा था। जब हमलोग बीरभूम पहुचे थो सुबह करीब ६:१० हो गया था। एक जगह हमने गारी खरी कर सूर्योदय को देखा जो काफी मनमोहक था। धान के खेतो के पीछे जंगलो में से हल्के कोहरे के बिच में से उगता सूरज। एकदम मस्त के कहना। इसके बाद एकजगहा पेट्रोल डलवा कर हमलोग चले अपनी मंजिल की औ। बीरभूम जाते हुआ आपको काफी सारे छोटे छोटे गाओ नजर आएगा मुक्खता यह जगहा कृषिप्रधान हिस्सा है पश्चिम बंगाल के। जब हम एकचक्र पोहचे थो १०:३० बज चूका थ। असल में ४:३० बाजे निकलने के बाबाजुत भी हमें गार्डी को ३ बार रेस्ट देना पढ़। एकचक्र धाम के एंट्री गेट के ठीक सामने आपको मुक्खा मंदिर देखने को मिलेगा यह पूरा इलका इस्कॉन समाज का है। यह आप आकर धर्मशाला में तहर भी सकते है सामने इस्सके बंदोबस्त है और फ़ूड कूपन काट कर आप भोग भी खा सकते ह। मंदिर के भीतर कैमरा और फ़ोन करना यह फोटो खींचना मना है। आप इस बात का धान रखिये गा। भीतर आपको राधे कृष्णा का मूर्ति और गौर-नीताई का मूर्ति के साथ ही इस्कॉन के संगस्थापक श्रीला प्रभुपाद का प्रतिमा देखने को मिला गा। भीतर आपको एक अद्भुत शांति का अनुभब होगा। बहार की तरफ आपको कुछ गाइड किताब और संग्रहसाला में जाने का टिकट भी मिले गा। जो मंदिर के निचले मंजिल पर है। आपको यह महाप्रसाद खाने को मिला गा पर सब के लिए चार्जेस है। यह खाने पिने के बाद हमलोग पीछे की तरफ गए जहा और ३ मंदिर था। पहला मंदिर नित्यानंद महाप्रभु के जन्मस्थान के लिए उनको समर्पित है। दूसरा एक मंदिर के भीतर की तरफ थोड़ा खुला हुआ हिस्सा है यह भी २ बारे सा गौर - निताई के प्रतिमा है सामने जो खुला हिस्सा है वहा सायद कीर्तन भजन होता होगा ऊपर चद है। लास्ट मंदिर चारो तरफ से पेड़ो से घिरा हुआ हिस्सा था कहा जाता है यह पंचपांडव बढ़ ब्यास मुनि से मिला था वह उअके प्रतिमा भी है। करीब १:३० घंटा बिताने के बाद हमलोग तारापीठ की और रायणा हो गए। तारापीठ में हमलोगो ने कुछ खास समय नहीं बिताया था क्यों की हमें वापिस भी आना था तो सिर्फ दरसन करके निकल गए। यहाँ आपको माँ तारा के भब्ब्या मंदिर के साथ साथ ही महासमसान देखने को मिलेग। इस जगह आपको थोड़ा समल कर चलना पढ़ेगा क्यों की यहां ठगो की कोई कमी नहीं आप जा कर ही भलीभाती समझ पाएंगे। कोलकाता से ट्रैन पकड़ कर आपको पहले रामपुरहाट स्टेशन आना होगा यहां से गारी कर आप एकचक्र और तारापीठ दोनों देख पाएंगे। तारापीठ में काफी सारे लॉज और होटल भी है थो रात में तहर ने का कोई समस्या नहीं होगा। अगर गाड़ी से आते है थो रानीगंज-सिउरी रोड को पकड़ कर आपको यहां आना होगा। जो की सिर्फ १ दिन में ही हो जायगा । अगर आप पश्चिम बंगाल के बहार से आते है तो बात अलग है।।।।।